ग्लोबल क्रिप्टो एक्सचेंज Binance ने सोमवार को कहा कि वह भारत के क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX ‘ऑफ-चेन' यानी ‘ब्लॉकचेन' व्यवस्था से बाहर फंड ट्रांसफर को बंद कर रहा है. WazirX कुछ अज्ञात वॉलेट को 2,790 करोड़ रुपये की क्रिप्टो संपत्तियों को बाहर भेजने के मामले में जांच के घेरे में है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को कहा कि उसने WazirX की 64.67 करोड़ रुपये की बैंक जमा पर रोक लगा दी है. ईडी ने यह रोक चीन के कोष समर्थित कुछ धोखाधड़ी वाली स्मार्टफोन आधारित कर्ज देने वाले ऐप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में लगाई है.
Binance के मुख्य संचार अधिकारी पैट्रिक हिलमैन ने कहा, ‘‘चीजों में स्पष्टता और यूजर्स की सुरक्षा के लिए हम WazirX और Binance के बीच ‘ऑफ-चेन' फंड ट्रांसफर चैनल को हटा रहे हैं.
11 अगस्त, 2022 को सुबह 8.30 बजे के आसपास से बाइनेंस "Login with Binance" के विकल्प के साथ वजीरएक्स और बाइनेंस के बीच ऑफ-चेन फंड ट्रांसफर सपोर्ट करना बंद कर देगा. हालांकि, यूजर्स अब भी बाइनेंस और वजीरएक्स प्लेटफॉर्म के बीच में मौजूद निकासी और डिपॉजिट की मानक प्रकिया के तहत अपना बैलेंस डिपॉजिट और विदड्रॉ कर सकेंगे.
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Binance और WazirX के बीच किस बात का है झगड़ा?
इन दो बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच असली लड़ाई मालिकाना हक को लेकर है. और नहीं, मसला 'मालिक हम' का नहीं बल्कि 'मालिक तुम' का है. दरअसल, दोनों ही कंपनियां इस बात को लेकर लड़ रही हैं कि वजीरएक्स 'हमारा नहीं, तुम्हारा है'. इस मामले को कुछ बिंदुओं में समझते हैं-
- साल 2019 के नवंबर महीने में बाइनेंस ने एक ब्लॉगपोस्ट में घोषणा की थी कि उसने वजीरएक्स का 'अधिग्रहण' कर लिया है. उस वक्त बाइनेंस के सीईओ चांगपेंग झाओ और वजीरएक्स के फाउंडर निश्चल शेट्टी एक साथ देखे गए थे. इस ब्लॉगपोस्ट में बताया गया था कि प्लेटफॉर्म यूजर्स को सीधा बाइनेंस के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसीज़ तक पहुंच मिलेगी, वो भारतीय रुपया से क्रिप्टोकरेंसी खरीद पाएंगे, Tether जैसे स्टेबल कॉइन में निवेश कर पाएंगे. इसमें यह भी कहा गया था कि वजीरएक्स का अधिग्रहण कंपनी की वैश्विक मौजूदगी बढ़ाने की रणनीति का एक हिस्सा है.
- प्रवर्तन निदेशालय ने 3 अगस्त को वजीरएक्स की पैरेंट कंपनी Zanmai Lab Pvt Ltd के डायरेक्टर समीर म्हात्रे के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में छापा मारे. कंपनी की वित्तीय संपत्तियां भी फ्रीज कर दी गई हैं. एजेंसी ने कहा कि म्हात्रे मांगने पर सामने से आकर कोई जानकारी साझा नहीं कर रहे थे और " जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे." एजेंसी ने यह भी कहा कि एक्सचेंज और इसके अधिकारी भारतीय नियामक एजेंसियों से बचने के लिए विरोधाभासी और अस्पष्ट जवाब दे रहे थे.
- एजेंसी ने बताया कि ऐसा पाया गया है कि मोबाइल ऐप्स के जरिए मनमाने तरीके से उधारबाजी में लिप्त कई फिनटेक कंपनियों ने अधिकतर फंड वजीरएक्स को डायवर्ट किया, फिर वहां से फंड को अनजान विदेशी वॉलेट्स में डायवर्ट कर दिया गया.
- इसके बाद बाइनेंस ने जो किया, झगड़ा वहीं से शुरू हुआ. वजीरएक्स के कानूनी पचड़े में फंसने के बाद बाइनेंस के सीईओ चांगपेंग झाओ ने 5 अगस्त, 2022 को एक के बाद एक कई ट्वीट किए.
- उन्होंने साफ किया कि बाइनेंस Zanmai Labs में कोई हिस्सेदारी नहीं रखती है और बस वजीरएक्स को वॉलेट सेवाएं प्रदान करती हैं.उन्होंने कहा कि वजीरएक्स पर सभी ऑपरेशन- साइन अप्स, केवाईसी, ट्रेडिंग और विदड्रॉल के लिए अकेले भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज ही जिम्मेवार है.
- बाइनेंस ने कहा कि यह जानकारी में आया है कि कुछ यूजरों को यह विश्वास दिलाया गया है कि वजीरएक्स में डिपॉजिट किए गए फंड को बाइनेंस मैनेज करता है, लेकिन ऐसा नहीं है. बयान में कहा गया है कि "आगे से बाइनेंस, वजीरएक्स से जुड़े मामलों में भारतीय नियामक संस्थाओं से सहयोग करेगा. बाइनेंस इंडस्ट्री के लिए नियमित फ्रेमवर्क तैयार करना चाहता है और नियामकों, नीति-निर्माताओं और कानूनी एजेंसियोंसे ओपन डायलॉग रखने में विश्वास रखता है."
- अब इन ट्वीट्स के बाद झाओ और शेट्टी के बीच ट्विटर पर लगातार तूतू-मैंमैं हुई है. शेट्टी ने कहा है कि बाइनेंस ही वजीरएक्स का मालिक है. उन्होंने यह भी कहा कि Zanmai Labs एक बिल्कुल अलग इकाई है, जबकि बाइनेंस के पास वजीरएक्स के डोमेन नेम का हक है, उसके पास AWS सर्वरों का एक्सेस है और प्लेटफॉर्म पर स्टोर होने वाले सभी लाभ और क्रिप्टो संपत्ति को वही बनाए रखती है.
- शेट्टी ने कहा कि Zanmai Labs को बाइनेंस से बस INR-crypto पेयर्स को ऑपरेट करने का लाइसेंस मिला हुआ है, वहीं बाइनेंस ही क्रिप्टो-टू-क्रिप्टो पेयर्स और विदड्रॉल मैनेज करता है.
- अब इस विवाद का फिलहाल अंत होता नहीं दिख रहा है, लेकिन ईडी की जांच जारी है. हालांकि, भारतीय निवेशक जरूर इस विवाद के बीच में फंसे हुए हैं.
- अगर वजीरएक्स के फंड्स फ्रीज रहते हैं तो उसके लिए लागत वहन करना मुश्किल हो जाएगा. वहीं ट्रांजैक्शन को सपोर्ट भी नहीं मिलेगा. ऊपर से यह भी दुविधा है कि प्लेटफॉर्म पर निवेशकों का डिपॉजिट सुरक्षित है या नहीं, क्योंकि पिछले कुछ वक्त में क्रिप्टो इंडस्ट्री की कई कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. कंपनी ने भरोसा दिलाया है कि निवेशकों का पैसा सुरक्षित है, लेकिन निवेशकों में डर बना हुआ है. (एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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