नई दिल्ली से महावीर रावत:
भारत की अंडर-19 टीम द्वारा ऑस्ट्रेलिया में खिताब का बचाव कर रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराकर तीसरी बार खिताब जीत लेने की ख़बरों और तस्वीरों ने पूरे देश को जश्न के माहौल में डुबो दिया, और इन बेहद उत्साहित खिलाड़ियों के परिवार वाले भी अपने बच्चों की कामयाबी से हासिल हुई खुशी का हिस्सा बने...
लेकिन इस शानदार जीत को हासिल करने के लिए भारत की इस युवा ब्रिगेड ने ऐसी ट्रेनिंग ली थी, जिसके बारे में जानकर बाकी जूनियर टीमें तो क्या, सीनियर टीमें भी चौंक उठेंगी... दरअसल, अंडर-19 के इन खिलाड़ियों को कोच भरत अरुण ने विश्वकप से ठीक पहले बैंगलोर में हुए कोचिंग कैम्प के दौरान एक अनोखे प्रयोग के तहत सिर्फ बल्ले और गेंद से ही ट्रेन नहीं किया, इन्हें मुश्किल से मुश्किल हालात से दो-चार होने के लिए कमांडो ट्रेनिंग भी दिलवाई...
इस ट्रेनिंग का मकसद टीम के खिलाड़ियों को कठिन से कठिन हालात में भी एकजुटता का पाठ सिखाना था, जिसके लिए टीम के सभी खिलाड़ियों को बैंगलोर के कैम्प से हटाकर मैसूर के नागर होल फॉरेस्ट में ले जाया गया... मैसूर के इन जंगलों में खिलाड़ियों को कई प्रकार के ड्रिल और टास्क के जरिये टीम बिल्डिंग सिखाई गई, और उनके भीतर हर हाल में लड़ने की भावना को जगाया गया...
लगता है, भरत अरुण ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कोच जॉन बुकानन की तरकीब आजमाई, जो हर मुश्किल सीरीज़ से पहले अपनी टीम के लिए जंगलों में ऐसे ही बट कैम्प आयोजित किया करते थे, लेकिन भारत के कोच की इस तरकीब का असर विश्वकप के मैचों में साफ देखने को मिला... टीम इंडिया ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ एक विकेट से बेहद रोमांचक जीत हासिल की... उसके बाद दबाव से उबरते हुए बेहद करीबी सेमी-फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने न्यूज़ीलैण्ड को नौ रन से हराया, तथा आखिर में सबसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण फाइनल मुकाबले में अविजित कही जाने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम को उन्हीं की धरती पर हराकर खिताब जीता...
सो, इन नतीजों से साफ ज़ाहिर है कि कोच द्वारा टीम के खिलाड़ियों को दिलवाई गई कमांडो ट्रेनिंग, और उसके जरिये खिलाड़ियों में पैदा किया गया जुझारूपन टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत का बेहद अहम हिस्सा रही...
लेकिन इस शानदार जीत को हासिल करने के लिए भारत की इस युवा ब्रिगेड ने ऐसी ट्रेनिंग ली थी, जिसके बारे में जानकर बाकी जूनियर टीमें तो क्या, सीनियर टीमें भी चौंक उठेंगी... दरअसल, अंडर-19 के इन खिलाड़ियों को कोच भरत अरुण ने विश्वकप से ठीक पहले बैंगलोर में हुए कोचिंग कैम्प के दौरान एक अनोखे प्रयोग के तहत सिर्फ बल्ले और गेंद से ही ट्रेन नहीं किया, इन्हें मुश्किल से मुश्किल हालात से दो-चार होने के लिए कमांडो ट्रेनिंग भी दिलवाई...
इस ट्रेनिंग का मकसद टीम के खिलाड़ियों को कठिन से कठिन हालात में भी एकजुटता का पाठ सिखाना था, जिसके लिए टीम के सभी खिलाड़ियों को बैंगलोर के कैम्प से हटाकर मैसूर के नागर होल फॉरेस्ट में ले जाया गया... मैसूर के इन जंगलों में खिलाड़ियों को कई प्रकार के ड्रिल और टास्क के जरिये टीम बिल्डिंग सिखाई गई, और उनके भीतर हर हाल में लड़ने की भावना को जगाया गया...
लगता है, भरत अरुण ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कोच जॉन बुकानन की तरकीब आजमाई, जो हर मुश्किल सीरीज़ से पहले अपनी टीम के लिए जंगलों में ऐसे ही बट कैम्प आयोजित किया करते थे, लेकिन भारत के कोच की इस तरकीब का असर विश्वकप के मैचों में साफ देखने को मिला... टीम इंडिया ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ एक विकेट से बेहद रोमांचक जीत हासिल की... उसके बाद दबाव से उबरते हुए बेहद करीबी सेमी-फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने न्यूज़ीलैण्ड को नौ रन से हराया, तथा आखिर में सबसे ज़्यादा चुनौतीपूर्ण फाइनल मुकाबले में अविजित कही जाने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम को उन्हीं की धरती पर हराकर खिताब जीता...
सो, इन नतीजों से साफ ज़ाहिर है कि कोच द्वारा टीम के खिलाड़ियों को दिलवाई गई कमांडो ट्रेनिंग, और उसके जरिये खिलाड़ियों में पैदा किया गया जुझारूपन टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत का बेहद अहम हिस्सा रही...
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