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This Article is From Sep 12, 2016

क्रिकेट के मैदान से राजनीति के पिच तक,जानिए कौन साबित हुआ हीरो और कौन जीरो

क्रिकेट के मैदान से राजनीति के पिच तक,जानिए कौन साबित हुआ हीरो और कौन जीरो
नई दिल्ली: क्रिकेट और राजनीति का रिश्ता काफी पुराना है. कई बार ऐसा देखा गया है कि क्रिकेट के मैदान पर शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी राजनीति के मैदान पर भी अच्छा प्रदर्शन करते  हैं. लेकिन कई बार अच्छे खिलाड़ियों ने भी राजनीति में अपना विकेट आसानी से गंवा दिया. टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाज और रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश की कप्तानी कर चुके प्रवीण कुमार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रचार करेंगे. यह भी हो सकता है कि कुछ समय बाद उन्हें समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्यसभा सदस्य बना दिया जाए.

क्रिकेट के मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले प्रवीण कुमार राजनीति के मैदान में सफल हो पाएंगे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन प्रवीण कुमार राजनीति में जाने वाले पहले खिलाड़ी नहीं हैं. उनसे पहले भी कई खिलाड़ी राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं, उनमें से कुछ सफल हुए और कुछ असफल. आइए डालते हैं एक नजर...
 
कीर्ती आजाद दरभंगा लोकसभा सीट से सांसद हैं.

कीर्ति आजाद
राजनीति में सफल होने वाले क्रिकेटरों में पहला नाम कीर्ति आज़ाद का आता है. भारत की तरफ से सिर्फ सात टेस्ट और 25 एकदिवसीय मैच खेलने वाले कीर्ति आज़ाद पिछले 23 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं. एक खिलाड़ी के रूप में कीर्ति जितनी कीर्ति नहीं कमा पाए  उसे ज्यादा उन्होंने राजनीति में कमाई. कीर्ति आज़ाद 1993 से 1998 तक दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के विधायक रहे. साल 1999 में दरभंगा लोकसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़कर वह सांसद बने. इसके बाद 2009 और 2014 में इस चुनाव क्षेत्र से उन्होंने जीत दर्ज की. इस तरह कीर्ति आज़ाद एक बार विधान सभा चुनाव और तीन बार लोक सभा चुनाव जीत चुके है।
 

नवजोत सिंह सिद्धू
कीर्ति आज़ाद के बाद नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति में सफल होने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं. टीम इंडिया  के सलामी बल्लेबाज रहे सिद्धू राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी माने जाते हैं. वह पंजाब के अमृतसर सीट से तीन बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रहे. हाल ही में राज्यसभा से इस्तीफा देकर उन्होंने “आवाज़ ए पंजाब” नाम की नई पार्टी बनाई है. यह पार्टी पंजाब में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में शामिल होगी.

लक्ष्मी रतन शुक्ल
टीम इंडिया के पूर्व ऑल राउंडर लक्ष्मि रतन शुक्ल भी राजनीति के मैदान पर सफल होते हुए नज़र आए. इस साल वेस्ट बंगाल विधानसभा चुनाव में शुक्ल ने तृणमूल कांग्रेस की टिकट से विधानसभा चुनाव जीता था और अब पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री भी हैं.
 

सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर राजनीति के मैदान पर काफी सेफ खेलते हुए नज़र आते हैं. वह 2013 से राज्यसभा के सांसद हैं. लेकिन वह खुद को सक्रिय राजनीति से दूर रखते हैं. साल 2014 में कांग्रेस उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया था. टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले सचिन राज्यसभा के अंदर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं. पिछले चार साल राज्यसभा में सचिन का अटेंडेंस सात प्रतिशत के करीब रहा.

चेतन चौहान
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान चेतन चौहान भी दो बार लोक सभा सांसद रह चुके हैं. वह 1991 और 1998 में अमरोहा लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में वह चुनाव जीत चुके हैं।
 

एस.श्रीसंथ
एस श्रीसंथ ने कुछ दिनों पहले भाजपा की सदस्यता ली थी और केरल के तिरुअनंतपुरम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हुए हार गए थे. क्रिकेट के मैदान पर कई बार शानदार गेंदबाज़ी करते हुए बल्लेबाज़ों पवेलियन लौटने वाले श्रीसंथ राजनीति के पिच अपना विकेट नहीं बचा पाए थे।

मोहम्मद कैफ
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद कैफ भी राजनीति मे विफल हुए हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मोहम्मद कैफ कांग्रेस की टिकट से उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से चुनाव लड़ते हुए हार गए थे.
 

मोहम्मद अज़हरुद्दीन
पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने खेल का मैदान छोड़ा तो हार का सामना करना पड़ा. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में हार गए थे. उनके हारने की सबसे बड़ी वजह थी अपना मैदान छोड़कर दूसरे मैदान पर खेलना. साल 2009 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनने वाले अज़हरुद्दीन 2014 में राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर सीट से चुनाव लड़े थे और हार गए.
 
विनोद कांबली
भारत के पूर्व खिलाड़ी और तेंदुलकर के दोस्त विनोद कांबली भी राजनीति के पिच पर फेल हो चुके हैं. उन्होंने 2009 में लोक भारती पार्टी की तरफ से महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गए थे.

मनोज प्रभाकर
टीम इंडिया के पूर्व ऑल-राउंडर मनोज प्रभाकर भी राजनीति में सफल नहीं हो पाए. साल 1996 में मनोज प्रभाकर ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) से साउथ दिल्ली क्षेत्र से चुनाव लड़ते हुए बुरी तरह हार गए थे.

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