नई दिल्ली:
अरविंद केजरीवाल के सामने ही आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने 30 अप्रैल की रात को कुमार विश्वास को फोन लगाया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद सुना, विश्वास खुलासा करते हैं कि वह पार्टी प्रमुख के रूप में पदभार संभालने को तैयार थे. उन्होंने कहा कि उनके साथ तब मंत्री रहे कपिल मिश्रा और 33 अन्य विधायक भी हैं. यह संख्या पार्टी के कुल विधायकों के आधे से भी अधिक है. विश्वास ने कहा कि केजरीवाल की जगह वह आप के प्रमुख होंगे.
दिल्ली के 48 वर्षीय मुख्यमंत्री अब इस बात से अवगत थे कि पार्टी में चल रही हलचल विशेषकर दिल्ली मे एमसीडी चुनावों में मिली हार के बाद की स्थिति का कुमार विश्वास द्वारा फायदा उठाने की जो अफवाहें थीं वो निराधार नहीं थीं. आप के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे कुछ होने की बात को अभी तक ना तो मुख्यमंत्री ने और ना ही उनके कार्यालय ने नकारा है. सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्दी ही इस विषय में एक बयान जारी कर सकती है.
केजरीवाल ने कपिल मिश्रा को इस घटना के सात दिन बाद मंत्री पद से हटा दिया. लेकिन उन्होंने कुमार विश्वास के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि कहा जाता है कि दोनों के बीच काफी पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं और वह एक प्रसिद्ध नेता को बर्खास्त करने वाले के रूप में नहीं दिखना चाहते थे. साल 2015 में पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के पार्टी से निकाले जाने की घटना आज भी पार्टी के लिए कड़वी यादों की तरह है. इसलिए पार्टी के कई प्रमुख नेताओं द्वारा कुमार विश्वास को हटाए जाने पर जोर देने के बावजूद मुख्यमंत्री ने एक समझौते पर बातचीत की जिसमें कुमार विश्वास को पार्टी की राजस्थान इकाई का प्रमुख बनाया जाना भी शामिल था.
कपिल मिश्रा के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि कुमार विश्वास के साथ मिलकर उन्होंने उन विधायकों के साथ एक बैठक की थी जो पार्टी में तख्तापलट की योजना के समर्थन में थे. लेकिन जब केजरीवाल ने विद्रोह को दबाने के लिए रणनीतिक रूप से कदम बढ़ाए तो जल्द ही उन लोगों ने अपना रुख ठीक कर लिया. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन था कि विश्वास को केजरीवाल के खिलाफ कदम उठाने के लिए बीजेपी प्रोत्साहित कर रही थी. गौरतलब है कि पिछले महीने ही बीजेपी ने एमसीडी चुनावों में भारी जीत हासिल की थी और जो लगातार मुख्यमंत्री केजरीवाल से उलझती रहती है. कुमार विश्वास कई मौकों पर बीजेपी से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार कर चुके हैं. लेकिन केजरीवाल को हटाने के लिए तय की गई बैठक से ठीक पहले आप के विधायक अमानतुल्ला खान ने सार्वजनिक रूप से आरोपल लगा दिया कि विश्वास बीजेपी की शह पर पार्टी को तोड़ना चाहते हैं.
विश्वास ने इसे अपनी छवि खराब करने का हथकंडा बताया और अमानतुल्ला के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की. तब केजरीवाल के साथ हुए समझौते के अनुसार अमानतुल्ला खान को पार्टी के विभिन्न पदों से हटा दिया गया, लेकिन साथ ही केजरीवाल के प्रति वफादारी के एवज में क्षतिपूर्ति के रूप में उन्हें दिल्ली विधानसभा के कई कमेटियों में शामिल कर लिया गया.
दिल्ली के 48 वर्षीय मुख्यमंत्री अब इस बात से अवगत थे कि पार्टी में चल रही हलचल विशेषकर दिल्ली मे एमसीडी चुनावों में मिली हार के बाद की स्थिति का कुमार विश्वास द्वारा फायदा उठाने की जो अफवाहें थीं वो निराधार नहीं थीं. आप के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे कुछ होने की बात को अभी तक ना तो मुख्यमंत्री ने और ना ही उनके कार्यालय ने नकारा है. सूत्रों के अनुसार पार्टी जल्दी ही इस विषय में एक बयान जारी कर सकती है.
केजरीवाल ने कपिल मिश्रा को इस घटना के सात दिन बाद मंत्री पद से हटा दिया. लेकिन उन्होंने कुमार विश्वास के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि कहा जाता है कि दोनों के बीच काफी पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं और वह एक प्रसिद्ध नेता को बर्खास्त करने वाले के रूप में नहीं दिखना चाहते थे. साल 2015 में पार्टी के संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव के पार्टी से निकाले जाने की घटना आज भी पार्टी के लिए कड़वी यादों की तरह है. इसलिए पार्टी के कई प्रमुख नेताओं द्वारा कुमार विश्वास को हटाए जाने पर जोर देने के बावजूद मुख्यमंत्री ने एक समझौते पर बातचीत की जिसमें कुमार विश्वास को पार्टी की राजस्थान इकाई का प्रमुख बनाया जाना भी शामिल था.
कपिल मिश्रा के कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि कुमार विश्वास के साथ मिलकर उन्होंने उन विधायकों के साथ एक बैठक की थी जो पार्टी में तख्तापलट की योजना के समर्थन में थे. लेकिन जब केजरीवाल ने विद्रोह को दबाने के लिए रणनीतिक रूप से कदम बढ़ाए तो जल्द ही उन लोगों ने अपना रुख ठीक कर लिया. पार्टी के सूत्रों ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन था कि विश्वास को केजरीवाल के खिलाफ कदम उठाने के लिए बीजेपी प्रोत्साहित कर रही थी. गौरतलब है कि पिछले महीने ही बीजेपी ने एमसीडी चुनावों में भारी जीत हासिल की थी और जो लगातार मुख्यमंत्री केजरीवाल से उलझती रहती है. कुमार विश्वास कई मौकों पर बीजेपी से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार कर चुके हैं. लेकिन केजरीवाल को हटाने के लिए तय की गई बैठक से ठीक पहले आप के विधायक अमानतुल्ला खान ने सार्वजनिक रूप से आरोपल लगा दिया कि विश्वास बीजेपी की शह पर पार्टी को तोड़ना चाहते हैं.
विश्वास ने इसे अपनी छवि खराब करने का हथकंडा बताया और अमानतुल्ला के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की. तब केजरीवाल के साथ हुए समझौते के अनुसार अमानतुल्ला खान को पार्टी के विभिन्न पदों से हटा दिया गया, लेकिन साथ ही केजरीवाल के प्रति वफादारी के एवज में क्षतिपूर्ति के रूप में उन्हें दिल्ली विधानसभा के कई कमेटियों में शामिल कर लिया गया.
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