![शीशमहल बनवाया, लग्जरी कारों में घूमे: प्रशांत भूषण ने AAP की हार के लिए केजरीवाल को ठहराया जिम्मेदार शीशमहल बनवाया, लग्जरी कारों में घूमे: प्रशांत भूषण ने AAP की हार के लिए केजरीवाल को ठहराया जिम्मेदार](https://c.ndtvimg.com/2020-08/ac269sp_prashant-bhushan-pti_625x300_30_August_20.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार माना है. प्रशांत भूषण ने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा, दिल्ली में AAP की हार के लिए केजरीवाल काफी हद तक जिम्मेदार हैं. वैकल्पिक राजनीति के लिए बनी एक पार्टी जिसे पारदर्शी, जवाबदेह और लोकतांत्रिक माना जाता था, उसे अरविंद ने जल्दी ही एक सुप्रीमो के वर्चस्व वाली, अपारदर्शी और भ्रष्ट पार्टी में बदल दिया, जिसने लोकपाल की मांग नहीं की और अपने खुद के लोकपाल को हटा दिया. उन्होंने अपने लिए 45 करोड़ का शीश महल बनवाया और लग्जरी कारों में घूमने लगे.उन्होंने AAP द्वारा गठित विशेषज्ञ समितियों की 33 विस्तृत नीति रिपोर्टों को यह कहते हुए रद्दी में डाल दिया कि पार्टी समय आने पर उचित नीतियां अपनाएगी. उन्हें लगता था कि राजनीति केवल दिखावे और दुष्प्रचार से ही की जा सकती है. यह AAP के अंत की शुरुआत है.
Kejriwal is largely responsible for AAP's Delhi debacle. A party formed for alternative politics which was supposed to be transparent, accountable & democratic was quickly transformed by Arvind into a supremo dominated, non transparent & corrupt party which didn't pursue a Lokpal…
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 8, 2025
बीजेपी को मिली बंपर जीत
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 48 सीट पर शनिवार को जीत दर्ज की, लेकिन अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप' को सिर्फ 22 सीट पर जीत मिली. इस हार के साथ ‘आप' ने ना केवल अपनी राजनीतिक ताकत खो दी, बल्कि पिछले दशक में बनी अपराजेय रहने की अपनी प्रतिष्ठा भी गंवा दी. दिल्ली में ही ‘आप' का उदय हुआ था, जहां इसने अपनी सफलता की इबारत लिखी थी.
केजरीवाल नई दिल्ली सीट से हार गए और मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन और सौरभ भारद्वाज जैसे अन्य पार्टी नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा. मुफ्त बिजली, पानी और शिक्षा सुधारों पर केंद्रित पार्टी का शासन मॉडल शहर के निवासियों के साथ तालमेल बिठाने में स्पष्ट रूप से विफल रहा. केजरीवाल द्वारा मंदिर के पुजारियों को मासिक भत्ता देने का वादा करने के साथ उनका नरम हिंदुत्व भी मतदाताओं को रास नहीं आया.
ये भी पढ़ें-दिल्ली में बीजेपी की प्रचंड जीत के पीछे प्रचंड प्लानिंग, सिर्फ महिलाओं से की 7,500 बैठक
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं