नई दिल्ली:
पटियाला हाउस कोर्ट, दिल्ली में पेशी के लिए पहुंचे जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार पर हुए हमले के घंटों बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने NDTV से कहा कि वे कन्हैया की जमानत का विरोध नहीं करेंगे। गौरतलब है कि देशद्रोह के आरोप में कन्हैया की गिरफ्तारी पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है।
पुलिस कमिश्नर बस्सी का बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार और पुलिस को विपक्ष ने चुनौती दी है कि वे इस बात के सबूत दें कि पिछले हफ्ते जेएनयू में रैली के दौरान कन्हैया ने राष्ट्रविरोधी बातें कहीं।
इंटरनेट पर चल रहे कन्हैया कुमार के वीडियो में कहीं भी नहीं दिख रहा कि वह उस समूह में शामिल है जिसने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए और भारत के टुकड़े करने की कसमें खाईं।
लेकिन जेएनयू में हुई रैली के दो दिन बाद 11 फरवरी को दर्ज की गई एफआईआर में देशद्रोह के आरोप लगाए गए- जिसमें अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है- जो कि समाचार चैनल जी न्यूज पर चले प्रदर्शन की फुटेज के आधार पर किया गया।
इससे सवाल उठाना लाजिमी है क्योंकि जेएनयू के अधिकारियों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस के 3 कॉन्स्टेबल सादी वर्दी में रैली में भेजे गए थे। जेएनयू अधिकारियों ने बताया था कि 2001 में संसद पर हुए हमलों के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा पर सवाल उठाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
एफआईआर के अनुसार, हेड कॉन्स्टेबल रामबीर (नंबर2923/SD), कॉन्स्टेबल कर्मबीर (नंबर 1664/SD), कॉन्स्टेबल धर्मबीर (नंबर 3846/SD) को सादी वर्दी में साबरमती ढाबा (जहां कार्यक्रम आयोजित हुआ था) भेजा गया था।
हालांकि तीनों पुलिसकर्मियों ने घटना को देखा, लेकिन एफआईआर में उन तीनों के हवाले से कन्हैया कुमार के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
इसकी जगह, पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार 11 फरवरी को जी न्यूज से फुटेज देने को कहा गया और चैनल ने वैसा ही किया। उसके बाद पुलिस केस दर्ज किया गया, जिसे आलोचक आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जल्दबाजी में उठाए गए कदम के रूप में देख रहे हैं।
इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी वीडियो में कन्हैया राष्ट्रविरोधी नारे लगाता नहीं दिखता। 9 फरवरी की रैली में उसे वामपंथी छात्रों और एबीवीपी के छात्रों के बीच चल रहे शोरशराबे के बीच देखा जा सकता है।
10 फरवरी को फिल्माए गए दो वीडियो, जिन्हें सोशल मीडिया पर शेयर किया गया, में कन्हैया जेएनयू के प्रशासनिक भवन के सामने सीढ़ियों पर भाषण देता दिख रहा है।
पहले वीडियो में कन्हैया कह रहा है कि कैसे वह भारतीय संविधान का सम्मान करता है, लेकिन नागपुर (जहां बीजेपी के वैचारिक संगठन आरएसएस का मुख्यालय है) द्वारा थोपे गए संविधान के खिलाफ है। दूसरे वीडियो में वह आजादी के नारे लगाता दिख रहा है और उमर खालिद के बगल में खड़ा है। उमर खालिद वही छात्र है जिसने अफजल गुरु मुद्दे को लेकर बैठक बुलाई थी। समीक्षा करने पर पता चलता है कि कन्हैया जातिवाद और पूर्वाग्रह से आजादी की बात कर रहा है।
लेकिन इन बातों को भी पुलिस ने देशद्रोह के आरोप का आधार नहीं बनाया है।
मोबाइल फोन द्वारा रिकॉर्ड की गई दो क्लिप्स, जिसमें 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे और 'भारत की बर्बादी ' की आवाजें सुनी जा सकती हैं, रात में रिकॉर्ड की गई हैं। इन्हें देखकर ये बताना कि वे नारे कौन लगा रहा है, लगभग नामुमकिन है।
एक अन्य वीडियो जो कि स्पष्ट है और दिन में रिकॉर्ड किया गया है, में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगा रहे हैं। रैली में मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि ये नारे लगाने वाले बाहरी लोग थे।
जिस छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार है, उसकी उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने दावा किया कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कैंपस में कभी भी ऐसे नारे नहीं सुने थे और उन्होंने उन लोगों को रोकने की कोशिश भी की क्योंकि ये वामपंथी यूनियनों की विचारधारा से मेल नहीं खाते। हालांकि इसका कोई भी वीडियो मौजूद नहीं है।
हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि आयोजकों द्वारा ऐसी विचारधारा वाले लोगों को विश्वविद्यालय परिसर में आमंत्रित ही क्यों किया गया।
पुलिस कमिश्नर बस्सी का बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार और पुलिस को विपक्ष ने चुनौती दी है कि वे इस बात के सबूत दें कि पिछले हफ्ते जेएनयू में रैली के दौरान कन्हैया ने राष्ट्रविरोधी बातें कहीं।
इंटरनेट पर चल रहे कन्हैया कुमार के वीडियो में कहीं भी नहीं दिख रहा कि वह उस समूह में शामिल है जिसने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए और भारत के टुकड़े करने की कसमें खाईं।
लेकिन जेएनयू में हुई रैली के दो दिन बाद 11 फरवरी को दर्ज की गई एफआईआर में देशद्रोह के आरोप लगाए गए- जिसमें अधिकतम उम्रकैद तक की सजा हो सकती है- जो कि समाचार चैनल जी न्यूज पर चले प्रदर्शन की फुटेज के आधार पर किया गया।
इससे सवाल उठाना लाजिमी है क्योंकि जेएनयू के अधिकारियों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस के 3 कॉन्स्टेबल सादी वर्दी में रैली में भेजे गए थे। जेएनयू अधिकारियों ने बताया था कि 2001 में संसद पर हुए हमलों के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा पर सवाल उठाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
एफआईआर के अनुसार, हेड कॉन्स्टेबल रामबीर (नंबर2923/SD), कॉन्स्टेबल कर्मबीर (नंबर 1664/SD), कॉन्स्टेबल धर्मबीर (नंबर 3846/SD) को सादी वर्दी में साबरमती ढाबा (जहां कार्यक्रम आयोजित हुआ था) भेजा गया था।
हालांकि तीनों पुलिसकर्मियों ने घटना को देखा, लेकिन एफआईआर में उन तीनों के हवाले से कन्हैया कुमार के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
इसकी जगह, पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार 11 फरवरी को जी न्यूज से फुटेज देने को कहा गया और चैनल ने वैसा ही किया। उसके बाद पुलिस केस दर्ज किया गया, जिसे आलोचक आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जल्दबाजी में उठाए गए कदम के रूप में देख रहे हैं।
इंटरनेट पर उपलब्ध किसी भी वीडियो में कन्हैया राष्ट्रविरोधी नारे लगाता नहीं दिखता। 9 फरवरी की रैली में उसे वामपंथी छात्रों और एबीवीपी के छात्रों के बीच चल रहे शोरशराबे के बीच देखा जा सकता है।
10 फरवरी को फिल्माए गए दो वीडियो, जिन्हें सोशल मीडिया पर शेयर किया गया, में कन्हैया जेएनयू के प्रशासनिक भवन के सामने सीढ़ियों पर भाषण देता दिख रहा है।
पहले वीडियो में कन्हैया कह रहा है कि कैसे वह भारतीय संविधान का सम्मान करता है, लेकिन नागपुर (जहां बीजेपी के वैचारिक संगठन आरएसएस का मुख्यालय है) द्वारा थोपे गए संविधान के खिलाफ है। दूसरे वीडियो में वह आजादी के नारे लगाता दिख रहा है और उमर खालिद के बगल में खड़ा है। उमर खालिद वही छात्र है जिसने अफजल गुरु मुद्दे को लेकर बैठक बुलाई थी। समीक्षा करने पर पता चलता है कि कन्हैया जातिवाद और पूर्वाग्रह से आजादी की बात कर रहा है।
लेकिन इन बातों को भी पुलिस ने देशद्रोह के आरोप का आधार नहीं बनाया है।
मोबाइल फोन द्वारा रिकॉर्ड की गई दो क्लिप्स, जिसमें 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे और 'भारत की बर्बादी ' की आवाजें सुनी जा सकती हैं, रात में रिकॉर्ड की गई हैं। इन्हें देखकर ये बताना कि वे नारे कौन लगा रहा है, लगभग नामुमकिन है।
एक अन्य वीडियो जो कि स्पष्ट है और दिन में रिकॉर्ड किया गया है, में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगा रहे हैं। रैली में मौजूद कुछ लोगों का कहना है कि ये नारे लगाने वाले बाहरी लोग थे।
जिस छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार है, उसकी उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने दावा किया कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कैंपस में कभी भी ऐसे नारे नहीं सुने थे और उन्होंने उन लोगों को रोकने की कोशिश भी की क्योंकि ये वामपंथी यूनियनों की विचारधारा से मेल नहीं खाते। हालांकि इसका कोई भी वीडियो मौजूद नहीं है।
हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि आयोजकों द्वारा ऐसी विचारधारा वाले लोगों को विश्वविद्यालय परिसर में आमंत्रित ही क्यों किया गया।
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