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This Article is From Oct 27, 2016

BRT कॉरिडोर के मलबे को हटाने संबंधी पीआईएल पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

BRT कॉरिडोर के मलबे को हटाने संबंधी पीआईएल पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अर्जी में बीआरटी कॉरिडोर के धातु के सभी तरह के ढांचे को हटाने की मांग.
कोर्ट ने उपराज्यपाल कार्यालय को भी नोटिस जारी किया.
पीठ ने आप सरकार और एलजी कार्यालय से 16 जनवरी तक जवाब देने को कहा है.
नई दिल्‍ली: बीआरटी कॉरिडोर के मलबे को हटाने संबंधी जनहित याचिका (पीआईएल) पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. इस याचिका में खत्म किए जा चुके बीआरटी कॉरिडोर के धातु के सभी तरह के ढांचे को हटाने की मांग की है, क्योंकि इससे कथित तौर पर फुटपाथ बाधित होता है.

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय को भी नोटिस जारी किया है. याचिका में उनसे अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है वे दक्षिण दिल्ली के अंबेडकर नगर से मूलचंद के बीच 5.8 किमी लंबी पट्टी पर छह सब मर्ज्‍ड सबवे के निर्माण के लिए जरूरी मंजूरी दें.

पीठ ने आप सरकार और एलजी कार्यालय से 16 जनवरी तक जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई इसी दिन होनी है.

गैर सरकारी संगठन फाइट्स फॉर ह्यूमन राइट्स की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि समाप्त कर दिए गए बीआरटी कॉरिडोर पर अब भी मौजूद धातु के ढांचे फुटपाथ को बाधित कर रहे हैं ,जिसकी वजह से पैदल चलने लोगों समेत वाहनों को चलने में भी परेशानी पेश आती है.

इसमें कहा गया है कि बीआरटी कॉरिडोर 2008 में बना था. इसकी 'दोषपूर्ण बनावट' के कारण इसे समाप्त करने का फैसला लिया गया था और दिल्ली के लोकनिर्माण विभाग ने इस साल जनवरी से इसे हटाने का काम शुरू किया था.

याचिका में कहा गया है कि कॉरिडोर को खत्म करने का काम 'फरवरी अंत तक पूरा हो जाना चाहिए था' और यहां फिर से सड़क बनाई जानी थी, जिसके बाद सबवे बनने थे.. लेकिन अब इसे पूरा होने में दो साल का वक्त लगेगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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