नई दिल्ली:
कभी कपिल देव के विकल्प के रूप में पेश किए जा रहे ऑलराउंडर इरफान पठान के लिए तेज गेंदबाज आर विनय कुमार की चोट वरदान साबित हुई। पठान को श्रीलंका दौरे के लिए अंतिम क्षणों में टीम में जगह मिली और उन्होंने वहां बल्ले और गेंद दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन करके फिलहाल भारत की ऑलराउंडर की समस्या कुछ हद तक सुलझा दी है।
पठान ने श्रीलंका के खिलाफ पांच एकदिवसीय मैचों में विषम पलों में अच्छी बल्लेबाजी की। इसके अलावा उन्होंने कसी हुई गेंदबाजी करके अपने चयन को भी सही ठहराया है। बड़ौदा के इस ऑलराउंडर ने चार पारियों में तीन बार नाबाद रहते हुए 76 रन बनाए, जबकि आठ विकेट भी लिए। इनमें शनिवार को पाल्लेकल में आखिरी मैच में 61 रन देकर पांच विकेट का कारनामा भी शामिल है, जिससे भारत यह मैच और शृंखला 4-1 से जीतने में सफल रहा।
दिलचस्प बात यह है कि पठान को इस शृंखला के लिए पहले टीम में नहीं चुना गया था। भारतीय टीम के दौरे से कुछ दिन पहले विनय कुमार चोटिल हो गए और चयनकर्ताओं ने उनकी जगह पठान को चुना था। यह इस ऑलराउंडर के पास आखिरी मौका था, क्योंकि लगभग तीन साल तक बाहर रहने के बाद जब उन्होंने वापसी की, तो वह चयनकर्ताओं को प्रभावित नहीं कर पाए थे।
पठान का अब श्रीलंका में प्रदर्शन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का आगे का कार्यक्रम काफी व्यस्त है और उसे हर समय एक ऑलराउंडर की जरूरत पड़ेगी। पठान का आखिरी मैच में प्रदर्शन काफी मायने रखता है, क्योंकि पिछले पांच साल में यह चौथा अवसर है, जबकि किसी भारतीय गेंदबाज ने वन-डे मैच में पांच विकेट लिए। पठान भी अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, खुदा का शुक्र है कि इस पूरी शृंखला में मैंने अच्छी गेंदबाजी की और कुछ उपयोगी रन भी बनाए।
पठान को 2004 में पहली बार तेज गेंदबाज के तौर पर टीम में चुना गया था। इसके बाद उन्होंने भारतीय गेंदबाजी का जिम्मा अच्छी तरह संभाला। इस बीच उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भी प्रभावित किया तथा कुछ टेस्ट मैचों में तो उनसे पारी का आगाज भी करवाया गया। जब ग्रेग चैपल कोच थे, तो उन्होंने पठान को बल्लेबाजी पर अधिक ध्यान देने के लिए कहा।
पठान हमेशा दोहराते रहे कि वह पहले गेंदबाज हैं और तब बल्लेबाज, लेकिन 2006 के बाद उनकी गेंदबाजी बेअसर होने लगी, जिसके कारण उन्हें अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। पठान ने पिछले साल दिसंबर में वापसी की, लेकिन इसके बाद निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
उन्होंने दिसंबर से श्रीलंका दौरे से पहले तक आठ मैच में 100 रन बनाए तथा 13 विकेट लिए, लेकिन बांग्लादेश में खेले गए एशिया कप में वह बुरी तरह फ्लॉप रहे, जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। अब वह फिर से लय में आ गए हैं और यदि वह इस प्रदर्शन को बरकरार रखते हैं, तो भारत को ऑलराउंडर की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास अधिक विकल्प रहेंगे।
पठान ने श्रीलंका के खिलाफ पांच एकदिवसीय मैचों में विषम पलों में अच्छी बल्लेबाजी की। इसके अलावा उन्होंने कसी हुई गेंदबाजी करके अपने चयन को भी सही ठहराया है। बड़ौदा के इस ऑलराउंडर ने चार पारियों में तीन बार नाबाद रहते हुए 76 रन बनाए, जबकि आठ विकेट भी लिए। इनमें शनिवार को पाल्लेकल में आखिरी मैच में 61 रन देकर पांच विकेट का कारनामा भी शामिल है, जिससे भारत यह मैच और शृंखला 4-1 से जीतने में सफल रहा।
दिलचस्प बात यह है कि पठान को इस शृंखला के लिए पहले टीम में नहीं चुना गया था। भारतीय टीम के दौरे से कुछ दिन पहले विनय कुमार चोटिल हो गए और चयनकर्ताओं ने उनकी जगह पठान को चुना था। यह इस ऑलराउंडर के पास आखिरी मौका था, क्योंकि लगभग तीन साल तक बाहर रहने के बाद जब उन्होंने वापसी की, तो वह चयनकर्ताओं को प्रभावित नहीं कर पाए थे।
पठान का अब श्रीलंका में प्रदर्शन इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का आगे का कार्यक्रम काफी व्यस्त है और उसे हर समय एक ऑलराउंडर की जरूरत पड़ेगी। पठान का आखिरी मैच में प्रदर्शन काफी मायने रखता है, क्योंकि पिछले पांच साल में यह चौथा अवसर है, जबकि किसी भारतीय गेंदबाज ने वन-डे मैच में पांच विकेट लिए। पठान भी अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, खुदा का शुक्र है कि इस पूरी शृंखला में मैंने अच्छी गेंदबाजी की और कुछ उपयोगी रन भी बनाए।
पठान को 2004 में पहली बार तेज गेंदबाज के तौर पर टीम में चुना गया था। इसके बाद उन्होंने भारतीय गेंदबाजी का जिम्मा अच्छी तरह संभाला। इस बीच उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भी प्रभावित किया तथा कुछ टेस्ट मैचों में तो उनसे पारी का आगाज भी करवाया गया। जब ग्रेग चैपल कोच थे, तो उन्होंने पठान को बल्लेबाजी पर अधिक ध्यान देने के लिए कहा।
पठान हमेशा दोहराते रहे कि वह पहले गेंदबाज हैं और तब बल्लेबाज, लेकिन 2006 के बाद उनकी गेंदबाजी बेअसर होने लगी, जिसके कारण उन्हें अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। पठान ने पिछले साल दिसंबर में वापसी की, लेकिन इसके बाद निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
उन्होंने दिसंबर से श्रीलंका दौरे से पहले तक आठ मैच में 100 रन बनाए तथा 13 विकेट लिए, लेकिन बांग्लादेश में खेले गए एशिया कप में वह बुरी तरह फ्लॉप रहे, जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। अब वह फिर से लय में आ गए हैं और यदि वह इस प्रदर्शन को बरकरार रखते हैं, तो भारत को ऑलराउंडर की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास अधिक विकल्प रहेंगे।
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