प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए हुई परीक्षा में एक सवाल में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जिसके चलते विवाद खड़ा हो गया है और दिल्ली सरकार इस शब्द के इस्तेमाल से नाराज़ है. दरअसल दिल्ली में शनिवार को दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में एमसीडी में प्राइमरी टीचर के लिए परीक्षा कराई जिसमें हिंदी भाषा और बोध वाले प्रश्नपत्र में एक सवाल पूछा गया कि "पंडित : पंडिताइन तो चमार : क्या होगा?
इसके उत्तर में चार विकल्प थे
'चमाराइन
चमारिन
चमारी
चामिर.
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल जातियों के नाम लेना भी कानूनन अपराध माना जाता है. यही नहीं, हाल ही में देश के एक उच्च न्यायालय ने भी दलित शब्द के इस्तेमाल तक पर रोक लगाई है और केवल अनुसूचित जाति शब्द इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. ऐसे में जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल परीक्षा में किया जाना आपत्तिजनक तो है ही, साथ ही सवालिया निशान लगाता है कि आखिर कैसे इतने ऊंचे स्तर पर ये चूक हुई?
जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB ने खेद जताया
उधर जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB ने खेद जताया और कहा कि इवैलुएशन के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं करेंगे. बोर्ड ने कहा, 'दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के संज्ञान में आया है कि हाल में एमसीडी प्राइमरी टीचर के लिए जो परीक्षा हुई उसमें एक सवाल में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो अनजाने में हुई गलती है. इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि पेपर सेट करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और पेपर का कंटेंट बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है. पेपर के अंदर क्या था यह उम्मीदवारों के सामने ही पहली बार सामने आया. जिस प्रश्न से समाज के किसी वर्ग विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचती है उसके लिए हमें खेद है. पेपर की जांच के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं किया जाएगा. बोर्ड कदम उठा रहा है जिससे कि पेपर सेट करने वाले लोगों को इस विषय के बारे में जागरुक बनाया जा सके और भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएं ना हो.
इसके उत्तर में चार विकल्प थे
'चमाराइन
चमारिन
चमारी
चामिर.
राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि सर्विस डिपार्टमेंट अभी भी उपराज्यपाल के अधीन है और इसी डिपार्टमेंट के DSSSB विभाग द्वारा ली जाने वाली प्राइमरी टीचर की प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न संख्या 61 पर पूछे जाने वाले सवाल का क्या मतलब है. सोमवार को मुख्य सचिव से मिलकर बात करूंगा कि इस पर संज्ञान लें और इसकी अंतरिम जांच हो कि आखिर ऐसा किसके इशारे पर हुआ, उन पर मुकदमा दर्ज किया जाए.
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति की लिस्ट में शामिल जातियों के नाम लेना भी कानूनन अपराध माना जाता है. यही नहीं, हाल ही में देश के एक उच्च न्यायालय ने भी दलित शब्द के इस्तेमाल तक पर रोक लगाई है और केवल अनुसूचित जाति शब्द इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है. ऐसे में जाति सूचक शब्द का इस्तेमाल परीक्षा में किया जाना आपत्तिजनक तो है ही, साथ ही सवालिया निशान लगाता है कि आखिर कैसे इतने ऊंचे स्तर पर ये चूक हुई?
जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB ने खेद जताया
उधर जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल पर DSSSB ने खेद जताया और कहा कि इवैलुएशन के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं करेंगे. बोर्ड ने कहा, 'दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के संज्ञान में आया है कि हाल में एमसीडी प्राइमरी टीचर के लिए जो परीक्षा हुई उसमें एक सवाल में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो अनजाने में हुई गलती है. इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि पेपर सेट करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय होती है और पेपर का कंटेंट बोर्ड के अधिकारियों के साथ साझा नहीं किया जाता है. पेपर के अंदर क्या था यह उम्मीदवारों के सामने ही पहली बार सामने आया. जिस प्रश्न से समाज के किसी वर्ग विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचती है उसके लिए हमें खेद है. पेपर की जांच के दौरान इस प्रश्न को काउंट नहीं किया जाएगा. बोर्ड कदम उठा रहा है जिससे कि पेपर सेट करने वाले लोगों को इस विषय के बारे में जागरुक बनाया जा सके और भविष्य में दोबारा ऐसी घटनाएं ना हो.
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