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कांग्रेस के बहाने बीजेपी पर निशाना... वोट से पहले केजरीवाल का गेम क्या है

Arvind Kejriwal Vote Plan: अरविंद केजरीवाल को पता है कि बीजेपी के वोट तो एकतरफा पड़ेंगे. अगर कांग्रेस के वोट हर बार की तरह इस बार भी उन्हें मिल गए तो उनकी नैया पार हो जाएगी. क्या कांग्रेस को वोट पड़ने से बीजेपी को फायदा होगा... जानिए...

कांग्रेस के बहाने बीजेपी पर निशाना... वोट से पहले केजरीवाल का गेम क्या है
Arvind Kejriwal Vote Plan: अरविंद केजरीवाल इस चुनाव में कांग्रेस पर बेहद आक्रामक हैं.

Arvind Kejriwal Vote Plan: अरविंद केजरीवाल क्या टेंशन में हैं? ये सवाल इसलिए कि उनके चेहरे पर वो रौनक, वो खिलखिलाहट इस बार के चुनाव में नहीं दिख रही, जो पिछले विधानसभा चुनावों तक दिखा करती थी. पिछले चुनावों तक वो बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) को ऐसे खारिज करते थे, जैसे कोई आंधी पत्तों को अपने सामने. मगर इस बार हालात बदल गए हैं, जज्बात बदल गए हैं. अरविंद केजरीवाल कांग्रेस पर बहुत गुस्सा दिखा रहे हैं. पहले टिकट वितरण में कांग्रेस ने पूर्व शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित समेत कई मजबूत उम्मीदवारों को टिकट दे दिया और फिर राहुल गांधी तक एक के बाद एक सियासी हमले कर रहे हैं. इससे केजरीवाल की टेंशन बढ़ गई है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कांग्रेस के मजबूत होने से उन्हें फायदा होगा या नुकसान...

कांग्रेस के वोट कहां गए 

दरअसल, 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुछ वोट बैंक को छीनकर अरविंद केजरीवाल 29.5 फीसदी मत बटोर गए. उन्हें 28 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी ने 33.1 फीसदी वोट लाकर 31 सीटें जीत लीं. मगर बहुमत से 5 सीट पीछे रह गई और केजरीवाल ने कांग्रेस का समर्थन न लेने वाली अपने बच्चों की कसम तोड़कर कांग्रेस के गठबंधन से सरकार बना ली. कांग्रेस ने इस चुनाव में 24.6 फीसदी वोट लाए और 8 सीटें जीतीं थीं. हालांकि, 2 महीने बाद ही फिर कांग्रेस पर ही आरोप लगाकर सरकार गिरा दी.  

फिर हुआ 2015 का चुनाव

इस विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 54.3 फीसदी मत मिले और उसने 67 सीटें जीत लीं. बीजेपी 32.2 फीसदी मत लाकर भी महज 3 सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं कांग्रेस 9.7 फीसदी मत लाकर भी एक सीट तक नहीं जीत पाई. साफ है कि कांग्रेस के मत आम आदमी पार्टी (AAP) की तरफ शिफ्ट हुए. 2008 के चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 40.3 फीसदी था और उसने 43 सीटें जीती थीं और बीजेपी के 36.3 प्रतिशत. जाहिर है दोनों के वोट आप को ट्रांसफर हुए, लेकिन कांग्रेस को ज्यादा झटका लगा. 

2020 में क्या हुआ

2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तो अपना मत प्रतिशत पा लिया लेकिन कांग्रेस ने अपना और मत प्रतिशत गंवा दिया. कांग्रेस को 4.3 फीसदी मत मिले और सीटें जीरो. बीजेपी  38.5 फीसदी मत लाकर भी 8 सीटों पर ही रुक गई. वहीं आप 53.6 फीसदी मत लाकर 62 सीटें झटकने में कामयाब रही.

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कांग्रेस को वोट पड़े तो क्या बीजेपी जीतेगी

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साफ है कि इन चुनावों के नजरिए से देखें तो कांग्रेस का वोट बैंक अगर वापस लौटा तो केजरीवाल की पार्टी को नुकसान होगा. मगर इन आंकड़ों का एक दूसरा पहलू भी है. 10 साल से ज्यादा सत्ता में रहने और तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी की इमेज को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. एंटी इनकंबेंसी के अलावा कांग्रेस और बीजेपी के उठाए शीशमहल, शराब घोटाला, पानी की किल्लत, युमना में गंदगी, दूषित पानी की सप्लाई, जर्जर सड़कें, कूड़े के ढेर जैसे मुद्दों से केजरीवाल और आप घिरे हुए दिख रहे हैं. ऐसे में कई विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि अगर कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ती है और उसका वोट प्रतिशत बढ़ता है तो जरूरी नहीं है कि बीजेपी को ही फायदा हो. कारण ये है कि चुनाव का मुख्य मुद्दा केजरीवाल ही हैं. या तो लोग केजरीवाल को वोट देना चाहते हैं या नहीं. तो अगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो ये वोट केजरीवाल का विरोधी वोट ही होगा. वो बीजेपी को वोट न देकर कांग्रेस को वोट देगा. इससे बीजेपी को नुकसान होगा. हालांकि, केजरीवाल की चाहत ये है कि उनका विरोधी वोट भी बिजली-पानी पर छूट के कारण उन्हें ही वोट दे. ऐसे ही वोटरों के लिए वो लगातार अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि बीजेपी आ गई तो मुफ्त बिजली-पानी योजना बंद कर देगी.

मुस्लिम वोटों के कारण सबसे ज्यादा डर

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केजरीवाल को कांग्रेस से सबसे ज्यादा डर मुस्लिम मतदाताओं और मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर लग रहा है. दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में देखा गया कि कांग्रेस को मुसलमानों ने जमकर वोट दिया. केजरीवाल को पता है कि मुस्लिम बीजेपी को तो वोट देंगे नहीं. चाहे उनसे कितनी भी नाराजगी हो. अगर कांग्रेस मजबूती से लड़ती दिखी तो इन सीटों पर कांग्रेस को मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है और कांग्रेस कुछ सीटें झटक सकती है. ऐसे में अब तक दिल्ली पर एकतरफा राज करते आ रहे केजरीवाल को या तो कांग्रेस और बीजेपी के जरिए मजबूत विपक्ष से सामना करना पड़ेगा या फिर कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ेगी. जाहिर है केजरीवाल के लिए दोनों ही ऑप्शन किसी बुरे सपने से कम नहीं. यही कारण है कि वो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं.  

कांग्रेस समर्थकों से आज क्या कहा

अरविंद केजरीवाल ने वीडियो पोस्ट कर आज कहा, "मैं कांग्रेस पार्टी के समर्थकों से कुछ बात कहना चाहता हूं. वो मजबूर हैं, लेकिन वो काफी दुखी थे.(कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अपनी बातचीत का दावा करते हुए बता रहे हैं, लेकिन वीडियो एडिट कर दिया गया है) बोले आज कि कांग्रेस वो नहीं, जो पहले थी. अब तो इनके नेता आपस में ही लड़ते रहते हैं. बोले हरियाणा का हाल देख लो. जीता हुआ चुनाव हार गई कांग्रेस. सारे कांग्रेस समर्थकों ने सर पकड़ लिया. जितना कांग्रेस का समर्थक कांग्रेस को जिताने की कोशिश करता है, कांग्रेस के नेता उतना ही हराने में लगे रहते हैं. साफ दिख रहा है सबको कि कांग्रेस का एक ही मकसद है. कैसे भी आम आदमी पार्टी को हराना. कांग्रेस एक भी सीट जीतने के लिए नहीं लड़ रही...." जाहिर है केजरीवाल कांग्रेस के समर्थकों को बीजेपी का डर दिखाकर अपनी तरफ करना चाह रहे हैं. बस यही कारण है कि वो कांग्रेस से खफा-खफा से हैं. 

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