दिल्ली के नरेला में कोरोनावायस से संक्रमितों के लिए दिल्ली सरकार की ओर से चलाए जा रहे क्वारनटाइन सेंटर की मदद के लिये अब सेना आगे आई है. यह सबसे बड़ा क्वारनटाइन सेंटर है. दिल्ली सरकार के दवाब को कम करने के लिये सेना के 40 लोगो की टीम सुबह 8 बजे से रात के 8 बजे तक रहती है. इसमें 6 मेडिकल ऑफिसर और 18 पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं. सेना के डॉक्टरों के पेशेवर तरीके से नरेला में मौजूद कोरोना पॉजिटिव मरीजों और मरकज के लोगों का दिल जीत लिया है. सुबह से लेकर रात के 8 बजे तक यहां सेना के मेडिकल स्टाफ होते हैं पर रात के 8 बजे से सुबह 8 बजे तक दिल्ली सरकार के डॉक्टर और स्टाफ रहते हैं.
नरेला के सेंटर में मार्च महीने के मध्य में दिल्ली सरकार ने कोरोना मरीजो के लिये बनाया था. शुरुआत में 250 विदेशी नागरिक, जिनमें कोरोना के लक्षण पाए गए थे उन्हें इस क्वारनटाइन सेंटर में रखा गया था. बाद में जब निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज का मामला सामने आने के बाद यहां 1000 तबलीगी जमात के लोगों को यहां लाया गया था. एक अप्रैल से सेना के डॉक्टर की टीम और नर्सिंग स्टाफ नरेला में दिल्ली सरकार के मेडिकल स्टाफ की मदद कर रहे है. लेकिन 16 अप्रैल से आर्मी ने सुबह से लेकर रात 8 बजे तक क्वारनटाइन सेंटर की जिम्मेदारी पूरी तरह से अपने ऊपर ले ली.
नरेला के क्वारनटाइन सेंटर में अभी 932 मरकज के जमाती है जिनमें से 367 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं, नरेला का ये क्वारनटाइन सेंटर वही सेंटर है जहां तबलीकि जमात के लोगों द्वारा मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया था. बड़ी बात नरेला के क़वारन्टीन सेंटर में सेना और नागरिक प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल से काम हो रहा है. सेना के मुताबिक पूरे इच्छाशक्ति के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रहित में अपना योगदान देती रहेगी.
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