दिल्ली विधानसभा ने सोमवार को देश में सबसे कम वेतन पाने वाले अपने सदस्यों के वेतन और भत्तों में 66 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी से संबंधित बिल को मंजूरी दे दी. मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, स्पीकर-डिप्टी स्पीकर और सदन में विपक्ष में नेता के वेतन में वृद्धि के लिए पांच अलग-अलग बिल पेश किए गए, जिन्हें सदस्यों ने मंजूरी दी. यह बिल अब अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे जाएंगे. राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को ट्वीट में लिखा, "दिल्ली विधानसभा ने आज मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, स्पीकर-डिप्टी स्पीकर और सदन में विपक्ष के नेता के वेतन और भत्तों में वृद्धि संबंधी पांच बिलों को, पिछली वेतनवृद्धि के 11 वर्ष के पास किया है. देश के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल, लागू होंगे. "
Today, @DelhiAssembly passed five bills to increase the salary & allowances of Ministers, MLAs, Chief Whip, Speaker & Dy. Speaker and Leader of Opposition after 11 long years since the last increase.These bills will come into force after approval of President of India.
— Kailash Gahlot (@kgahlot) July 4, 2022
इस दौरान सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि वेतन, बढ़ती कीमतों और विधायकों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के अनुरूप होना चाहिए. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने कहा, "प्रतिभाशाली लोगों को राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ 'पुरस्कार' होना चाहिए. आखिर कारपोरेट जगत को वेतन के कारण प्रतिभाशाली लोगों का पूल मिलता है." बीजेपी विधायक और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी वेतन वृद्धि का समर्थन किया. दिल्ली विधानसभा के एक सदस्य को इस समय वेतन और भत्ते के रूप में इस समय 54 हजार रुपये मिलते हैं जो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बढ़कर 90 हजार रुपये हो जाएंगे.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एक विधायक को इस समय वेतन के रूप में प्रति माह 12 हजार रुपये मिलते हैं तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बढ़कर 30 हजार रुपये हो जाएंगे. निर्वाचन भत्ता 18 हजार रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जाएगा जबकि conveyance allowance (परिवहन/वाहन भत्ता) छह हजार रुपये से बढ़कर 10 हजार रुपये हो जाएगा. टेलीफोन अलाउंस में दो हजार रुपये की वृद्धि होगी यह 8 हजार रुपये से बढ़कर 10 हजार रुपये हो जाएगा जबकि सचिवालय भत्ता (secretarial allowance) 10 हजार रुपये से बढ़कर 15 हजार रुपये पर पहुंच जाएगा.
एक गैर-लाभकारी संगठन पीआरएस लेजिस्लेटिव के आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के विधायकों का वेतन 55,000 रुपये है, जबकि निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, दैनिक भत्ता, सचिवीय भत्ता, टेलीफोन भत्ता क्रमशः 1,800 रुपये, 30,000 रुपये और 15,000 रुपये है.
वहीं केरल के विधायकों का वेतन दिल्ली के विधायकों की तुलना में कम है और केवल 2,000 रुपये है, जबकि उनके पास सचिवीय भत्ता भी नहीं है, जबकि पीआरएस के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 25,000 रुपये है.
तेलंगाना के विधायकों का वेतन 20,000 रुपये है लेकिन निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 2.3 लाख रुपये है, जबकि कोई अन्य भत्ता नहीं है. वहीं आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मिजोरम और पश्चिम बंगाल में विधायकों का संबंधित वेतन क्रमशः 12,000 रुपये, 30,000 रुपये, 20,000 रुपये, 25,000 रुपये, 80,000 रुपये और 10,000 रुपये है.
आंध्र प्रदेश के विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 1.13 लाख रुपये है, जबकि तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 25,000 रुपये, 1.5 लाख रुपये, 30,000 रुपये, 25,000 रुपये, 40,000 रुपये और 4,000 रुपये है.
छत्तीसगढ़ के सांसदों को अर्दली भत्ता 15,000 रुपये, चिकित्सा भत्ता 10,000 रुपये जैसे भत्ते मिलते हैं.
दिल्ली के विधायक पहले भी कई बार कम वेतन का मुद्दा उठा चुके हैं, विशेष रवि ने 2018 में यहां तक कह दिया था कि अविवाहित विधायकों को दुल्हन ढूंढना मुश्किल होता है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी सरकार ईमानदार है और उनके विधायक भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं. दिल्ली के विधायकों के वेतन और भत्ते पिछली बार 2011 में बढ़ाए गए थे.
* प्रधानमंत्री के 'न्यू इंडिया' में भक्तों से अब न्यायाधीश भी खतरे में : जयराम रमेश
* 'फ्लोर टेस्ट' में पास हुए एकनाथ शिंदे, समर्थन में पड़े 164 वोट
* Coronavirus: देश में कोरोना के 16,135 नए केस आए, 24 मरीजों की मौत
"लश्कर" के आतंकी का बीजेपी से निकला कनेक्शन, अब सफाई देने में लगी पार्टी
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं