
दिल्ली में भारतीय न्याय संहिता (BNS-2023) के तहत दर्ज किसी मामले में पहली बार आरोपी को सजा मिली है. तीस हज़ारी कोर्ट की फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने दोषी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है. कोर्ट ने साफ किया है कि उम्रकैद का मतलब आरोपी को आजीवन जेल रहना होगा. ये मामला निहाल विहार थाने का है, जहां 16 साल की नाबालिग के साथ बार-बार दुष्कर्म कर उसे गर्भवती कर दिया गया था.
क्या है पूरा मामला
25 फरवरी, 2025 को सुभाष चंद्र बोस अस्पताल, मंगोलपुरी से पुलिस को एक कॉल आई थी. फोन कॉल में बताया गया था कि एक 16 साल नाबालिग लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया है. कॉल पर निहाल विहार थाने की महिला सब-इंस्पेक्टर पूजा मौके पर पहुंचीं और पीड़िता का बयान दर्ज किया. पीड़िता, जो कि कक्षा 11वीं की छात्रा थी, उसने बताया कि उसके साथ आरोपी ने कई बार दुष्कर्म किया जिससे वह गर्भवती हो गई थी. दर्द बढ़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया.
तेजी से जांच और आरोपी की गिरफ्तारी
महिला एसआई पूजा के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई, जिसमें कांस्टेबल मनजीत पंघाल शामिल थे. टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टरों शिशपाल (एसएचओ, निहाल विहार) कर रहे थे और निगरानी रख रहे थे एसीपी पाटिल स्वगत राजकुमार. जांच में तकनीकी साक्ष्यों और गुप्त सूचनाओं की मदद से महज़ एक दिन में 45 साल के आरोपी देवेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया था. देवेन्द्र नांगलोई का रहने वाला था. इस मामले में पुलिस ने महज़ 31 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी थी.
तेज़ सुनवाई, ऐतिहासिक फैसला
अदालत ने महज़ 18 दिनों में मुकदमे का निपटारा करते हुए आरोपी को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सज़ा सुनाई. यह दिल्ली में BNS-2023 के अंतर्गत दर्ज किया गया था.
पुलिस की भूमिका सराहनीय
जांच अधिकारी सबइंस्पेक्टर पूजा ने सीमित समय में पुख़्ता साक्ष्य इकट्ठा कर न्याय की नींव रखी. उनके अथक प्रयासों और टीमवर्क के चलते ही यह मामला इतनी तेज़ी से अपने अंजाम तक पहुंचा.
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