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अलीगढ़ बेसिक शिक्षा विभाग में 10 साल तक घोटाला, GPF से 5 करोड़ की हेराफेरी; जानें कैसे उजागर हुआ मामला

इस घोटाले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है अब सवाल यह है कि क्या दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी या यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा? पुलिस जांच में जुटी है और प्रशासन के अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं. (एनडीटीवी के लिए अदनान खान की रिपोर्ट)

अलीगढ़ बेसिक शिक्षा विभाग में 10 साल तक घोटाला, GPF से 5 करोड़ की हेराफेरी; जानें कैसे उजागर हुआ मामला
दो बाबू बर्खास्त, एफआईआर दर्ज
मेरठ:

अलीगढ़ के बेसिक शिक्षा विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जो 2003 से 2013 तक 10 सालों तक चलता रहा. इस घोटाले में 12 बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) समेत 61 अधिकारी और कर्मचारी शामिल पाए गए हैं. शासन की जांच के बाद 520 शिक्षकों के जीपीएफ खातों से 5 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा हुआ है. घोटाले के पर्दाफाश से विभाग में हड़कंप मच गया है.

तत्कालीन बीएसए पर मुकदमा, कई अभी भी उच्च पदों पर

पूर्व बीएसए ने 12 बीएसए और 36 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. हैरानी की बात यह है कि इसमें शामिल कई तत्कालीन बीएसए आज भी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बड़े पदों पर तैनात हैं. जांच में इनके नाम सामने आए हैं, जिनमें दिनेश सिंह, पुष्पा सिंह, मोहम्मद अल्ताफ अंसारी, मनोज कुमार, डॉ. मुकेश कुमार, एसपी वर्मा, महेंद्र प्रताप सिंह, एसपी यादव, संजय शुक्ला, धीरेंद्र यादव और डॉ. लक्ष्मी पांडे शामिल हैं.

शिक्षक के खाते से शुरू हुआ खुलासा

इस घोटाले की शुरुआत 2020 में तब हुई, जब टप्पल के शिक्षक जगदीश प्रसाद के खाते में 35 बार में 34 लाख रुपये ट्रांसफर होने का मामला उजागर हुआ. जांच में पता चला कि अधिकारियों और लिपिकों की मिलीभगत से असली लाभार्थी शिक्षकों को उनकी राशि नहीं दी गई, बल्कि यह पैसा अन्य शिक्षकों के खातों में डाल दिया गया. लेजर के पन्ने गायब होने की बात भी सामने आई है.  अब तक 2 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हो चुकी है.

दो बाबू बर्खास्त, एफआईआर दर्ज

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया, “जांच में मिलीभगत साफ हुई है. असली शिक्षकों को पैसा नहीं मिला, बल्कि दूसरों के खातों में ट्रांसफर किया गया. अभी तक दो बाबू बर्खास्त किए जा चुके हैं और सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.” सीओ द्वितीय राजीव द्विवेदी ने कहा, “शासन की जांच के आधार पर यह कार्रवाई हुई है. 2003 से 2013 के बीच तैनात सभी संबंधित लोगों को नामित किया गया है.”

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