यह ख़बर 01 मार्च, 2014 को प्रकाशित हुई थी

वीरेंद्र सहवाग का पीछा नहीं छोड़ रही नाकामी

नई दिल्ली:

नाकामी वीरेंद्र सहवाग का पीछा नहीं छोड़ रही है। बल्ले के साथ इसी नाकामी के कारण सहवाग बीते एक साल से भारतीय टीम से बाहर हैं।

सहवाग ने भारत के लिए अंतिम टेस्ट मैच मार्च, 2013 में खेला था और उनका अंतिम ए-कदिवसीय मुकाबला जनवरी, 2013 में हुआ था। इसके बाद वह लगभग एक दर्जन से अधिक प्रथम श्रेणी और लिस्ट-ए मुकाबले खेल चुके हैं, लेकिन उनके बल्ले की धार अब तक नहीं लौट पाई है।

ऐसी उम्मीद थी कि विजर हजारे ट्रॉफी (उत्तर क्षेत्र) के माध्यम से सहवाग अपने बल्ले की चमक वापस पाने में सफल रहेंगे, लेकिन इस टूर्नामेंट के दो मुकाबलों में वह बुरी तरह नाकाम रहे। सहवाग 27 फरवरी को फिरोजशाह कोटला मैदान पर जम्मू-कश्मीर के खिलाफ 15 रन बना सके थे, जबकि शनिवार को पंजाब के खिलाफ उनके बल्ले से सिर्फ 10 रन निकले।

इससे पहले, सहवाग ने बीते सत्र में कुल सात रणजी मैच खेले, लेकिन एक भी मैच में उनके बल्ले से सैकड़ा नहीं निकला। 14 दिसम्बर, 2013 को दिल्ली में विदर्भ के खिलाफ उन्होंने 56 रन बनाए थे, जो बीते रणजी सत्र में उनका सर्वोच्च स्कोर था। सहवाग ने गुजरात के खिलाफ दो पारियों में 1 और 15, मुंबई के खिलाफ 9 और नाबाद 35, हरियाणा के खिलाफ 3 और 6, ओडिशा के खिलाफ 0 और 44, पंजाब के खिलाफ 10 और 12 तथा कर्नाटक के खिलाफ 32 और 11 रनों की पारियां खेलीं।

खराब फॉर्म के कारण ही सहवाग टीम से बाहर हुए थे। उनका स्थान टेस्ट टीम में शिखर धवन ने लिया था और मोहाली में मार्च, 2013 में शानदार सैकड़ा लगाया था। सहवाग बीती 10 टेस्ट पारियों में एक भी शतक नहीं लगा सके हैं, जबकि बीती एक दर्जन एक-दिवसीय पारियों में उनके बल्ले से सिर्फ एक अर्धशतक निकला।

सहवाग के नाम टेस्ट मैचों में दो तिहरे शतक और एक-दिवसीय मैचों की सर्वोच्च व्यक्तिगत पारी (219) दर्ज है। खराब फॉर्म के कारण हालांकि धीरे-धीरे सहवाग की वापसी की राह मुश्किल होती जा रही है और साथ ही साथ उनकी सम्मानजनक विदाई की संभावना भी कमजोर होती जा रही है।

सहवाग ने टेस्ट मैचों में सबसे तेज तिहरा शतक और सबसे तेज दोहरा शतक लगाया है। कम से कम फुटवर्क पर वह सबसे सटीक स्क्वाटर ड्राइव खेलने के माहिर हैं।  उनकी आंखों और हाथों के बीच बेहतरीन तालमेल है और इसी कारण वह अच्छी गेंदों को भी सीमारेखा के बाहर पहुंचाने का माद्दा रखते हैं। आज की तारीख में सहवाग का यह अद्भुत गुण उनका साथ नहीं दे रहा है और इसी कारण वह मैच दर मैच नाकाम होते चले जा रहे हैं।


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