
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक खंड के 100 मीटर के दायरे में प्रदर्शन नहीं करने के न्यायिक आदेश का जानबूझकर पालन नहीं करने पर जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों पर जुर्माना लगाया. न्यायमूर्ति वी के राव ने प्रत्येक छात्र नेताओं पर दो-दो हजार रूपये का जुर्माना लगाया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की ओर से दायर की गयी अवमानना याचिका पर अदालत ने यह आदेश दिया. अवमानना याचिका में प्रशासनिक खंड तक पहुंच बाधित नहीं करने के उच्च न्यायालय के नौ अगस्त 2017 के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.
यह भी पढ़ें: मध्य एशिया से आया मोधुल हाउंड कुत्ता कांग्रेस को कैसे सिखाएगा देशभक्ति
अदालत ने जेएनयू की याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि दो हफ्ते में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास जुर्माने की रकम जमा करायी जाए. केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा के जरिए दायर याचिका में विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि छात्र संघ के पदाधिकारियों ने इस साल 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया.
VIDEO: प्राइम टाइम : आम लोगों की क्यों नहीं सुनती सरकारें?
विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि छात्रों ने कैंपस में ‘‘ खौफ का माहौल’’ बना दिया और उपस्थिति अनिवार्य करने के मुद्दे के खिलाफ जन हस्ताक्षर अभियान चलाया. जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने आरोपों से इंकार किया है. छात्रों ने 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति के मुद्दे पर कुलपति से मुलाकात की मांग करते हुए कथित तौर पर प्रशासनिक भवन को अवरूद्ध कर दिया और कथित रूप से दो अधिकारियों को बाहर नहीं निकलने दिया था.
यह भी पढ़ें: मध्य एशिया से आया मोधुल हाउंड कुत्ता कांग्रेस को कैसे सिखाएगा देशभक्ति
अदालत ने जेएनयू की याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि दो हफ्ते में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के पास जुर्माने की रकम जमा करायी जाए. केंद्र सरकार की स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा के जरिए दायर याचिका में विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि छात्र संघ के पदाधिकारियों ने इस साल 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया.
VIDEO: प्राइम टाइम : आम लोगों की क्यों नहीं सुनती सरकारें?
विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि छात्रों ने कैंपस में ‘‘ खौफ का माहौल’’ बना दिया और उपस्थिति अनिवार्य करने के मुद्दे के खिलाफ जन हस्ताक्षर अभियान चलाया. जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने आरोपों से इंकार किया है. छात्रों ने 15 फरवरी को आवश्यक उपस्थिति के मुद्दे पर कुलपति से मुलाकात की मांग करते हुए कथित तौर पर प्रशासनिक भवन को अवरूद्ध कर दिया और कथित रूप से दो अधिकारियों को बाहर नहीं निकलने दिया था.