करोल बाग की एक ज्वेलरी दुकान.
नई दिल्ली:
सरकार का पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के फैसले का असर हर शख्स पर पड़ा. कारोबारी जगत में सबसे ज्यादा उथल-पुथल सोने के कारोबार में दिखाई पड़ी.
इस बारे में हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि करोल बाग की ज्वेलर्स लेन में आठ नवंबर की रात में करोड़ों का कारोबार हुआ. इतनी खरीद कि कई दुकानों में सोना खत्म हो गया. यहां की मशहूर दुकान 'सुनार' में भी जेवर खत्म हो गए. अफरातफरी में लोग कुछ भी खरीदने को तैयार दिखे.
प्रवीण गोयल, सुनार के मैनेजिंग डायरेक्टर और ऑल इंडिया गोल्ड फेडरेशन के प्रेसीडेंट हैं. उन्होंने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "कल पूरी रात हमने कारोबार किया." उनके मुताबिक लोग कुछ भी खरीदना चाहते हैं. अगर सोना नहीं है तो हीरे यानी सॉलिटेर भी मांग रहे हैं.
दरअसल जैसे ही लोगों को खबर मिली कि आधी रात से 500-1000 के नोट बंद हो रहे हैं, तो वे पेट्रोल पंपों से लेकर सोने-चांदी की दुकानों तक पहुंच गए. कई दुकानें सुबह चार बजे तक खुली रहीं. अब भी सोने का कारोबार जारी है.
जानकारी के मुताबिक लोग सोना किलो के हिसाब से खरीद रहे हैं. कई सिर्फ किलो के हिसाब से बुकिंग करवा रहे हैं. 8 नवम्बर से पहले एक किलो सोने का भाव 30 लाख था जो ग्रे मार्केट में अब 47 लाख से 55 लाख तक पहुंच गया. यानी हर दस ग्राम के 47 हजार से 55 हजार के बीच.
ऐसे कई व्यापारी थे जो इस भाव में सोना बेचना नहीं चाहते थे इसलिए दुकान तो खोली लेकिन बिक्री नहीं की. मेहरा साहब पुश्तों से इस कारोबार में हैं. वे कहते हैं कि जब मार्केट में रेट तय नहीं तो वे कैसे बेचें. वीर ज्वेलर्स के मालिक आरएस मेहरा का कहना है कि "यह प्रधानमंत्री का अच्छा कदम है. हर कुछ सालों में ऐसा किया जाना चाहिए, तभी काले धन पर रोक लग पाएगी." उनके मुताबिक सोने का भाव आज कुछ तय नहीं हो पाया इसीलिए उन्होंने कुछ बेचा नहीं. उन्होंने कहा "कुछ लोग जिन्हें हमारे पैसे देने हैं वे कह रहे हैं कि पैसे ले लो. अब समझ नहीं आ रहा किस भाव पैसा लिया जाए."
यही हाल ज्यादातर छोटे दुकानदारों का है. वे तय रेट के बिना सोने की बिक्री को तैयार नहीं. वे बता रहे हैं कि घरों में नगद पैसा बचाने वाली महिलाएं भी पूछताछ कर रही हैं. रोज़ी मेहरा ने बताया कि "बहुत सारी महिलाएं फोन कर रही हैं, कह रही हैं कि कुछ भी दे दो लेकिन जब मैं पैसे नहीं ले सकती तो क्या करूं."
ज्यादातर दुकानदार प्रधानमंत्री की इस पहल से खुश हैं क्योंकि सबकी एक बार फिर दिवाली आ गई है. वैसे यह कहना गलत नहीं कि इस ज्वेलर स्ट्रीट ने इतना कारोबार दिवाली या फिर त्योहार के दौरान नहीं देखा जितना कारोबार पिछले चौबीस घंटों में देखा. वैसे यह भी कहा जाता है कि जब काले धन को सफेद करना होता है तो उसका सबसे ज्यादा निवेश सोने के व्यापार या फिर जमीन के कारोबार में ही किया जाता है.
इस बारे में हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि करोल बाग की ज्वेलर्स लेन में आठ नवंबर की रात में करोड़ों का कारोबार हुआ. इतनी खरीद कि कई दुकानों में सोना खत्म हो गया. यहां की मशहूर दुकान 'सुनार' में भी जेवर खत्म हो गए. अफरातफरी में लोग कुछ भी खरीदने को तैयार दिखे.
प्रवीण गोयल, सुनार के मैनेजिंग डायरेक्टर और ऑल इंडिया गोल्ड फेडरेशन के प्रेसीडेंट हैं. उन्होंने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "कल पूरी रात हमने कारोबार किया." उनके मुताबिक लोग कुछ भी खरीदना चाहते हैं. अगर सोना नहीं है तो हीरे यानी सॉलिटेर भी मांग रहे हैं.
दरअसल जैसे ही लोगों को खबर मिली कि आधी रात से 500-1000 के नोट बंद हो रहे हैं, तो वे पेट्रोल पंपों से लेकर सोने-चांदी की दुकानों तक पहुंच गए. कई दुकानें सुबह चार बजे तक खुली रहीं. अब भी सोने का कारोबार जारी है.
जानकारी के मुताबिक लोग सोना किलो के हिसाब से खरीद रहे हैं. कई सिर्फ किलो के हिसाब से बुकिंग करवा रहे हैं. 8 नवम्बर से पहले एक किलो सोने का भाव 30 लाख था जो ग्रे मार्केट में अब 47 लाख से 55 लाख तक पहुंच गया. यानी हर दस ग्राम के 47 हजार से 55 हजार के बीच.
ऐसे कई व्यापारी थे जो इस भाव में सोना बेचना नहीं चाहते थे इसलिए दुकान तो खोली लेकिन बिक्री नहीं की. मेहरा साहब पुश्तों से इस कारोबार में हैं. वे कहते हैं कि जब मार्केट में रेट तय नहीं तो वे कैसे बेचें. वीर ज्वेलर्स के मालिक आरएस मेहरा का कहना है कि "यह प्रधानमंत्री का अच्छा कदम है. हर कुछ सालों में ऐसा किया जाना चाहिए, तभी काले धन पर रोक लग पाएगी." उनके मुताबिक सोने का भाव आज कुछ तय नहीं हो पाया इसीलिए उन्होंने कुछ बेचा नहीं. उन्होंने कहा "कुछ लोग जिन्हें हमारे पैसे देने हैं वे कह रहे हैं कि पैसे ले लो. अब समझ नहीं आ रहा किस भाव पैसा लिया जाए."
यही हाल ज्यादातर छोटे दुकानदारों का है. वे तय रेट के बिना सोने की बिक्री को तैयार नहीं. वे बता रहे हैं कि घरों में नगद पैसा बचाने वाली महिलाएं भी पूछताछ कर रही हैं. रोज़ी मेहरा ने बताया कि "बहुत सारी महिलाएं फोन कर रही हैं, कह रही हैं कि कुछ भी दे दो लेकिन जब मैं पैसे नहीं ले सकती तो क्या करूं."
ज्यादातर दुकानदार प्रधानमंत्री की इस पहल से खुश हैं क्योंकि सबकी एक बार फिर दिवाली आ गई है. वैसे यह कहना गलत नहीं कि इस ज्वेलर स्ट्रीट ने इतना कारोबार दिवाली या फिर त्योहार के दौरान नहीं देखा जितना कारोबार पिछले चौबीस घंटों में देखा. वैसे यह भी कहा जाता है कि जब काले धन को सफेद करना होता है तो उसका सबसे ज्यादा निवेश सोने के व्यापार या फिर जमीन के कारोबार में ही किया जाता है.
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