
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दोनों सरकारें स्वच्छ पर्यावरण बनाने की कोशिश कर ही नहीं रही हैं। अधिकारियों की नियुक्ति हुई ही नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आप स्वच्छ पर्यावरण के लिए कदम नहीं उठाएंगे तो हम अवमानना की कार्रवाई करेंगे। इस तरीके से अगर सरकारों और अधिकारियों का एट्टीट्यूड रहा तो पूरा सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा।
दिल्ली सरकार का दुखड़ा, अधिकारी सुनते ही नहीं
दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि अधिकारी उनकी बात सुनते ही नहीं। अदालत ने कहा कि जो नहीं सुनते उन्हें निकालिए। इस पर सरकार ने कहा कि इसकी प्रक्रिया चल रही है। हाल ही के दिनों में हुए अधिकारियों के विवाद को लेकर पूरे सिस्टम को लकवा मार गया है। कुछ ऐसी चीजे हैं जो हमारे काबू के बाहर हैं। हम स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
प्रदूषण को लेकर मास्टर प्लान नहीं बना
दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा कि 21 दिसंबर को कोर्ट के आदेश के बाद प्रदूषण पर काबू पाने के लिए पड़ोसी राज्यों और संबधित एजेंसियों की बैठक बुलाई गई या नहीं? हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार के वकीलों से कहा कि आप लोग अपने मंत्री की भी नहीं सुनते क्योंकि अप्रैल 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण के मास्टर प्लान के लिए बैठक बुलाई थी। प्लान बनाने को कहा, लेकिन कोई प्लान बना ही नहीं।
बैट्री से चल सकते हैं सारे दोपहिया वाहन
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सारे दोपहिया वाहनों को बैट्री या इलेक्ट्रिक में परिवर्तित करना अनिवार्य किया जा सकता है। ऑड-ईवन का एक सकारात्मक असर यह भी पड़ा है कि सड़कों पर वाहनों की तादाद में कमी आई है। आम जनता की भी भूमिका सकारात्मक रही है। उन्होंने इस स्कीम में सहयोग किया है। हालांकि सोमवार को जब यह स्कीम खत्म होगी तब की दिक्कतों से निपटने के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन स्कीम को प्रचारित किया उसी तरह ट्रैफिक पुलिस नियमों का पालन करने के लिए प्रचार करे।
सरकार के आदेश निरस्त कर देते हैं एलजी
हाईकोर्ट ने वातावरण में सभी गैसों के अनुपात को लेकर सारी संबंधित एजेंसियों से डाटा कोर्ट में जमा करने को कहा है। दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि दिसंबर, जनवरी, मई, जून और दीवाली के आसपास दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सर्वाधिक रहता है। सरकार ने एक बार फिर दोहराया कि पर्यावरण सुधारने से संबधित कदम वह नहीं उठा पा रही है क्योंकि उसके पास अधिकारी हैं ही नहीं। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि एलजी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर उन आदेशों को पास कर रहे हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। काम न करने वाले उन अधिकारियों को हम सस्पेंड करते हैं, एलजी हमारे आदेशों को ही निरस्त कर देते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इन्होंने स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्रदूषण से संबधित रिपोर्ट पिछले पांच साल में मांगी ही नहीं। अदालत ने दोनों पॉल्यूशन बोर्डों को प्रदूषण पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
ऑड-ईवन फॉर्मूला सफल रहा
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि ऑड-ईवन फार्मूला दिल्ली में बेहद सफल रहा, क्योंकि लोगों ने सहयोग किया। दो हजार का जुर्माना भी ज्यादा था। ट्रैफिक पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि सौ रुपए का चालान काफी नहीं है। जुर्माने की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। दिल्ली सरकार को यह करना है।
हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिया कि फरीदाबाद के रास्ते में जहां सड़क बनाने का काम चल रहा है वहां वह प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कदम उठाए। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
दिल्ली सरकार का दुखड़ा, अधिकारी सुनते ही नहीं
दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि अधिकारी उनकी बात सुनते ही नहीं। अदालत ने कहा कि जो नहीं सुनते उन्हें निकालिए। इस पर सरकार ने कहा कि इसकी प्रक्रिया चल रही है। हाल ही के दिनों में हुए अधिकारियों के विवाद को लेकर पूरे सिस्टम को लकवा मार गया है। कुछ ऐसी चीजे हैं जो हमारे काबू के बाहर हैं। हम स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
प्रदूषण को लेकर मास्टर प्लान नहीं बना
दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा कि 21 दिसंबर को कोर्ट के आदेश के बाद प्रदूषण पर काबू पाने के लिए पड़ोसी राज्यों और संबधित एजेंसियों की बैठक बुलाई गई या नहीं? हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार के वकीलों से कहा कि आप लोग अपने मंत्री की भी नहीं सुनते क्योंकि अप्रैल 2015 में पर्यावरण मंत्रालय ने प्रदूषण के मास्टर प्लान के लिए बैठक बुलाई थी। प्लान बनाने को कहा, लेकिन कोई प्लान बना ही नहीं।
बैट्री से चल सकते हैं सारे दोपहिया वाहन
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सारे दोपहिया वाहनों को बैट्री या इलेक्ट्रिक में परिवर्तित करना अनिवार्य किया जा सकता है। ऑड-ईवन का एक सकारात्मक असर यह भी पड़ा है कि सड़कों पर वाहनों की तादाद में कमी आई है। आम जनता की भी भूमिका सकारात्मक रही है। उन्होंने इस स्कीम में सहयोग किया है। हालांकि सोमवार को जब यह स्कीम खत्म होगी तब की दिक्कतों से निपटने के लिए सरकार को तैयार रहना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन स्कीम को प्रचारित किया उसी तरह ट्रैफिक पुलिस नियमों का पालन करने के लिए प्रचार करे।
सरकार के आदेश निरस्त कर देते हैं एलजी
हाईकोर्ट ने वातावरण में सभी गैसों के अनुपात को लेकर सारी संबंधित एजेंसियों से डाटा कोर्ट में जमा करने को कहा है। दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि दिसंबर, जनवरी, मई, जून और दीवाली के आसपास दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सर्वाधिक रहता है। सरकार ने एक बार फिर दोहराया कि पर्यावरण सुधारने से संबधित कदम वह नहीं उठा पा रही है क्योंकि उसके पास अधिकारी हैं ही नहीं। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि एलजी और दिल्ली पुलिस कमिश्नर उन आदेशों को पास कर रहे हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। काम न करने वाले उन अधिकारियों को हम सस्पेंड करते हैं, एलजी हमारे आदेशों को ही निरस्त कर देते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी फटकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इन्होंने स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्रदूषण से संबधित रिपोर्ट पिछले पांच साल में मांगी ही नहीं। अदालत ने दोनों पॉल्यूशन बोर्डों को प्रदूषण पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
ऑड-ईवन फॉर्मूला सफल रहा
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि ऑड-ईवन फार्मूला दिल्ली में बेहद सफल रहा, क्योंकि लोगों ने सहयोग किया। दो हजार का जुर्माना भी ज्यादा था। ट्रैफिक पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया कि सौ रुपए का चालान काफी नहीं है। जुर्माने की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। दिल्ली सरकार को यह करना है।
हाईकोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिया कि फरीदाबाद के रास्ते में जहां सड़क बनाने का काम चल रहा है वहां वह प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कदम उठाए। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
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