देश में वर्चु्अल डिजिटल एसेट्स (VDA) के प्रभावी टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के लिए जल्द कानून बनने की संभावना है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) को VDA के लिए गाइडलाइंस बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. इससे VDA की परिभाषा भी स्पष्ट होगी. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने क्रिप्टो टैक्स रिफॉर्म्स के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्टी गवर्नर T Rabi Sankar ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के सामने CBDC को लेकर निराशा जताई है. उन्होंने डिजिटल टेक्नोलॉजीज पर एक वेबिनार में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से देश के यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को बेहतर बताया. Rabi Sankar का कहना था, "UPI की शुरुआत से छह वर्ष पहले आई ब्लॉकचेन को अभी भी बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखने वाली टेक्नोलॉजी बताया जा रहा है. ब्लॉकचेन के यूज केसेज को लेकर भी संदेह बना हुआ है." उन्होंने सामान्य करेंसीज के साथ जुड़ाव वाले स्टेबलकॉइन्स को लेकर भी आशंका जताई. उनका कहना था कि इन्हें पेमेंट के एक जरिए के तौर पर स्वीकार करने में सतर्कता बरतनी चाहिए.
Rabi Sankar ने बताया, "किसी करेंसी के लिए एक इश्युअर या इससे जुड़ी वैल्यू की जरूरत होती है. बहुत सी क्रिप्टोकरेंसीज में ये दोनों मौजूद नहीं हैं और इसके बावजूद उन्हें स्वीकार किया जा रहा है. इन्हें स्वीकार करने वालों में इनवेस्टर्स के अलावा एक्सपर्ट्स और पॉलिसी बनाने वाले भी शामिल हैं." उन्होंने कहा कि CBDC से प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल कम हो सकता है.
केंद्र सरकार का कहना है कि वह वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर पर 1 प्रतिशत के TDS में कोई छूट देने पर विचार नहीं कर रही. क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने TDS में छूट देने की मांग उठाई थी. फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा था कि क्रिप्टो से जुड़े कानून को लेकर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा. RBI ने पिछले वर्ष क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने को कहा था. सरकार का कहना है कि वह इस सेगमेंट पर पूरी तरह रोक नहीं लगाएगी. देश में इस फाइनेंशियल ईयर में CBDC को लॉन्च किया जा सकता है. इससे लोगों को पेमेंट के अधिक विकल्प मिल सकेंगे. बहुत से अन्य देशों में CBDC को लॉन्च करने पर काम किया जा रहा है. कुछ देशों में इसका ट्रायल शुरू किया गया है.
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