विराट कोहली और रवि शास्त्री (फाइल फोटो)
टेस्ट कप्तान विराट कोहली या यू कहें कि भविष्य के कप्तान विराट कोहली की रवि शास्त्री के साथ ट्यूनिंग अच्छी है, यह हर कोई जानता है। इन दोनों की सिर्फ़ सोच ही नहीं मिलती बल्कि दिल भी मिले हुए हैं, इस बात में भी किसी को कोई शक नहीं है। इस जोड़ी ने नतीजे भी अच्छे देने शुरू कर दिए हैं। श्रीलंका में 22 साल मिली टेस्ट सीरीज़ में जीत इसका सबूत है।
तो फिर क्या वजह है कि इस जोड़ी को स्थाई नहीं बनाया जा रहा?
बार-बार रवि शास्त्री को टीम डायरेक्टर के तौर पर एक्सटेंशन क्यों मिल रहा है? क्यों नहीं उन्हें फुल टाइम ज़िम्मेदारी देकर लंबे वक्त के लिए टीम के साथ जोड़ा नहीं जा रहा? बोर्ड ने एक तरफ़ नए कोच की खोज के लिए हाई प्रोफ़ाइल समिति बना रखी है तो दूसरी तरफ़ उन्हें ये भी लगता है कि टी-20 वर्ल्ड तक के लिए शास्त्री ही फ़िट हैं।
आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से बोर्ड शास्त्री को लंबा कॉन्ट्रेक्ट नहीं दे रहा। क्या शास्त्री बहुत ज़्यादा पैसों की मांग कर रहे हैं या फिर बोर्ड में कुछ लोगों को शास्त्री पर भरोसा नहीं है। इसका सीधा सा जवाब किसी के पास नहीं है... क्योंकि बोर्ड टीम के साथ भी वही कर रहे है जो इन दिनों बीसीसीआई में चल रहा है।
फिलहाल. कोई ठोस कदम नहीं ..
बोर्ड में श्रीनिवासन के मुद्दे पर एक राय नहीं है, कि वो बैठक का हिस्सा हो सकते हैं या नहीं। अध्यक्ष के रोल को लेकर भी असमंजस है, क्योंकि जगमोहन डालमिया काफी समय से बीमार चल रहे हैं। हितों के टकराव के मामले में भी बोर्ड ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अव्यवस्था बीसीसीआई पर हावी है और उनकी टीम में भी कुछ भी स्थाई नज़र नहीं आता है।
तो फिर क्या वजह है कि इस जोड़ी को स्थाई नहीं बनाया जा रहा?
बार-बार रवि शास्त्री को टीम डायरेक्टर के तौर पर एक्सटेंशन क्यों मिल रहा है? क्यों नहीं उन्हें फुल टाइम ज़िम्मेदारी देकर लंबे वक्त के लिए टीम के साथ जोड़ा नहीं जा रहा? बोर्ड ने एक तरफ़ नए कोच की खोज के लिए हाई प्रोफ़ाइल समिति बना रखी है तो दूसरी तरफ़ उन्हें ये भी लगता है कि टी-20 वर्ल्ड तक के लिए शास्त्री ही फ़िट हैं।
आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से बोर्ड शास्त्री को लंबा कॉन्ट्रेक्ट नहीं दे रहा। क्या शास्त्री बहुत ज़्यादा पैसों की मांग कर रहे हैं या फिर बोर्ड में कुछ लोगों को शास्त्री पर भरोसा नहीं है। इसका सीधा सा जवाब किसी के पास नहीं है... क्योंकि बोर्ड टीम के साथ भी वही कर रहे है जो इन दिनों बीसीसीआई में चल रहा है।
फिलहाल. कोई ठोस कदम नहीं ..
बोर्ड में श्रीनिवासन के मुद्दे पर एक राय नहीं है, कि वो बैठक का हिस्सा हो सकते हैं या नहीं। अध्यक्ष के रोल को लेकर भी असमंजस है, क्योंकि जगमोहन डालमिया काफी समय से बीमार चल रहे हैं। हितों के टकराव के मामले में भी बोर्ड ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अव्यवस्था बीसीसीआई पर हावी है और उनकी टीम में भी कुछ भी स्थाई नज़र नहीं आता है।
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