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This Article is From Oct 08, 2018

अस्पताल में आरक्षण : केजरीवाल सरकार की योजना पर हाई कोर्ट का आदेश आज

दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि उनको सोमवार तक का समय दिया जाए जिससे वह अपनी बात पूरे तथ्यों के साथ कोर्ट के सामने रख पाएं.

अस्पताल में आरक्षण : केजरीवाल सरकार की योजना पर हाई कोर्ट का आदेश आज
नई दिल्‍ली: दिल्ली हाई कोर्ट आज दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की अस्पताल में आरक्षण योजना पर कोई आदेश दे सकता है. इस मामले पर बीते गुरुवार को जब सुनवाई हुई थी तो हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी कामेश्वर राव की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा था कि 'अगर दूसरे राज्य भी यही करना शुरू कर दें तो पूरे देश में अफरा-तफरी मच जाएगी. आप इसको वापस लें या हम इस पर रोक लगा देंगे. इस सर्कुलर को एक क्षण भी जारी रहने नहीं दिया जा सकता.'

इसके जवाब में दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि उनको सोमवार तक का समय दिया जाए जिससे वह अपनी बात पूरे तथ्यों के साथ कोर्ट के सामने रख पाएं और गुजारिश की कि तब तक इस मुद्दे पर कोर्ट कोई आदेश पास ना करे. यानी सोमवार को अगर दिल्ली सरकार कोर्ट को कोई संतोषजनक जवाब देने में नाकाम रही तो संभावना है कि कोर्ट उसकी इस योजना पर रोक लगा दे.

क्या है योजना?
दरअसल 1 अक्टूबर से दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में दिल्ली वालों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है. पायलट योजना के तहत इस अस्पताल में 80 फ़ीसदी ओपीडी और बेड केवल दिल्ली वालों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं. यही नहीं, अस्पताल में मुफ्त दवाएं और मुफ्त टेस्ट भी केवल दिल्ली वालों के ही होंगे. दिल्ली से बाहर के मरीजों के लिए केवल कंसलटेंसी और इमरजेंसी सेवाएं रखी गई हैं.

क्या है आपत्ति?
जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता और मशहूर वकील अशोक अग्रवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके इस योजना पर रोक लगाने की मांग की है. अशोक अग्रवाल के मुताबिक यह आदेश मनमाना है और लोगों को स्वास्थ्य सेवा के मौलिक अधिकार से वंचित करता है. पूरे देश में कहीं पर भी इस तरह का भेदभाव अस्पताल मरीज के साथ नहीं करता है.

क्या हैं इस योजना के बाद के हालात?
1 अक्टूबर से लागू हुई इस योजना के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. अस्पताल के मुताबिक लगभग 50 फ़ीसदी मरीजों का लोड अब कम हो गया है. पहले जहां आठ से नौ हजार ओपीडी रोजाना हुआ करती थी अब वह घटकर लगभग पांच हज़ार पर आ गई है और इन पांच हज़ार में से तीन हज़ार लोग दिल्ली के हैं जबकि दो हजार लोग दिल्ली से बाहर के.

गुरु तेग बहादुर अस्पताल से लगभग 500 मीटर की दूरी पर बने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल में मरीजों का लोड बढ़ गया है. अस्पताल के मुताबिक पहले जहां दो हजार ओपीडी रोजाना हुआ करती थी अब लगभग तीन हज़ार ओपीडी रोजाना हो रही है. अस्पताल का यह भी कहना है कि मरीजों के इस बड़े लोड को संभालने में वह सक्षम नहीं है.

परेशान हैं मरीज़
गुरु तेग बहादुर अस्पताल उत्तर पूर्वी दिल्ली में दिल्ली यूपी बॉर्डर के पास है इसलिए यहां पर गाजियाबाद और बागपत जिले के मरीज काफी संख्या में आते हैं. लेकिन जब से उनको मुफ्त दवा, मुफ्त टेस्ट के लिए मना किया जा रहा है और बेड भी केवल 20% ही इनके लिए रखे गए हैं, तब से मरीज और उनके तीमारदार नाराज हैं उनका कहना है कि केजरीवाल सरकार का यह फैसला गलत है अगर उत्तर प्रदेश भी दिल्ली को सप्लाई होने वाला पानी बिजली और सब्जी अनाज आदि रोक दे तो दिल्ली का क्या होगा? जबकि दिल्ली के मरीज खुश हैं. उनका कहना है कि उनको इस योजना के बाद अस्पताल में कम समय में ही डॉक्टर के पास अपना मर्ज दिखाने का मौका मिल रहा है और दवाई भी पहले से बहुत जल्दी मिल जा रही है.

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