दिल्ली का जीबी पंत अस्पताल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल जीबी पंत में डॉक्टरों के दो गुटों की लड़ाई का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं। बताया जाता है कि एनेस्थीसिया और हृदय शल्य चिकित्सा विभाग की लड़ाई के चलते मार्च से अब तक कोई ऑपरेशन ही नहीं हुआ है।
चिकित्सकों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर
दरअसल हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के सर्जन डॉ डीके सतसंगी और एनेस्थीसिया विभाग के डॉ विष्णु दत्त के बीच कई महीनों से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। डॉक्टरों की राजनीति मरीजों पर भारी पड़ रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक जूनियर डॉक्टर ने बताया कि कई मरीजों की हालात बहुत खराब है। उनका ऑपरेशन होना बहुत जरूरी है, लेकिन इसके बावजूद उनका इलाज नहीं हो पा रहा है।
बेहोश किए बिना कैसे हो ऑपरेशन
ऑपरेशन से पहले मरीजों को एनेस्थीसिया दिया, यानी बेहोश किया जाता है। लेकिन जब रोगी बेहोश ही नहीं होगा तब सर्जरी कैसे होगी? इसी के चलते कई मरीज पांच-पांच बार ऑपरेशन थिएटर तक गए लेकिन बेहोश न किए जाने के कारण उनका ऑपरेशन नहीं हो सका। इस तरह के मरीजों की तादाद दर्जन भर से ज्यादा है।
मीडिया के सामने चुप्पी साधे दोनों चिकित्सक
इस बारे में जब डॉ विष्णु दत्त से बात की गई तो उनका कहना है कि वे मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब इस मुद्दे पर अस्पताल के डायरेक्टर ही बात कर सकते हैं। वहीं डॉ सतसंगी का कहना है कि मैंने अब तक दस हजार से ज्यादा मरीजों का ऑपरेशन किया है। लेकिन हाल में जो हो रहा है, उसके बारे में ज्यादा कुछ बोलेंगे नहीं।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका
इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सांखला ने एक जनहित याचिका दायर की है। 11 मई को इस मुद्दे पर अस्पताल को जवाब देना है। कपिल सांखला ने बताया कि डॉक्टरों की राजनीति का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं लेकिन उसके बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
चिकित्सकों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर
दरअसल हृदय शल्य चिकित्सा विभाग के सर्जन डॉ डीके सतसंगी और एनेस्थीसिया विभाग के डॉ विष्णु दत्त के बीच कई महीनों से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। डॉक्टरों की राजनीति मरीजों पर भारी पड़ रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक जूनियर डॉक्टर ने बताया कि कई मरीजों की हालात बहुत खराब है। उनका ऑपरेशन होना बहुत जरूरी है, लेकिन इसके बावजूद उनका इलाज नहीं हो पा रहा है।
बेहोश किए बिना कैसे हो ऑपरेशन
ऑपरेशन से पहले मरीजों को एनेस्थीसिया दिया, यानी बेहोश किया जाता है। लेकिन जब रोगी बेहोश ही नहीं होगा तब सर्जरी कैसे होगी? इसी के चलते कई मरीज पांच-पांच बार ऑपरेशन थिएटर तक गए लेकिन बेहोश न किए जाने के कारण उनका ऑपरेशन नहीं हो सका। इस तरह के मरीजों की तादाद दर्जन भर से ज्यादा है।
मीडिया के सामने चुप्पी साधे दोनों चिकित्सक
इस बारे में जब डॉ विष्णु दत्त से बात की गई तो उनका कहना है कि वे मीडिया से बात नहीं करेंगे। अब इस मुद्दे पर अस्पताल के डायरेक्टर ही बात कर सकते हैं। वहीं डॉ सतसंगी का कहना है कि मैंने अब तक दस हजार से ज्यादा मरीजों का ऑपरेशन किया है। लेकिन हाल में जो हो रहा है, उसके बारे में ज्यादा कुछ बोलेंगे नहीं।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका
इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सांखला ने एक जनहित याचिका दायर की है। 11 मई को इस मुद्दे पर अस्पताल को जवाब देना है। कपिल सांखला ने बताया कि डॉक्टरों की राजनीति का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं लेकिन उसके बावजूद सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
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