अरविंद केजरीवाल पर जूता फेंकने वाला शख्स वेदप्रकाश (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर संवाददाता सम्मेलन में पिछले हफ्ते जूता फेंकने वाले व्यक्ति को महानगर की अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया है और कहा कि इस तरह के कृत्यों के लिए कड़े दंड की जरूरत है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाषा मल्होत्रा ने 28 वर्षीय वेदप्रकाश को जमानत देने से इंकार कर दिया और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वह आम आदमी सेना का राष्ट्रीय महासचिव है।
संवैधानिक पदों का सम्मान करने की जरूरत
मजिस्ट्रेट ने जमानत याचिका पर फैसला देते हुए कहा, ‘‘किसी का किसी से मतभेद हो सकता है लेकिन संवैधानिक पदों का सम्मान करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का निर्वाचन आम आदमी करता है। इस कृत्य पर मैं नाखुशी जाहिर करती हूं। इस तरह के कृत्यों के लिए कड़े दंड की जरूरत है।’’ एक दिन की न्यायिक हिरासत अवधि खत्म होने के बाद प्रकाश को अदालत में पेश किया गया था।
अदालत ने उससे उसके अपराध के बारे में पूछा। इस पर उसने कहा कि केंद्रों पर सीएनजी स्टीकरों के वितरण में कथित अनियमितताओं का उसने स्टिंग ऑपरेशन किया था और इस बारे में दिल्ली सरकार को सूचित किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आरोपी का दावा, वह केजरीवाल से क्षुब्ध था
उसने दावा किया कि कथित अनियमितता में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण वह केजरीवाल से क्षुब्ध था और इसी कारण उसने जूता फेंका। मजिस्ट्रेट ने उसके व्यवहार से नाखुशी जताई और कहा कि वह कानूनी प्रक्रिया से अपनी शिकायतों को रख सकता था। अदालत ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कार्यालय के अलावा अन्य विभाग भी आपकी शिकायतें सुन सकते थे। इस तरह का अशोभनीय कदम उठाने के बजाए आपको दूसरे पदाधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था।’’ इसने कहा कि कड़ा दंड मिलना चाहिए ताकि लोग इस तरह का कृत्य करने की हिमाकत नहीं करें।
अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि मुख्यमंत्री पर जूता फेंका गया और प्रकाश को अपनी शिकायतों के साथ उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र पर हमला हैं। जिरह के दौरान प्रकाश की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप राणा ने इस आधार पर जमानत की मांग की कि भादंसं (आईपीसी) की धारा 353 के अलावा उस पर लगाई गई अन्य धाराएं जमानत योग्य हैं। लोक सेवक के काम में बाधा डालने के लिए उस पर हमला करने के मामले में धारा 353 लगाई जाती है। उन्होंने तर्क दिया कि घटना का वीडियो दिखाता है कि ध्यान आकषिर्त करने के लिए हवा में जूता फेंका गया था और मुख्यमंत्री पर प्रहार करने की मंशा नहीं थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाषा मल्होत्रा ने 28 वर्षीय वेदप्रकाश को जमानत देने से इंकार कर दिया और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वह आम आदमी सेना का राष्ट्रीय महासचिव है।
संवैधानिक पदों का सम्मान करने की जरूरत
मजिस्ट्रेट ने जमानत याचिका पर फैसला देते हुए कहा, ‘‘किसी का किसी से मतभेद हो सकता है लेकिन संवैधानिक पदों का सम्मान करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का निर्वाचन आम आदमी करता है। इस कृत्य पर मैं नाखुशी जाहिर करती हूं। इस तरह के कृत्यों के लिए कड़े दंड की जरूरत है।’’ एक दिन की न्यायिक हिरासत अवधि खत्म होने के बाद प्रकाश को अदालत में पेश किया गया था।
अदालत ने उससे उसके अपराध के बारे में पूछा। इस पर उसने कहा कि केंद्रों पर सीएनजी स्टीकरों के वितरण में कथित अनियमितताओं का उसने स्टिंग ऑपरेशन किया था और इस बारे में दिल्ली सरकार को सूचित किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आरोपी का दावा, वह केजरीवाल से क्षुब्ध था
उसने दावा किया कि कथित अनियमितता में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण वह केजरीवाल से क्षुब्ध था और इसी कारण उसने जूता फेंका। मजिस्ट्रेट ने उसके व्यवहार से नाखुशी जताई और कहा कि वह कानूनी प्रक्रिया से अपनी शिकायतों को रख सकता था। अदालत ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कार्यालय के अलावा अन्य विभाग भी आपकी शिकायतें सुन सकते थे। इस तरह का अशोभनीय कदम उठाने के बजाए आपको दूसरे पदाधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था।’’ इसने कहा कि कड़ा दंड मिलना चाहिए ताकि लोग इस तरह का कृत्य करने की हिमाकत नहीं करें।
अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि मुख्यमंत्री पर जूता फेंका गया और प्रकाश को अपनी शिकायतों के साथ उपयुक्त अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र पर हमला हैं। जिरह के दौरान प्रकाश की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप राणा ने इस आधार पर जमानत की मांग की कि भादंसं (आईपीसी) की धारा 353 के अलावा उस पर लगाई गई अन्य धाराएं जमानत योग्य हैं। लोक सेवक के काम में बाधा डालने के लिए उस पर हमला करने के मामले में धारा 353 लगाई जाती है। उन्होंने तर्क दिया कि घटना का वीडियो दिखाता है कि ध्यान आकषिर्त करने के लिए हवा में जूता फेंका गया था और मुख्यमंत्री पर प्रहार करने की मंशा नहीं थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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