विराट कोहली (फाइल फोटो)
दुबई:
टेस्ट में मिस्टर भरोसेमंद, वनडे में शतकवीर और टी-20 में सबसे आक्रामक बल्लेबाज़..वो जो है भारतीय क्रिकेट की उम्मीद...और आज का संकटमोचक....विराट कोहली। वो बल्लेबाज़ जिसने क्रिकेट के अलग-अलग फ़ॉर्मेट की सीमाओं को मिटा दिया है, जिसने टी-20 जैसे ताबड़तोड़ क्रिकेट की सभी धारणाओं पर विराम लगा दिया है। निर्धारित ओवरों के खेल में भारत के उपकप्तान अब आईसीसी की बल्लेबाज़ी रैंकिंग में शिखर पर पहुंच गए हैं। एरॉन फ़िंच को नंबर एक पायदान से हटाकर विराट नंबर एक टी-20 बल्लेबाज़ बन गए हैं।
हालांकि इसके लिए विराट ने कुछ खास नहीं किया है। टी-20 जैसे छोटे फ़ॉर्मेट में भी 50 से ज्यादा की औसत रखने वाले विराट ने सीधे बल्ले से बल्लेबाज़ी की है। मतलब कोई आड़ा तिरछा शॉट नहीं खेला, जिसे इस फ़ॉर्मेट की ज़रूरत बताया गया है। माना जाता रहा है कि क्रिकेट के इस फ़ॉर्म में प्योरिस्ट्स या फिर तकनीकी बल्लेबाज़ों का भविष्य नहीं है। लेकिन कोहली ने अपनी बल्लेबाज़ी और रिकॉर्ड्स से इन धारणाओं को ग़लत साबित कर दिया।
विराट ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ 3 मैचों में 199 की औसत से 199 रन बनाए। बड़ी बात ये कि ये रन 160 से ज्यादा कि स्ट्राइक रेट से आए हैं। और इससे भी बड़ी बात ये कि अपनी तीनों पारियों में विराट के बल्ले से एक भी गैर क्रिकेटिंग शॉट, या यूं कहें कि ऐसा शॉट नहीं निकला जिस पर क्रिकेट के पुराने दिग्गज भौंहें ताने।
खुद विराट ऐसा मानते हैं कि वो जिस तरह से टेस्ट में बल्लेबाज़ी करते हैं, वैसे ही वो टी-20 फ़ॉर्मेट में भी बल्लेबाज़ी करते हैं। विराट का मानना है कि उन्हें आड़े-तिरछे या फिर इन्नोवेटिव शॉट्स इसलिए खेलने की ज़रूरत नहीं क्योंकि एक गेंदबाज़, एक सीमित दायरे में ही अपनी गेंदबाज़ी में विविधता ला सकता है, और उन सभी अलग-अलग गेंदों के खिलाफ़ वर्षों से वो अभ्यास करते रहे हैं।
यही वजह है कि विराट ने तीनों फॉर्मेट में अपना खेल का अंदाज़ नहीं बदला और उसके बावजूद उनके रिकॉर्ड्स पर नज़र डालें तो वो ऐसे हैं जिनसे महान खिलाड़ी भी रश्क करें।
करियर मैच रन औसत 100/50
वनडे - 171 7212 51.51 25/36
टी20 - 33 1215 50.62 0/12
टेस्ट - 41 2994 44.02 11/12
इन आंकड़ों को देखकर एक बात तो साफ़ है कि क्रिकेटिंग थ्योरीज़, ताबड़तोड़ क्रिकेट की धारणाएं, सब अपनी जगह हैं, मैदान पर सबसे सफल वही होता है जिसके पास तकनीक के साथ कड़ी मेहनत और सफल होने का जज्बा है। यही वजह है कि विराट आज के मॉडर्न ग्रेट हैं।
हालांकि इसके लिए विराट ने कुछ खास नहीं किया है। टी-20 जैसे छोटे फ़ॉर्मेट में भी 50 से ज्यादा की औसत रखने वाले विराट ने सीधे बल्ले से बल्लेबाज़ी की है। मतलब कोई आड़ा तिरछा शॉट नहीं खेला, जिसे इस फ़ॉर्मेट की ज़रूरत बताया गया है। माना जाता रहा है कि क्रिकेट के इस फ़ॉर्म में प्योरिस्ट्स या फिर तकनीकी बल्लेबाज़ों का भविष्य नहीं है। लेकिन कोहली ने अपनी बल्लेबाज़ी और रिकॉर्ड्स से इन धारणाओं को ग़लत साबित कर दिया।
विराट ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ 3 मैचों में 199 की औसत से 199 रन बनाए। बड़ी बात ये कि ये रन 160 से ज्यादा कि स्ट्राइक रेट से आए हैं। और इससे भी बड़ी बात ये कि अपनी तीनों पारियों में विराट के बल्ले से एक भी गैर क्रिकेटिंग शॉट, या यूं कहें कि ऐसा शॉट नहीं निकला जिस पर क्रिकेट के पुराने दिग्गज भौंहें ताने।
खुद विराट ऐसा मानते हैं कि वो जिस तरह से टेस्ट में बल्लेबाज़ी करते हैं, वैसे ही वो टी-20 फ़ॉर्मेट में भी बल्लेबाज़ी करते हैं। विराट का मानना है कि उन्हें आड़े-तिरछे या फिर इन्नोवेटिव शॉट्स इसलिए खेलने की ज़रूरत नहीं क्योंकि एक गेंदबाज़, एक सीमित दायरे में ही अपनी गेंदबाज़ी में विविधता ला सकता है, और उन सभी अलग-अलग गेंदों के खिलाफ़ वर्षों से वो अभ्यास करते रहे हैं।
यही वजह है कि विराट ने तीनों फॉर्मेट में अपना खेल का अंदाज़ नहीं बदला और उसके बावजूद उनके रिकॉर्ड्स पर नज़र डालें तो वो ऐसे हैं जिनसे महान खिलाड़ी भी रश्क करें।
करियर मैच रन औसत 100/50
वनडे - 171 7212 51.51 25/36
टी20 - 33 1215 50.62 0/12
टेस्ट - 41 2994 44.02 11/12
इन आंकड़ों को देखकर एक बात तो साफ़ है कि क्रिकेटिंग थ्योरीज़, ताबड़तोड़ क्रिकेट की धारणाएं, सब अपनी जगह हैं, मैदान पर सबसे सफल वही होता है जिसके पास तकनीक के साथ कड़ी मेहनत और सफल होने का जज्बा है। यही वजह है कि विराट आज के मॉडर्न ग्रेट हैं।
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