नजीब जंग और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने अपने द्वारा नियुक्त किए गए 15 वकीलों की नियुक्ति रद्द करने के उपराज्यपाल नजीब जंग के फैसले को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिससे उपराज्यपाल कार्यालय एवं आप सरकार के बीच टकराव के एक और दौर की आशंका पैदा हो गई है.
हालांकि उपराज्यपाल कार्यालय ने इस कदम को लेकर केजरीवाल सरकार की आलोचना की है और कहा कि उच्च न्यायालय के चार अगस्त के फैसले के मुताबिक उपराज्यपाल सभी प्रशासनिक मुद्दों में अंतिम प्राधिकार हैं.
इससे पहले कल जंग ने उचचतम न्यायालय के 15 वकीलों के पैनल की नियुक्ति रद्द कर दी थी और इन वकीलों की नियुक्ति पर कार्योत्तर मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
उपराज्यपाल के फैसले को खारिज करने का फैसला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया. केजरीवाल सरकार ने इन 15 वकीलों को वर्ष 2014 और 2015 में उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बगैर ही नियुक्त किया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
हालांकि उपराज्यपाल कार्यालय ने इस कदम को लेकर केजरीवाल सरकार की आलोचना की है और कहा कि उच्च न्यायालय के चार अगस्त के फैसले के मुताबिक उपराज्यपाल सभी प्रशासनिक मुद्दों में अंतिम प्राधिकार हैं.
इससे पहले कल जंग ने उचचतम न्यायालय के 15 वकीलों के पैनल की नियुक्ति रद्द कर दी थी और इन वकीलों की नियुक्ति पर कार्योत्तर मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
उपराज्यपाल के फैसले को खारिज करने का फैसला मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में किया गया. केजरीवाल सरकार ने इन 15 वकीलों को वर्ष 2014 और 2015 में उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बगैर ही नियुक्त किया था.
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