भारत के एक और पूर्व क्रिकेटर से खेल को अलविदा कह दिया. 34 साल की उम्र में आमतौर पर बल्लेबाज संन्यास नहीं लेते, लेकिन झारखंड के और भारत के लिए 3 वनडे खेले लेफ्टी सौरभ तिवारी (Saurabh Tiwary) ने सोमवार को पेशेवर क्रिकेट को अलविदा कह दिया. इसके बाद सौरभ अपने करियर का आखिरी रणजी ट्रॉफी मुकाबला जमशेदपुर में खेलेंगे, जो 15 फरवरी से शुरू हो रहा है. उम्मीद है कि अपने फर्स्ट क्लास करियर की तरह ही आखिरी मैच को भी यादगार बनाने में सौरभ कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. जब बात फर्स्ट क्लास क्रिकेट की आती है, तो सौरभ ने धोनी से ज्यादा रन बनाए हैं.
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'विराट विश्व कप विजेता टीम" के सदस्य थे
सौरभ तिवारी ने 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया. और बहुत कम उम्र में ही रणजी करियर की शुरुआत इस लेफ्टी बल्लेबाज ने कर दी थी. विराट कोहली भले ही अपने जीवन में कप्तानी में कोई विश्व कप सीनियर स्तर पर नहीं ही जीत सके हों, लेकिन उनकी कप्तानी में भारत ने साल 2008 में अंडर-19 विश्व कप जीता था. और सौरभ मलेशिया में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे.
चढ़ना शुरू हुआ करियर ग्राफ
इंडिया अंडर-19 से उनके करियर का ग्राफ ऊपर गया. उन्हें साल 2018 में मुंबई इंडियंस ने जोड़ा. और उन्होंने 419 रन बनाए. इसी सीजन में एशिया कप के लिए टीम इंडिया से जून में बुलावा आया, लेकिन पहला मैच खेलने के लिए अक्टूबर तक का इंतजार करना पड़ा. सौरभ ने कुल तीन वनडे खेले. उन्होंने 49 रन बनाए और दो बार वह नाबाद रहे.
फर्स्ट क्लास करियर रहा शानदार
अंतरराष्ट्रीय करियर के उलट सौरभ का फर्स्ट क्लास करियर बहुत ही शानदार रहा.करीब 17 साल के करियर में इस लेफ्टी ने 115 मैच खेले और झारखंड के लिए खासे रन बनाए. वर्तमान में उन्होंने 189 पारियों में 47.51 के औसत, 22 शतक और 34 अर्द्धशतक से 8030 रन बनाए हैं. और ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि सौरभ भारत के लिए ज्यादा मैच खेलने के हकदार थ. शायद पूरी तरह खुट को फिट न रख पाना, वजन पढ़ जाना, बड़े स्कोर में निरंतरता न होना और बैटिंग के अलावा कुछ और न कर पाना उनके खिलाफ गया.
काफी उतार-चढ़ाव रहा आईपीएल में
आईपीएल में जहां उनका पहला सीजन शानदार रहा, लेकिन इसके बाद उन्हें बहुत मुश्किल झेलनी पड़ी. मुंबई के लिए फाइनल खेलने के बाद 2011 में उन्हें आरसीबी ने टीम में लिया, लेकिन अगले तीन साल उन्हें पहले जैसी कामयाबी नहीं मिली. सौरभ की फॉर्म में गिरावट आती गई. और समय इतना खराब हो गया कि वह 47 मैचों में एक ही अर्द्धशतक जड़ सके. कंधे की चोट के कारण वह साल 2014 संस्करण से बाहर हो गए, 2015 में उन्हें दिल्ली ने खरीदा और 2016 में वह पुणे सुपर जियांट्स से जुड़े.
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