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दिल्ली-एनसीआर के 75 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य प्रदूषण संबंधी रोग से ग्रस्त: रिपोर्ट

सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि एक नवंबर तक 69 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य प्रदूषण संबंधी बीमारी से ग्रस्त था, वहीं 19 नवंबर को यह आंकड़ा 75 प्रतिशत पर पहुंच गया.

दिल्ली-एनसीआर के 75 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य प्रदूषण संबंधी रोग से ग्रस्त: रिपोर्ट
नई दिल्ली:

प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 75 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य गले में खराश या खांसी से ग्रस्त है. हाल में हुए एक सर्वेक्षण में यह पता चला है. ऑनलाइन सामुदायिक मंच ‘लोकलसर्किल्स' द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि इसमें (सर्वेक्षण में) भाग लेने वाले 58 प्रतिशत परिवारों के अनुसार, प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण उन्हें सिरदर्द की शिकायत है, जबकि 50 प्रतिशत परिवारों में कोई न कोई सदस्य सांस लेने में दिक्कत का सामना कर रहा या दमा से ग्रस्त है.

सर्वेक्षण में दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के 21,000 से अधिक निवासियों को शामिल किया गया, जिनमें 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत महिलाएं थीं. सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और दिल्ली के कुछ हिस्सों में पीएम2.5 के 1500 तक पहुंचने के बाद, लोकलसर्किल्स ने यह पता लगाने के लिए एक नया सर्वेक्षण किया कि दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तरों से कैसे निपट रहे हैं.''

सर्वेक्षण में, लोगों से जब पूछा गया कि क्षेत्र में एक्यूआई 400 पहुंचने पर वे क्या उपाय कर रहे हैं तो 27 प्रतिशत परिवारों ने बताया कि वे इसके प्रभाव को कम करने के लिए हवा को साफ करने वाले उपकरण ‘एयर प्यूरीफायर' का उपयोग कर रहे हैं, जबकि 23 प्रतिशत ने कहा कि वे खुद का बचाव करने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. अन्य ने संकेत दिया कि वे केवल प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन बढ़ाकर इससे निपट रहे हैं.

सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि एक नवंबर तक 69 प्रतिशत परिवारों में कम से कम एक सदस्य प्रदूषण संबंधी बीमारी से ग्रस्त था, वहीं 19 नवंबर को यह आंकड़ा 75 प्रतिशत पर पहुंच गया.

इसमें कहा गया कि इस बीच, ‘एयर प्यूरीफायर' का उपयोग काफी बढ़ गया है, 19 अक्टूबर को 18 प्रतिशत परिवार इसका उपयोग कर रहे थे, जबकि एक महीने बाद यह आंकड़ा बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया.

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