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This Article is From Dec 03, 2017

IND VS SL: 'इन वजहों' से श्रीलंका का 'यह कदम' लग रहा प्रशंसकों को ड्रामा!

फिरोजशाह कोटला टेस्ट के दूसरे दिन वह हुआ, जो क्रिकेट इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. लेकिन जब यह हुआ, तो श्रीलंकाई टीम के रवैये और खेल भावना पर सवाल खड़ा कर गया.

IND VS SL: 'इन वजहों' से श्रीलंका का 'यह कदम' लग रहा प्रशंसकों को ड्रामा!
श्रीलंका टीम के इसी अंदाज पर उठ रहे हैं सवाल
नई दिल्ली: नई दिल्ली के कोटला मैदान पर भारत और श्रीलंका के खिलाफ खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन 'ऐसा ड्रामा' देखा गया, जिसके दर्शन पहले कभी क्रिकेट इतिहास में नहीं ही हुए! जैसे-जैसा विराट कोहली का बल्ला लंकाई गेंदबाजों पर और मुखर होता गया, वैसे-वैसे श्रीलंकाई खिलाड़ियों के चेहरों पर 'मुखौटों' की संख्या भी बढ़ती गई. दरअसल हुआ यह कि लंच के बाद दूसरे सेशन के दौरान फील्डिंग कर रहे ज्यादातर श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने प्रदूषण से बचने वाले मास्क पहन लिए.

हालांकि, सुबह मैच शुरू होने के समय ऐसा बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन लंच के बाद दूसरे सेशन में यह ड्रामा देखा गया. हम ड्रामा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सोशल मीडिया सहित क्रिकेट पंडितों और पूर्व खिलाड़ियों ने लंकाई खिलाड़ियों के इस रवैये को ड्रामा और खेल की भावना के विपरीत तक करार दिया. हालांकि, श्रीलंका टीम मैनेजमेंट की तरफ से इसके पीछे वजह यह बताई गई कि एयर पॉल्यूशन के कारण कई खिलाड़ियों को उल्टी हुई, तो कुछ को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ा. ऐसे में लंकाई कप्तान चंडीमल ने अंपायरों से खोल रोकने की अपील की. इस पर तीसरे अंपायर डेविड बून के साथ मैदानी अंपायरों ने विमर्श भी किया, लेकिन उन्होंने खेल जारी रखने को कहा. मगर बाद में श्रीलंका टीम का इसको लेकर ड्रामा इतना ज्यादा बढ़ गया कि विराट कोहली ने गुस्से में पारी की घोषणा कर दी. इसी पर शुरू हो गई श्रीलंका टीम की खिंचाई. अगर सोशल मीडिया पर प्रशंसकों सहित बाकी लोगों ने श्रीलंकाई टीम पर तानों की बरसात करते हुए इसे ड्रामा करार दिया और उसकी जमकर टांग खिंचाई की, तो इसके पीछे ठोस वजह भी हैं.
 
प्रदूषण नहीं, विराट ने खराब की हवा !
ट्विटर पर कई प्रशंसकों ने लंकाई टीम पर ताना मारते हुए कहा कि मेहमान खिलाड़ियों ने चेहरे पर मास्क दिल्ली के प्रदूषण के कारण नहीं बल्कि विराट की पारी के कारण पहने हैं. वास्तव में विराट कोहली और भारी-भरकम स्कोर ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों की हवा खराब कर दी है. वैसे प्रशंसकों की बात श्रीलंका टीम पर शक करने की पूरी वजह देती है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सीरीज में विराट एंड कंपनी के प्रदर्शन ने लंकाइयों के मनोबल पर ऐसी चोट  पहुंचाई है कि उनका खेलने में मन ही नहीं लग रहा. उन्होंने अपने अपने प्रदर्शन और हालात से सही तरीके से निपटने के बजाय खेल भावने के विपरीत रवैया दिखा कर कोई सही उदाहरण पेश नहीं किया.

अंपायरों पर क्यों असर नहीं?
क्रिकेट प्रशंसक यह भी सवाल कर रहे हैं कि जब प्रदूषण इतना ज्यादा था, तो मैदान पर मौजूद अंपायरों ने मास्क क्यों नहीं पहना. कुछ ऐसी ही बाद फिरोजशाह कोटला मैदान पर जमा हजारों दर्शकों के बारे में भी कही जा सकती है. इसमें से बमुश्किल पांच फीसदी दर्शकों भी मास्क नहीं पहना था. इसके अलावा कई भारतीय क्रिकेटर ऐसे हैं, जो भारत के अलग-अलग राज्यों से आते हैं, लेकिन फील्डिंग के दौरान उन्होंने भी मास्क का सहारा नहीं लिया. यही कारण रहा कि सोशल मीडिया पर श्रीलंकाई क्रिकेटरों को प्रशंसकों ने साधारण क्रिकेटर और साधारण एक्टर तक करार दिया.

बल्लेबाजी के दौरान मास्क क्यों नहीं?
एक सवाल विशेषज्ञों ने यह भी उठाया कि फील्डिंग के दौरान तो श्रीलंकाइयों फील्डरों को मास्क की जरुरत महसूस हो रही थी, लेकिन उसके किसी भी बल्लेबाज ने बैटिंग के दौरान मास्क नहीं पहना. जहां तक हमारी जानकारी का सवाल है, तो ऐसा हैलमेट तो आज तक नहीं ही बना, जो प्रदूषण से बल्बलेबाज को बचाने में मदद करता है. प्रशंसकों का यह तर्क भी श्रीलंका टीम के रवैये और खेल भावना पर सवाल उठाने के लिए काफी है.  इन्हीं कारणों को लेकर क्रिकेटप्रेमी लंकाई खिलाड़ियों पर जमकर बरसे. इस मामले में बड़ी संख्या में प्रशंसकों ने आईसीसी से मामले में दखल देकर इस घटना की जांच करने की मांग की है. इसके पीछे एक वजह यह भी है कि क्रिकेट इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब किसी टीम ने प्रदूषण के कारण मैदान में खेल जारी रखने में असमर्थता जतायी.

600 मिनट में विराट को जरुरत क्यों नहीं?
भारतीय कप्तान विराट कोहली छह सौ से ज्यादा मिनट पर क्रीज पर रहे. उन्होंने अच्छी-खासी संख्या में दौड़ कर रन लिए. लेकिन किसी ने भी उन्हें खांसते तक नहीं देखा. फिर मास्क पहने की तो बात ही दूर है. यह सही है कि विराट दिल्ली के ही रहने वाले वाले हैं, लेकिन राजधानी का प्रदूषण साल भर एक ही स्तर पर नहीं रहता. ऐसे में कुछ तो परेशानी विराट को होनी चाहिए थी. भारतीय प्रशंसकों का 'विराट तर्क' भी श्रीलंकाई टीम को अच्छी तरह घेरता है.
बहरहाल अब देखने की बात यह होगी कि आईसीसी इस 'ऐतिहासिक घटना' पर कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करती है. यहां आईसीसी के दखल देने की पूरी वजह बनती है,  जिससे यह साफ हो सके कि वास्तव में फिरोज शाह कोटला मैदान पर प्रदूषण की समस्या थी या प्रशंसकों का शक एकदम सही है कि श्रीलंकाई टीम ने खेल भावना से परे जाकर ड्रामा किया.

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