ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की मौत के बाद से ही क्रिकेट जगत में बाउंसर को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है, लेकिन दिग्गजों का मानना है कि बाउंसर पर प्रतिबंध लगाया जाना गेंदबाज़ों के साथ नाइंसाफी है।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज तथा टीम इंडिया के कोच रह चुके अंशुमन गायकवाड़ खुद भी इसी तरह की बाउंसर गेंद लगने से क्रिकेट पिच पर मौत के करीब से गुज़र चुके हैं। वर्ष 1976 में वेस्ट इंडीज़ दौरे में सबीना पार्क मैदान पर माइकल होल्डिंग की गेंद उनके बाएं कान पर लगी, और उन्हें दो दिन तक आईसीयू में रहना पड़ा। उनके कान के पर्दे फट गए थे, और उन्हें आज भी कम सुनाई देता है, लेकिन इसके बावजूद अंशुमन गायकवाड़ बाउंसर पर बैन के खिलाफ हैं।
उनका कहना है, "उन दिनों हम हेल्मेट भी नहीं पहनते थे... अगर एक इंच भी इधर या उधर गेंद लगती तो आज मैं ज़िन्दा न होता... बाउंसर खेलना बल्लेबाज़ों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है... जोखिम हर खेल में होते हैं... (फिलिप) ह्यूज के साथ जो हुआ, वह बहुत दुखद है, लेकिन हमें समझना चाहिए कि यह एक असामान्य दुघर्टना थी... बाउंसर पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए..."
भारतीय टीम के पूर्व स्पिन गेंदबाज इरापल्ली प्रसन्ना के अनुसार, देश के सर्वाधिक सम्मानित बल्लेबाजों में शुमार किए जाने वाले सुनील गावस्कर से ज़्यादा तो किसी भी बल्लेबाज़ ने वेस्ट इंडीज़ की खतरनाक पेस बैटरी का सामना नहीं किया होगा। गावस्कर की सफलता के पीछे बाउंसर को खेलने की उनकी मजबूत बैकफुट तकनीक भी रही। गावस्कर, विजय मांजरेकर, तथा वेस्ट इंडीज़ के दिग्गज बल्लेबाजों विवियन रिचर्ड्स और गैरी सोबर्स जैसे महान खिलाड़ियों ने बाउंसर के खिलाफ एक तकनीक विकसित कर ली थी, और ये बल्लेबाज गेंद की लाइन से ही हट जाते थे, या ज़रूरत महसूस करने पर हुक शॉट लगा दिया करते थे। ये तकनीक बेहतरीन थी।
हाल के कुछ सालों में आईसीसी ने क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के लिए जो भी नए नियम बनाए हैं, वे बल्लेबाज़ों के पक्ष में हैं, सो, पूर्व भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जवागल श्रीनाथ का कहना है कि ऐसे माहौल में बाउंसर को भी हटा देने से गेंदबाज़ी बिल्कुल बेमानी रह जाएगी। उन्होंने कहा, "बाउंसर को हटाने या फिर एक ओवर में दो से घटाकर एक करने पर खेल का संतुलन बिगड़ जाएगा... बाउंसर को हटाने से मौत रुक जाएगी, इसकी भी गारंटी नहीं... बल्लेबाज़ का एक तेज़ शॉट गेंदबाज़ के सिर पर लग जाए तो भी उसकी ज़िन्दगी खतरे में पड़ सकती है..."
उल्लेखनीय है कि पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग भी बाउंसर पर प्रतिबंध के खिलाफ राय व्यक्त कर चुके हैं। एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सहवाग ने कहा था, शॉर्ट पिच गेंदों से बचने का सबसे अच्छा तरीका डक करना (झुक जाना) है। उन्होंने कहा, "यह बहुत अफसोसनाक है कि फिलिप ह्यूज की मौत इस तरह हुई, लेकिन चोट क्रिकेट का हिस्सा है... आप बाउंसर का सामना करते हुए डक कर सकते हैं, लेकिन अगर बाउंसर हटा दिए जाएंगे, तो खेल में मज़ा ही नहीं रहेगा... मैं भी हेल्मेट पर चोट खा चुका हूं, लेकिन क्रिकेट वैसे भी बल्लेबाज़ों का गेम है, सो, ऐसे में बाउंसर गेंदबाज़ों का अच्छा हथियार है..."
सो, फिल ह्यूज को सच्ची श्रद्धांजलि यह हो सकती है कि बाउंसर गेंदों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की जगह सुरक्षा उपकरणों को बेहतर बनाने पर ज़ोर दे।
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