युवराज सिंह को एमएस धोनी की कप्तानी में पिछले तीन साल से मौका नहीं मिला था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
युवराज सिंह (Yuvraj Singh) की तीन साल बाद टीम इंडिया के वनडे स्कवाड में वापसी हुई है. एमएस धोनी (MS Dhoni) के जाते ही उनकी टीम इंडिया में वापसी हो गई. खास बात यह कि चयनकर्ताओं ने उन्हें वनडे और टी-20 दोनों टीमों में रखा है. इसमें कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) का अहम रोल माना जा रहा है, लेकिन युवराज सिंह के लिए यह मौका लाइफलाइन भी साबित हो सकता है या यूं कहें कि यह आखिरी भी हो सकता है. अब उन्हें अपने चयन को सार्थक साबित करना होगा.
चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने कहा, ‘सीजन में युवराज ने अच्छा प्रदर्शन किया है. घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें टीम में वापस लेने का फैसला किया गया है.’
युवराज सिंह ने इस साल घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाए हैं और फॉर्म में भी चल रहे हैं. इस साल रणजी में उन्होंने 8 मैचों में 724 रन बनाए हैं, जिसमें बड़ौदा के खिलाफ 260 और मध्यप्रदेश के खिलाफ 177 रन की पारियां खास रहीं. उन्होंने दो फिफ्टी भी लगाईं. हालांकि दलीप ट्रॉफी में भी वे खेले थे लेकिन नाकाम रहे थे. पंजाब की ओर से 1997 में ही रणजी डेब्यू करने वाले युवी ने फर्स्ट क्लास मैचों में अब तक 133 मैचों में 8804 रन बनाए हैं.
वैसे इंटरनेशनल लेवल पर भी कुल मिलाकर 11000 से अधिक रन बना चुके युवराज सिंह की प्रतिभा पर किसी को संदेह नहीं है, लेकिन पिछली बार जब वह महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया की ओर से खेले थे, तो कुछ खास नहीं कर पाए थे. अब जबकि चयनकर्ताओं ने घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन को देखते हुए फिर मौका दिया है, तो उन्हें इसे हाथ से नहीं जाने देना होगा और भरोसे पर खरा उतरना होगा.
ऐसा नहीं है कि उन्हें मौके नहीं मिले हैं, लेकिन यदि साल 2012 के बाद से युवराज के औसत पर नजर डाली जाए, तो उन्होंने 19 वनडे खेले हैं, जिनमें 18.53 के मामूली औसत से स्कोर किए हैं. उन्होंने टीम इंडिया की ओर से आखिरी वनडे मैच दिसंबर, 2013 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में खेला था. इस आखिरी वनडे सीरीज में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. उन्हें कप्तान धोनी ने दो मैचों में मौका दिया था. एक में तो उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, वहीं दूसरे में वह खाता भी नहीं खोल पाए थे.
युवराज सिंह को इससे पहले साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ नवंबर, 2013 तीन वनडे खेलने को मिले, जिनमें उन्होंने केवल 99 रन ही बनाए थे, जिसमें एक फिफ्टी (55 रन) शामिल थी, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इससे पहले की वनडे सीरीज में उनके बल्ले से 6 मैचों में 19 रन ही निकले थे. हालांकि इनमें से दो मैचों में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था.
युवी ने आखिरी टी-20 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप, 2016 में मोहाली में खेला था, जिसमें टीम इंडिया ने मैच तो जीत लिया था, लेकिन युवराज को शुरू में काफी संघर्ष करना पड़ा था. आखिरी के चार टी-20 मैचों में उन्होंने कुल 52 रन (4, 24, 3, 21) बनाए थे.
टीम इंडिया के टी-20 वर्ल्ड कप, 2007 और वनडे वर्ल्ड कप, 2011 जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह को अब इस मौके को पूरी तरह भुनाना होगा. अन्यथा यह सीरीज उनके लिए आखिरी भी साबित हो सकती है. मतलब उनको वह लाइफलाइन मिल गई है, जिसकी उन्हें जरूरत थी, अब फायदा उठाने की जिम्मेदारी उनकी ही है...
चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने कहा, ‘सीजन में युवराज ने अच्छा प्रदर्शन किया है. घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें टीम में वापस लेने का फैसला किया गया है.’
युवराज सिंह ने इस साल घरेलू क्रिकेट में लगातार रन बनाए हैं और फॉर्म में भी चल रहे हैं. इस साल रणजी में उन्होंने 8 मैचों में 724 रन बनाए हैं, जिसमें बड़ौदा के खिलाफ 260 और मध्यप्रदेश के खिलाफ 177 रन की पारियां खास रहीं. उन्होंने दो फिफ्टी भी लगाईं. हालांकि दलीप ट्रॉफी में भी वे खेले थे लेकिन नाकाम रहे थे. पंजाब की ओर से 1997 में ही रणजी डेब्यू करने वाले युवी ने फर्स्ट क्लास मैचों में अब तक 133 मैचों में 8804 रन बनाए हैं.
वैसे इंटरनेशनल लेवल पर भी कुल मिलाकर 11000 से अधिक रन बना चुके युवराज सिंह की प्रतिभा पर किसी को संदेह नहीं है, लेकिन पिछली बार जब वह महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया की ओर से खेले थे, तो कुछ खास नहीं कर पाए थे. अब जबकि चयनकर्ताओं ने घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन को देखते हुए फिर मौका दिया है, तो उन्हें इसे हाथ से नहीं जाने देना होगा और भरोसे पर खरा उतरना होगा.
ऐसा नहीं है कि उन्हें मौके नहीं मिले हैं, लेकिन यदि साल 2012 के बाद से युवराज के औसत पर नजर डाली जाए, तो उन्होंने 19 वनडे खेले हैं, जिनमें 18.53 के मामूली औसत से स्कोर किए हैं. उन्होंने टीम इंडिया की ओर से आखिरी वनडे मैच दिसंबर, 2013 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में खेला था. इस आखिरी वनडे सीरीज में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. उन्हें कप्तान धोनी ने दो मैचों में मौका दिया था. एक में तो उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, वहीं दूसरे में वह खाता भी नहीं खोल पाए थे.
युवराज सिंह को इससे पहले साल 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ नवंबर, 2013 तीन वनडे खेलने को मिले, जिनमें उन्होंने केवल 99 रन ही बनाए थे, जिसमें एक फिफ्टी (55 रन) शामिल थी, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इससे पहले की वनडे सीरीज में उनके बल्ले से 6 मैचों में 19 रन ही निकले थे. हालांकि इनमें से दो मैचों में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था.
युवी ने आखिरी टी-20 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप, 2016 में मोहाली में खेला था, जिसमें टीम इंडिया ने मैच तो जीत लिया था, लेकिन युवराज को शुरू में काफी संघर्ष करना पड़ा था. आखिरी के चार टी-20 मैचों में उन्होंने कुल 52 रन (4, 24, 3, 21) बनाए थे.
टीम इंडिया के टी-20 वर्ल्ड कप, 2007 और वनडे वर्ल्ड कप, 2011 जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह को अब इस मौके को पूरी तरह भुनाना होगा. अन्यथा यह सीरीज उनके लिए आखिरी भी साबित हो सकती है. मतलब उनको वह लाइफलाइन मिल गई है, जिसकी उन्हें जरूरत थी, अब फायदा उठाने की जिम्मेदारी उनकी ही है...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
युवराज सिंह, विराट कोहली, टीम इंडिया, भारत Vs इंग्लैंड, Yuvraj Singh, Virat Kohli, Team India, India Vs England, India Vs England ODI Series, Cricket News In Hindi, MS Dhoni