
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली में 8 महीने की बच्ची के साथ यौन शोषण के मामले में गुरुवार को केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि बुधवार शाम को बच्ची को एम्स में भर्ती किया गया है और उसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. सरकार ने कहा कि 75 हजार रुपये का मुआवजा तुरंत बच्ची के घरवालों को दिया गया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि पोस्को के मामले के तहत जांच पूरी करने में कितना वक्त लगना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ता से पूछा है कि को पोस्को एक्ट के तहत देश भर में कितने ट्रायल लंबित हैं ? इस मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी.
एम्स के दोनों डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया कि बच्ची की सर्जरी की गई थी और अब वह बेहतर है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि एम्स के दो डॉक्टर बच्ची की जांच करेंगे और जरूरत पड़ने पर एम्स में भर्ती करेंगे. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार को AIIMS के दो उपयुक्त डॉक्टरों को कलावती शरण अस्पताल जाकर बच्ची का मुआयना करने के आदेश दिए थे.
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कोर्ट ने कहा कि था डॉक्टरों के साथ स्पेशल एंबुलेंस भी जाएगी और डॉक्टरों को लगेगा कि बच्ची को एम्स में तुरंत भर्ती किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि इस दौरान दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी का सदस्य भी मौजूद रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उम्मीद है कि बच्ची के मां पिता सहयोग करेंगे.
अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि बच्ची के पिता मां गरीब हैं तो तुरंत अच्छी मेडिकल सुविधा दिलाई जाए. दस लाख रुपये मुआवजा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में दस साल तक की बच्चियों से रेप के मामले में कड़ी सजा हो अब कोर्ट को ऐसे मामलों में 12 साल की बच्ची के साथ रेप में छह महीने में ट्रायल पूरा करने और मौत की सजा देनी चाहिए.
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दिल्ली की शकूरबस्ती इलाके से आठ महीने की बच्ची के यौन शोषण का मामला सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने बच्ची के चचेरे भाई (28 साल) को गिरफ्तार किया था. यह मामला रविवार का है.
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