
बेंगलुरु के पॉश इलाके एचएसआर लेआउट की 14वीं क्रॉस रोड में रविवार की शाम. सूरज ढल चुका था, और सड़कों पर हल्की चहल-पहल थी. लेकिन ओम प्रकाश के तीन मंजिला आलीशान बंगले में सन्नाटा पसरा था. एक ऐसा सन्नाटा, जो खून की चीखों को दबाए हुए था. 68 वर्षीय रिटायर्ड डीजीपी ओम प्रकाश, जिन्होंने कभी कर्नाटक पुलिस की कमान संभाली थी, अब अपनी ही ड्राइंग रूम में खून से लथपथ पड़े थे. उनके पेट और सीने पर चाकू के दर्जनभर घाव थे, और पास ही एक रसोई का चाकू खून में सना हुआ था. यह नजारा किसी क्रूर साजिश की कहानी कह रहा था.
एक फोन कॉल और चौंकाने वाला हुआ खुलासा
शाम करीब 4:30 बजे, बेंगलुरु पुलिस कंट्रोल रूम में एक कॉल आया. घटना की जानकारी दी गई. पुलिस की होयसला गाड़ी तुरंत 14वीं क्रॉस की ओर दौड़ी. लेकिन जब पुलिस उनके घर पहुंची, तो दरवाजा बंद था. पल्लवी और उनकी बेटी कृति अंदर थीं, लेकिन दरवाजा खोलने को तैयार नहीं. पुलिस को दरवाजा तोड़ना पड़ा.

घर अंदर का मंजर दिल दहलाने वाला था. ओम प्रकाश की लाश ग्राउंड फ्लोर की ड्राइंग रूम में पड़ी थी. खून का एक बड़ा गड्ढा फर्श पर फैल चुका था. पास ही डाइनिंग टेबल पर एक प्लेट में खाना ठंडा हो रहा था, जैसे कोई कहानी अधूरी छूट गई हो. पुलिस की नजरें पल्लवी और कृति पर टिकीं, जो एक कमरे में बंद थीं. दोनों को हिरासत में लिया गया, और शुरू हुई एक ऐसी जांच, जिसने पूरे कर्नाटक को हिलाकर रख दिया.
- कर्नाटक के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश की बेंगलुरु में हत्या कर दी गई.
- 68 वर्षीय रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी खून से लथपथ मृत पाए गए.
- शरीर पर पेट और सीने पर चाकू के कई घाव मिले.
- पल्लवी ने पुलिस को फोन कर हत्या की सूचना दी.
- हत्या से पहले पल्लवी ने दोस्त को "राक्षस को मार डाला" कहा.
- संपत्ति विवाद को हत्या का संभावित मकसद माना जा रहा.
- ओम प्रकाश 1981 बैच के आईपीएस, बिहार के चंपारण के मूल निवासी थे.
तेज-तर्रार अफसर की क्रूर हत्या
1981 बैच के आईपीएस अधिकारी ओम प्रकाश बिहार के चंपारण से ताल्लुक रखते थे. भूविज्ञान में एमएससी की डिग्री हासिल करने वाले ओम प्रकाश ने अपने करियर की शुरुआत बल्लारी जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर की थी. शिमोगा, उत्तर कन्नड़, और चिक्कमगलूर जैसे जिलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में उनकी तैनाती रही. लोकायुक्त, आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी), और अग्निशमन सेवाओं में डीआईजी के रूप में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. 2015 में वे कर्नाटक के डीजीपी बने और 2017 में रिटायर हुए. बेंगलुरु में 2013 के बीजेपी मुख्यालय बम विस्फोट और 2014 के चर्च स्ट्रीट ब्लास्ट की जांच में उनकी भूमिका अहम रही थी.

लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनकी जिंदगी उतनी शांत नहीं थी, जितनी बाहर से दिखती थी. सूत्रों के मुताबिक, ओम प्रकाश ने अपने करीबी दोस्तों से जिक्र किया था कि उनकी जान को खतरा है. किससे? यह सवाल अब जांच का केंद्र बन चुका था.
पुलिस की जांच में अब तक क्या सामने आया?
पुलिस की प्रारंभिक जांच में पल्लवी मुख्य संदिग्ध के रूप में उभरी. सूत्रों ने बताया कि हत्या के बाद पल्लवी ने एक अन्य रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की पत्नी को फोन किया और चौंकाने वाला बयान दिया: "मैंने उस राक्षस को मार डाला." यह "राक्षस" कोई और नहीं, उनका पति ओम प्रकाश था. पल्लवी ने इसके बाद 112 पर कॉल करके पुलिस को सूचना दी. लेकिन जब पुलिस उनके घर पहुंची, तो पल्लवी और कृति ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया. पुलिस को यह व्यवहार संदिग्ध लगा.
- पुलिस ने घटनास्थल से चाकू और मिर्च पाउडर की बोतल बरामद की.
- पल्लवी की मानसिक स्थिति पर सवाल उठे हैं हालांकि पुलिस अभी इसकी जांच कर रही है.
- पुलिस ने घर में जबरन घुसपैठ के कोई निशान नहीं पाए हैं.
क्या मानसिक तौर पर परेशान थी पल्लवी
पल्लवी से पूछताछ में पता चला कि वह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं. कुछ सूत्रों ने दावा किया कि उन्हें स्किजोफ्रेनिया जैसी बीमारी थी, और वे नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज करवाती थीं. पुलिस को यह भी पता चला कि पल्लवी ने कुछ महीने पहले एचएसआर लेआउट पुलिस स्टेशन के बाहर धरना दिया था, क्योंकि उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई थी. लेकिन उनकी शिकायत क्या थी? यह अभी रहस्य बना हुआ था.
कृति, जो घटना के समय घर में थी, पुलिस की नजर में दूसरी संदिग्ध थी. पल्लवी ने दावा किया कि कृति एक अलग कमरे में बंद थी, जब हत्या हुई. लेकिन पुलिस इस बयान की सत्यता की जांच कर रही थी. क्या कृति ने अपनी मां का साथ दिया? या वह सिर्फ एक गवाह थी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए पुलिस ने दोनों से करीब 12 घंटे तक पूछताछ की है.

संपत्ति विवाद या कुछ और?
पुलिस की जांच में एक अहम सुराग सामने आया है संपत्ति विवाद. सूत्रों के मुताबिक, ओम प्रकाश अपनी सारी संपत्ति अपने बेटे कार्तिक को ट्रांसफर करना चाहते थे. इस फैसले से पल्लवी नाराज थीं. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि हत्या से पहले ओम प्रकाश और पल्लवी के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई थी. क्या यह विवाद इतना गहरा था कि पल्लवी ने अपने पति की हत्या कर दी?
लेकिन पुलिस सभी संभावनाओं पर विचार कर रही थी. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पश्चिम) विकास कुमार विकास ने कहा, "हमें एक तेज हथियार मिला है, जिससे हत्या की गई हो सकती है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद और स्पष्टता आएगी." पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि घर में कोई जबरन घुसपैठ के निशान नहीं मिले, जिससे संदेह और गहरा हो गया कि यह अपराध घर के अंदर ही हुआ.
घटनास्थल: खून और सन्नाटे की कहानी
पुलिस ने घटनास्थल से दो चाकू और एक बोतल बरामद की, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उसमें मिर्च पाउडर था. एक सीन ऑफ क्राइम ऑफिसर ने बताया, "ऐसा लगता है कि हमलावर ने पहले ओम प्रकाश के चेहरे पर मिर्च पाउडर फेंका, जिससे वे असहाय हो गए. फिर चाकू से कई बार वार किया गया." ओम प्रकाश के गले और पेट पर लगभग 12 घाव थे, जिनमें से एक गहरी चोट उनकी गर्दन पर थी. यह क्रूरता किसी गहरे गुस्से की ओर इशारा कर रही थी.
घर के अंदर का माहौल भी रहस्यमय था. डाइनिंग टेबल पर खाना बरकरार था, जैसे कोई सामान्य दिन अचानक तबाही में बदल गया हो. पल्लवी की शांत मुद्रा, जब वह अपनी मृत पति के पास कुर्सी पर बैठी थी, पुलिस को हैरान कर रही थी. क्या यह मानसिक अस्थिरता थी, या एक सुनियोजित अपराध का हिस्सा?

कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इस घटना पर दुख जताते हुए कहा, "यह एक दुखद घटना है. प्रारंभिक जांच में पल्लवी पर संदेह है, लेकिन हम पूरी सच्चाई सामने लाएंगे." इस हत्या ने कर्नाटक की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा, "जब एक पूर्व डीजीपी अपने घर में सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी का क्या होगा?"
बेटे ने दर्ज करवाई है शिकायत
पुलिस ने ओम प्रकाश के बेटे कार्तिक की शिकायत पर पल्लवी और कृति के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है. कार्तिक ने दावा किया कि उनकी मां की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, और उन्होंने ही यह अपराध किया. लेकिन पुलिस इस दावे को सत्यापित करने के लिए पल्लवी के मेडिकल रिकॉर्ड की जांच कर रही है. क्या यह हत्या संपत्ति विवाद का नतीजा थी, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी? क्या पल्लवी ने अकेले यह अपराध किया, या कृति भी इसमें शामिल थी? और सबसे बड़ा सवाल—क्या ओम प्रकाश को वाकई अपनी पत्नी से खतरा था, जैसा उन्होंने अपने दोस्तों को बताया था?
बेंगलुरु पुलिस की जांच अब इन सवालों के जवाब तलाश रही है. लेकिन एक बात तय है—14वीं क्रॉस का वह बंगला, जो कभी ओम प्रकाश का सुरक्षित आशियाना था, अब एक क्रूर हत्या की गवाही दे रहा है. और इस कहानी का अंत अभी बाकी है.
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