
एक बात बहुत ही साफ है कि अगर पाकिस्तान को World Cup 2023 के लिए अपना दावा मजबूती से ठोकना है, तो उसके पेस बॉलिंग डिपार्टमेंट को नियमित रूप से बेहतर करना होगा. और इसमें भी सभी की नजरें लेफ्टी शाहीन आफरीदी और हारिस रऊफ पर लगी हैं. हालिया समय में ये दोनों ही ज्यादा प्रभावी नहीं रहे हैं. खासकर तुलनात्मक रूप से हैरिस बुझे-बुझे से दिखाई पड़े हैं, लेकिन सभी को भरोसा है कि समय गुजरने के साथ ही यह पेसर लय हासिल कर लेगा. रऊफ ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि वह अपनी पढ़ाई की फीस जमा कराने के लिए वह स्नैक्स बेचा करते थे.
रऊफ ने कहा कि टेप बॉल खेलना शुरू करने तक उनका संघर्ष जारी रहा. बता दें कि रऊफ ने साल 2020 में पाकिस्तान के लिए करियर का आगाज किया था. और तभी से वह टीम के पेस अटैक का बहुत ही अहम हिस्सा बन गए हैं. रऊफ की यूएसपी यह है कि वह सहजता से 145 किमी/घंटा की रफ्तार से बॉलिंग करते हैं और वह अभी तक के छोटे से करियर में 53 वनडे और 83 टी20 विकेट चटका चुके हैं.
एक वेबसाइट से बातचीत में रऊफ ने कहा कि दसवी क्लास के बाद मैं रविवार को मार्केट में स्नैक्स बेचा करता था, जिससे मैं पढ़ाई की फीस चुका सकूं. हफ्ते के बाकी दिन मैं स्कूल और अकादमी जाया करता था. उन्होंने कहा कि जब मैंने यूनिवर्विसटी में दाखिला लिया, तो मेरे पिता की कमाई इतनी नहीं था कि वह मेरी फीस चुका सकें. मैं भी फीस वहन नहीं कर सका, लेकिन टेप-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद हालात फीस चुकाने लायक हो गए.
पाक पेसर ने कहा कि पाकिस्तान में जो भी लड़के टेप-बॉल क्रिकेट खेलते हैं, वे आसानी से हर महीने दो से ढाई लाख रुपये महीने कमा लेते हैं. मैं इतनी कमाई कर लेता था और अपनी मां को दिया करता था, लेकिन मैंने कभी अपनी इस कमाई के बारे में पिता को नहीं बताया. रऊफ ने यह भी बताया कि उनके परिवार ने ऐसे भी दिन देखे हैं, जब संघर्ष के दिनों में वह और परिवार जगह की कमी के कारण रसोई में सोया करता था. रऊफ बोले कि मेरे पिता के तीन भाई हैं और सभी एक साथ रहते हैं. मेरे पिता का एक बड़ा कमरा है. जब मेरे अंकल की शादी हो गई, तो उन्होंने अपना कमरा भाइयों को दे दिया. आखिर में ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जब हम उस समय रसोई में सो रहे थे.
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