नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी के विधायक प्रवीण कुमार राजधानी दिल्ली के जंगपुरा इलाके में अपने दो बेडरूम के अपार्टमेंट का मुआयना कराते हुए कहते हैं कि वह अपने चार दोस्तों के साथ 10,000 रुपये किराया देकर यहां रहते हैं। यहां न तो एयर कंडीशनर है, न ही कोई वाटर कूलर है। यहां तक कि कोई बेड भी नहीं है।
28 साल के प्रवीण कुमार आम आदमी पार्टी के उन 21 विधायकों में शामिल हैं जिनका भविष्य राष्ट्रपति द्वारा अरविंद केजरीवाल सरकार के लाभ के पद का बिल ठुकरा दिए जाने के बाद अधर में लटका हुआ है। दो बार के विधायक प्रवीण कुमार कहते हैं, मैं इस फ्लैट में अपने चार दोस्तों के साथ पिछले चार से रह रहा हूं। हमने अपने एक रूम को दफ्तर बना रखा है और दूसरे रूम के फर्श पर हम सोते हैं। मैं चाहता हूं कि बीजेपी आकर देखे कि यह मेरा 'लाभ के पद' का दफ्तर है, यह मेरा आलीशान बंगला है।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवीण कुमार और 20 अन्य को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। दो महीने बाद दिल्ली सरकार ने जो बिल पास किया, उसे राष्ट्रपति ने सोमवार को खारिज कर दिया। यह बिल विधायकों को लाभ का पद से बचाने को लेकर था। अब इन विधायकों को अयोग्य होने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी और कांग्रेस ने कहा है कि राष्ट्रपति की 'ना' का मतलब है कि 'आप' के विधायक अयोग्य हो चुके हैं और अब इन सीटों के लिए ताजा चुनाव कराए जाएं।
प्राय: एक संसदीय सचिव का दर्जा मंत्री का होता है, और कई राज्यों में ये पद उन विधायकों को दिए जाते हैं, जिन्हें मंत्री नहीं बनाया गया हो। पंजाब में 24 संसदीय सचिव हैं, जबकि गुजरात में पांच। राज्यों में इस पद के लिए अच्छी सैलरी भी मिलती है।
केजरीवाल ने सवाल उठाया है कि दूसरे राज्यों से जवाब तलब क्यों नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विधायक संसदीय सचिव के रूप में मुफ्त में काम कर रहे हैं और जल आपूर्ति, बिजली, अस्पतालों और स्कूलों के संचालन का काम देख रहे हैं और इस तरह वे कोई लाभ का पद नहीं संभाल रहे हैं। उदाहरण के लिए प्रवीण कुमार शिक्षा से जुड़े काम देख रहे हैं।
कांग्रेस नेता अजय माकन का कहना है कि यह कोई मुद्दा नहीं है कि उन्होंने (आप विधायकों ने) सुविधाएं ली या नहीं। यह लाभ का पद है और इससे पहले जया बच्चन जैसी सांसद को ऐसे ही मामले में त्यागपत्र देना पड़ा था। मौजूदा स्थिति में तुरंत ही उपचुनाव कराए जाने चाहिए।
28 साल के प्रवीण कुमार आम आदमी पार्टी के उन 21 विधायकों में शामिल हैं जिनका भविष्य राष्ट्रपति द्वारा अरविंद केजरीवाल सरकार के लाभ के पद का बिल ठुकरा दिए जाने के बाद अधर में लटका हुआ है। दो बार के विधायक प्रवीण कुमार कहते हैं, मैं इस फ्लैट में अपने चार दोस्तों के साथ पिछले चार से रह रहा हूं। हमने अपने एक रूम को दफ्तर बना रखा है और दूसरे रूम के फर्श पर हम सोते हैं। मैं चाहता हूं कि बीजेपी आकर देखे कि यह मेरा 'लाभ के पद' का दफ्तर है, यह मेरा आलीशान बंगला है।
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवीण कुमार और 20 अन्य को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। दो महीने बाद दिल्ली सरकार ने जो बिल पास किया, उसे राष्ट्रपति ने सोमवार को खारिज कर दिया। यह बिल विधायकों को लाभ का पद से बचाने को लेकर था। अब इन विधायकों को अयोग्य होने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी और कांग्रेस ने कहा है कि राष्ट्रपति की 'ना' का मतलब है कि 'आप' के विधायक अयोग्य हो चुके हैं और अब इन सीटों के लिए ताजा चुनाव कराए जाएं।
प्राय: एक संसदीय सचिव का दर्जा मंत्री का होता है, और कई राज्यों में ये पद उन विधायकों को दिए जाते हैं, जिन्हें मंत्री नहीं बनाया गया हो। पंजाब में 24 संसदीय सचिव हैं, जबकि गुजरात में पांच। राज्यों में इस पद के लिए अच्छी सैलरी भी मिलती है।
केजरीवाल ने सवाल उठाया है कि दूसरे राज्यों से जवाब तलब क्यों नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उनके विधायक संसदीय सचिव के रूप में मुफ्त में काम कर रहे हैं और जल आपूर्ति, बिजली, अस्पतालों और स्कूलों के संचालन का काम देख रहे हैं और इस तरह वे कोई लाभ का पद नहीं संभाल रहे हैं। उदाहरण के लिए प्रवीण कुमार शिक्षा से जुड़े काम देख रहे हैं।
कांग्रेस नेता अजय माकन का कहना है कि यह कोई मुद्दा नहीं है कि उन्होंने (आप विधायकों ने) सुविधाएं ली या नहीं। यह लाभ का पद है और इससे पहले जया बच्चन जैसी सांसद को ऐसे ही मामले में त्यागपत्र देना पड़ा था। मौजूदा स्थिति में तुरंत ही उपचुनाव कराए जाने चाहिए।
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