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This Article is From Nov 18, 2017

सबसे उम्रदराज टेस्ट डेब्यू..जेब में रखता था 'स्पिन की पुड़िया'!

यह क्रिकेटर अगर आज के दौर में 'यह हरकत' करता, तो पक्का उसे आजीवन प्रतिबंध झेलना पड़ा. लेकिन करीब 82 साल पहले के हालात का इस स्वर्गीय क्रिकेटर ने पूरा फायदा उठाया !

सबसे उम्रदराज टेस्ट डेब्यू..जेब में रखता था 'स्पिन की पुड़िया'!
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: क्या आप बता सकते हैं कि भारत के लिए सबसे ज्यादा उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किस खिलाड़ी ने किया है. हो सकता है कि इस खिलाड़ी का नाम तुरंत ही आपकी जुबान पर आ जाए, लेकिन आपको इस खिलाड़ी के उस कारनामे के बारे में नहीं ही पता होगा, जो यह अपनी गेंदबाजी को धार देने और अपनी उंगलियों को नरम बनाने के लिए किया करता था. वास्तव में इस खिलाड़ी की यह हरकत आज के खेल के नियमों के लिहाज से अनैतिक और गैरकानूनी थी. अगर आज कोई गेंदबाज इस हरकत को अंजाम देता है, तो उस पर प्रतिबंध लगना फीसदी पक्का है. आज इस पूर्व क्रिकेटर का जन्‍मदिन है.

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चलिए हम पहले हम आपको एक बार फिर से इस भारतीय खिलाड़ी का नाम बता देते हैं, जिनके नाम अभी भी सबसे ज्यादा उम्र में टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण का रिकॉर्ड बरकरार है. 19 नवंबर 1892 को जन्मे इस क्रिकेटर की आज जयंती है और इनका नाम है रुस्तमजी जमशेदजी, जिनका 5 अप्रैल 1976 को निधन हो गया था. बता दें कि रुस्तमजी जमशेदजी ने 41 साल और 27 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था और यह रिकॉर्ड आज तक कायम है. रुस्तमजी जमशेद जी भारत के लिए सिर्फ एक ही टेस्ट मैच खेल सके और यह टेस्ट मैच 1933-34 में मुंबई जिमखाना और इंग्लैंड के बीच खेला गया था. बाएं हाथ के स्पिनर रुस्तमजी ने इस मैच में पांच रन बनाए और तीन विकेट लिए. वहीं, साल 1922-23 में पारसियों के खेलते हुए रुस्तमजी जमशेदजी ने हिंदुओं के खिलाफ फाइनल मुकाबले में 122 रन देकर 11 विकेट चटकाए थे, तो साल 1928-29 में उन्होंने यूरोपियंस के खिलाफ फाइनल में 104 रन देकर दस विकेट लिए थे. एक मौके पर तो मैच के बाद बहुत ही जमकर जश्न मनाया गया और दर्शकों की भारी भीड़ ने पारसियों की टीम को घेर लिया. ऐसे में रुस्तमजी जमशेद जी को कुर्सी पर बैठाकर पेवेलियन लाया गया. 

इस तमाम शानदार प्रदर्शन के पीछे एक बड़ी वड़ी वजह उनकी 'जेब में रखी स्पिन' की पुड़िया थी, जिसे वह गेंदबाजी के दौरान हमेशा रखते थे. अब आप कहेंगे कि यह  स्पिन की पुड़िया क्या है. चलिए हम इस स्पिन की पुड़िया के सस्पेंस को भी खत्म किए देते हैं। दरअसल रुस्तम जी मैच के दौरान वायलिन (सारंगी) पर लगाई जाने वाली वॉर्निश या तेल को अपनी जेब में रखते थे।

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वह इसे अपनी उंगलियों को नरम बनाए रखने के लिए करते थे, जिसका फायदा गेंद के घुमाव में भी मिला था. उस दौर में न तो आईसीसी का ही अस्तित्व था और न ही आज के दौर जैसे कड़े क्रिकेट के नियम थे. उस समय के हालात और नियमों का जमशेदजी ने पूरा-पूरा फायदा उठाया.
 

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