45 हजार करोड़ की पॉन्जी स्कीम से जुड़ा युवराज सिंह और हरभजन का नाम : रिपोर्ट

45 हजार करोड़ की पॉन्जी स्कीम से जुड़ा युवराज सिंह और हरभजन का नाम : रिपोर्ट

हरभजन सिंह और युवराज सिंह (फाइल फोटो : PTI)

वर्ल्ड कप 2011 में टीम इंडिया की जीत के हीरो रहे क्रिकेटर युवराज सिंह और हरभजन सिंह का नाम पॉन्जी स्कीम मामले से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। पर्ल्स ग्रुप की 45 हजार करोड़ की पॉन्जी स्कीम की जांच कर रही टीम उनसे पूछताछ कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ऐसे सेलिब्रिटीज की सूची बना रही है, जो करोड़ों निवेशकों को चूना लगाने वाली इस स्कीम से जुड़े हुए थे। कथित तौर पर इसमें युवराज और हरभजन को गिफ्ट के रूप में मोहाली में प्लॉट दिए गए।  

ब्रेट ली को भी किया था अनुबंधित
पर्ल्स ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया में इसके ब्रांड एम्बेसेडर के रूप में तेज गेंदबाज ब्रेट ली को भी अनुबंधित किया था। इस ग्रुप ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में किंग्स इलेवन पंजाब टीम को भी स्पॉन्सर किया था। भारत में इसके कबड्डी और गोल्फ लीग में भी व्यावसायिक हित रहे हैं। गौरतलब है कि युवराज और ब्रेट ली पहले किंग्स इलेवन पंजाब में शामिल थे। इस फ्रेंचाइजी की सहमालिक बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा हैं।     

गौरतलब है कि सीबीआई ने 9 जनवरी को चंडीगढ़ के पर्ल्स ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक निर्मल सिंह भंगू और तीन अन्य अधिकारियों को कानून का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करते हुए निवेशकों को चूना लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। ये 19 जनवरी तक के लिए सीबीआई की हिरासत में हैं।

दागी पर्ल्स ग्रुप से कभी भी नहीं जुड़े युवराज : युवी की मां शबनम
युवराज और हरभजन सिंह ऑस्ट्रेलिया में होने वाली टी-20 सीरीज के लिए टीम इंडिया में शामिल हैं। युवराज की मां शबनम ने कहा कि उनका बेटा दागी पर्ल्स ग्रुप से कभी भी नहीं जुड़ा था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शबनम ने कहा, "पर्ल्स ग्रुप ने हमें 2011 में वर्ल्ड कप की विजेता टीम का हिस्सा होने के चलते यह सूचना दी थी कि वे हमें एक प्लॉट गिफ्ट करने जा रहे हैं। हालांकि हमें वह प्लॉट नहीं मिला।"

गौरतलब है कि क्रिकेट के साथ ही युवराज और हरभजन दोनों के कई व्यावसायिक हित हैं। युवराज एक रीयल एस्टेट कपंनी को प्रमोट भी करते हैं।

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पॉन्जी स्कीम में कुछ ऐसे फंसाते हैं जाल में
पर्ल्स ग्रुप की इस स्कीम सहित किसी भी पॉन्जी स्कीम में घोटाले को अंजाम देने के लिए निवेशकों के एक बड़े पूल की जरूरत होती है। इस पिरामिडनुमा संरचना में स्कीम चलाने वाला निवेशक को एक माह में पैसे डबल करने का लालच देकर उससे 1000 रुपए लेकर शुरुआत करता है, लेकिन उसके पैसे का निवेश किए बिना ही वह इसी तरह के अन्य निवेशकों से लिए गए पैसे से उसे भुगतान कर देता है।