दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) के नजदीक आते ही चुनावी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं. आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) जनता के बीच जाकर अपने काम के आधार पर वोट मांगने की बात कह रही है. अब AAP ने विधानसभा चुनाव के लिए देश के मशहूर पेशेवर राजनीतिक रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) से हाथ मिलाया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शनिवार सुबह इसकी जानकारी देते हुए एक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'ये बताते हुए खुशी हो रही है कि इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) हमारे साथ आ रही है. आपका स्वागत है.'
Happy to share that @indianpac is coming on-board with us. Welcome aboard!
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 14, 2019
बताते चलें कि I-PAC प्रशांत किशोर की एजेंसी है, जो औपचारिक रूप से राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार करती है. यानी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. एनडीटीवी इंडिया को सूत्रों से पता चला है कि प्रशांत किशोर और अरविंद केजरीवाल की बातचीत बहुत लंबे समय से चल रही थी. केजरीवाल और किशोर ने उस समय औपचारिक रूप से हाथ मिलाया है, जब किशोर अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का सार्वजनिक तौर पर नागरिकता संशोधन बिल पर विरोध कर रहे हैं और सवाल भी उठा रहे हैं. फिलहाल यह भी देखना होगा कि प्रशांत किशोर जनता दल यूनाइटेड में कब तक रहते हैं. गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए चुनाव प्रचार किया और नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री बने.
After Punjab results, we acknowledged you as the toughest opponent that we have ever faced. Happy to join forces now with @ArvindKejriwal and @AamAadmiParty. https://t.co/5Rcz4ie6Xs
— I-PAC (@IndianPAC) December 14, 2019
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किशोर ने 2015 में नीतीश कुमार के लिए चुनाव प्रचार किया तो नीतीश कुमार महागठबंधन में बड़े बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने. 2017 में पंजाब कांग्रेस के लिए प्रचार किया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह लगभग दो तिहाई बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने. 2019 में आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी के लिए काम किया तो जबरदस्त और प्रचंड बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने. प्रशांत किशोर ने 2017 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए भी प्रचार किया था लेकिन बाद में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया. जिसके बाद कांग्रेस को अपने इतिहास की सबसे करारी हार और सबसे कम सीट देखने को मिली. एक यूपी को छोड़कर किशोर ने हर जगह जिसके लिए काम किया उसकी सरकार बनी. इस समय वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ भी काम कर रहे हैं.
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