विराट कोहली अब जिम में घंटों पसीना बहाते हैं (फाइल फोटो)
मोहाली:
फिटनेस को लेकर टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान विराट कोहली की गंभीरता से सभी वाकिफ हैं लेकिन यह कम ही लोगों को पता है कि पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर ने उन्हें दुनिया के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक बनाने में अहम भूमिका निभाई.
विराट कोहली ने वर्ष 2012 में आईपीएल में साधारण प्रदर्शन के बाद फिटनेस को गंभीरता से लेना शुरू किया और अपने खानपान की आदतों को पूरी तरह बदलते हुए अपने शरीर को खेल के तीनों प्रारूपों में खेलने के बोझ को झेलने लायक बनाया. इस दौरान फ्लेचर के साथ महत्वपूर्ण बातचीत से उन्हें काफी मदद मिली.
वाइजैग में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के बाद कोहली ने ‘द टेलीग्राफ’ से कहा, ‘डंकन ने एक बार मुझे कहा कि उन्हें लगता है कि पेशेवर खेलों में क्रिकेट सबसे गैरपेशेवर खेल है.’उन्होंने कहा, ‘आपके पास कौशल हो सकता है लेकिन नहीं लगता कि आपको एक टेनिस खिलाड़ी जितनी ट्रेनिंग की जरूरत है. लेकिन मैंने महसूस किया कि अगर आपको तीनों प्रारूपों में खेलते हुए शीर्ष पर रहना है तो आपको नियमित कार्यक्रम की जरूरत है.’ कोहली ने कहा, ‘आपकी ट्रेनिंग, खाने के तरीके, स्वस्थ रहने और फिट बनने का एक तय पैटर्न होना चाहिए. फिट होने से मैं मानसिक रूप से मजबूत हुआ. इसका सीधा संबंध है.’
विराट ने माना कि कठिन फिटनेस शेड्यूल का पालन करना उनके लिए आसान नहीं था और शुरुआत में उन्हें इसमें काफी परेशानी आई.बकौल विराट, उन्होंने 2012 में अपना पूरा रूटीन बदल डाला था. उसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छा प्रदर्शन किया, बांग्लादेश के खिलाफ भी 180 रनों की पारी खेली और आइपीएल में भी बढ़े हुए मनोबल के साथ उतरे. उन्होंने कहा कि शुरुआत में ट्रेनिंग और फिटनेस का मेरा शेड्यूल काफी बेतरतीब था. मैं देर तक खाता रहता था. मैं एक या दो ड्रिंक नियमित तौर पर लेता था. कठिन ट्रेनिंग शेड्यूल फॉलो कर विराट ने अपने आपको टीम इंडिया के फिट खिलाड़ियों में शामिल कर लिया है.
उन्होंने कहा, 'मेरी मानसिकता भी ठीक नहीं थी. जब सीजन खत्म हुआ तो मैंने राहत की सांस ली. मैं घर लौटा और एक दिन शॉवर लेते हुए शीशे में अपने आपको देखा. इस दौरान मैंने खुद से कहा, 'यदि तुम्हें पेशेवर क्रिकेटर बनना है तो तुम इस तरह नहीं दिखते. ' उन्होंने कहा कि उस समय मेरा वजन, मौजूदा वजन से 11 से 12 किलो अधिक था. मोटापा मुझ पर हावी हो रहा था. अगली सुबह से मैंने सब कुछ बदल डाला-मुझे क्या खाना है और किस तरह ट्रेनिंग करना है. मैं एक से डेढ़ घंटे तक रोजाना जिम जाना प्रारंभ किया. कड़ी मेहनत की, कोल्ड ड्रिंक और मोटापा बढ़ाने वाली चीजों से तौबा की. निश्चित रूप से यह बेहद कठिन था.
विराट के अनुसार, वर्ष 2015 से मैंने फिर अपनी ट्रेनिंग के कार्यक्रम में बदलाव किया और वेट ट्रेनिंग पर खास ध्यान दिया. जल्द ही इसका परिणाम मिला. मुझे ध्यान है कि श्रीलंका में टेस्ट सीरीज के दौरान मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैरों में अधिक ताकत आ गई है. इसकी बदौलत में पिछले एक से डेढ़ साल में अपने खेल को एक अलग स्तर पर ले जाने में कामयाब रहा हूं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विराट कोहली ने वर्ष 2012 में आईपीएल में साधारण प्रदर्शन के बाद फिटनेस को गंभीरता से लेना शुरू किया और अपने खानपान की आदतों को पूरी तरह बदलते हुए अपने शरीर को खेल के तीनों प्रारूपों में खेलने के बोझ को झेलने लायक बनाया. इस दौरान फ्लेचर के साथ महत्वपूर्ण बातचीत से उन्हें काफी मदद मिली.
वाइजैग में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के बाद कोहली ने ‘द टेलीग्राफ’ से कहा, ‘डंकन ने एक बार मुझे कहा कि उन्हें लगता है कि पेशेवर खेलों में क्रिकेट सबसे गैरपेशेवर खेल है.’उन्होंने कहा, ‘आपके पास कौशल हो सकता है लेकिन नहीं लगता कि आपको एक टेनिस खिलाड़ी जितनी ट्रेनिंग की जरूरत है. लेकिन मैंने महसूस किया कि अगर आपको तीनों प्रारूपों में खेलते हुए शीर्ष पर रहना है तो आपको नियमित कार्यक्रम की जरूरत है.’ कोहली ने कहा, ‘आपकी ट्रेनिंग, खाने के तरीके, स्वस्थ रहने और फिट बनने का एक तय पैटर्न होना चाहिए. फिट होने से मैं मानसिक रूप से मजबूत हुआ. इसका सीधा संबंध है.’
विराट ने माना कि कठिन फिटनेस शेड्यूल का पालन करना उनके लिए आसान नहीं था और शुरुआत में उन्हें इसमें काफी परेशानी आई.बकौल विराट, उन्होंने 2012 में अपना पूरा रूटीन बदल डाला था. उसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अच्छा प्रदर्शन किया, बांग्लादेश के खिलाफ भी 180 रनों की पारी खेली और आइपीएल में भी बढ़े हुए मनोबल के साथ उतरे. उन्होंने कहा कि शुरुआत में ट्रेनिंग और फिटनेस का मेरा शेड्यूल काफी बेतरतीब था. मैं देर तक खाता रहता था. मैं एक या दो ड्रिंक नियमित तौर पर लेता था.
उन्होंने कहा, 'मेरी मानसिकता भी ठीक नहीं थी. जब सीजन खत्म हुआ तो मैंने राहत की सांस ली. मैं घर लौटा और एक दिन शॉवर लेते हुए शीशे में अपने आपको देखा. इस दौरान मैंने खुद से कहा, 'यदि तुम्हें पेशेवर क्रिकेटर बनना है तो तुम इस तरह नहीं दिखते. ' उन्होंने कहा कि उस समय मेरा वजन, मौजूदा वजन से 11 से 12 किलो अधिक था. मोटापा मुझ पर हावी हो रहा था. अगली सुबह से मैंने सब कुछ बदल डाला-मुझे क्या खाना है और किस तरह ट्रेनिंग करना है. मैं एक से डेढ़ घंटे तक रोजाना जिम जाना प्रारंभ किया. कड़ी मेहनत की, कोल्ड ड्रिंक और मोटापा बढ़ाने वाली चीजों से तौबा की. निश्चित रूप से यह बेहद कठिन था.
विराट के अनुसार, वर्ष 2015 से मैंने फिर अपनी ट्रेनिंग के कार्यक्रम में बदलाव किया और वेट ट्रेनिंग पर खास ध्यान दिया. जल्द ही इसका परिणाम मिला. मुझे ध्यान है कि श्रीलंका में टेस्ट सीरीज के दौरान मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैरों में अधिक ताकत आ गई है. इसकी बदौलत में पिछले एक से डेढ़ साल में अपने खेल को एक अलग स्तर पर ले जाने में कामयाब रहा हूं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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