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धौलाकुआं की झील में था केंद्र! पेड़ भी गिरे... जानें 4 तीव्रता के छोटे भूकंप से भी इतनी तेज क्यों हिली दिल्ली

दिल्ली एनसीआर में आज सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए लेकिन लोगों को इस बात ने हैरान कर दिया कि झटकों का केंद्र भी दिल्ली में ही था. इस पर डॉक्टर ओपी मिश्रा ने बताया कि धौलाकुआं के पास झील पार्क इसका केंद्र था और यहां पहले भी भूकंप आता रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि भूकंप की वजह से किसी को डरने की जरूरत नहीं है.

धौलाकुआं की झील में था केंद्र! पेड़ भी गिरे... जानें 4 तीव्रता के छोटे भूकंप से भी इतनी तेज क्यों हिली दिल्ली
दिल्ली एनसीआर में सुबह 5.30 बजे के आसपास भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे.
नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता 4.0 दर्ज की गई है. भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौलाकुआं के पास स्थित एक झील पार्क है. इसी झील से भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसके बाद यहां मौजूद कई पेड़ भी उखड़ कर गिर गए. इस बारे में नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी के डॉक्टर ओपी मिश्रा ने बताया कि 2007 में भी इसी झील से 4.7 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इससे किसी को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सीस्मिक जोन है.

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2007 में भी ये झील रहा था भूकंप का एपिसेंटर 

डॉक्टर ओपी मिश्रा ने कहा, "यहां पर छोटे-छोटे भूकंप आते रहे हैं और इसलिए कभी किसी ने इसे नोटिस नहीं किया है. यह भूकंप 4.0 तीव्रता का था और 2007 में यहां पर 4.7 तीव्रता का भूकंप आया था. यहां 1990 से इस तरह के भूकंप आते रहे हैं. यह प्लेट कोलाइजन की वजह से नहीं हुआ है. यह भूकंप कमजोर हाइड्रोजेनिक मेटीरियल की वजह से हुआ है. उदाहरण के तौर पर पानी या फिर फ्लूइड क्रूड करता है तो इससे पत्थर टूट जाता है और भूकंप आता है". 

भूकंप के बाद हमेशा आता है आफ्टर शॉक

उन्होंने कहा, "भूकंप का केंद्र सिर्फ चार किलोमीटर नीचे था और इस वजह से दिल्ली एनसीआर के लोगों को तेज झटके महसूस हुए. इसके साथ ही भूकंप को हील करने के लिए आफ्टर शॉक भी होता है. आफ्टर शॉक हमेशा 1.2 या 1.5 तीव्रता का होता है और इस वजह से ये लोगों को महसूस नहीं हो पाता है." 

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क्यों इतनी तेज महसूस किए गए भूकंप के झटके 

  • भूकंप का केंद्र दिल्ली में ही था और इस वजह से भूकंपीय तरंगों को कम दूरी तय करनी पड़ी, इस वजह से ज्यादा तेज झटके महसूस किए गए.
  • यह भूकंप पृथ्वी की सतह से ज्यादा नीचे नहीं था. भूकंप केवल 5 किलोमीटर ही नीचे था और इस वजह से लोगों ने बहुत तेज़ झटके महसूस किए. 
  • दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में ऊंची इमारतें अपनी ऊंचाई के कारण अधिक हिलती हैं, जिससे भूकंप का कंपन अधिक महसूस होता है.
  • दिल्ली के कुछ इलाकों में नरम जलोढ़ मिट्टी भूकंपीय तरंगों को बढ़ा सकती हैं, जिससे कंपन और भी तीव्र हो सकता है.

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सीवान में आए भूकंप से नहीं है कोई कनेक्टिविटी

डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि सीवान में जो भूकंप आया है उसकी दिल्ली में आए भूकंप से कोई कनेक्टिविटी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी का अपना प्रोसेस है और ऐसा होता रहता है. जहां भी रॉक होगी और वो ऊपर-नीजे होगी तो वो वापस अपने संतुलन में आने के लिए हिलेगी और इस वजह से भूकंप महसूस होगा. दिल्ली हमेशा ही भूकंप की स्थितियों में सुरक्षित ही रहा है और इसलिए किसी को घबराने की जरूरत नहीं है. 

2021-22 में भी दिल्ली रहा है भूकंप का केंद्र 

डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि 2021 और 2022 में भी दिल्ली भूकंप का केंद्र रहा है लेकिन उस वक्त किसी को ज्यादा तेज झटके महसूस नहीं हुए. उस वक्त 3.2 तीव्रता या फिर उससे भी कम तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. 

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