
Musheer Khan: पिछले कुछ समय से भारतीय घरेलू क्रिकेट में मुंबई के बल्लेबाज सरफराज खान (Sarfaraz Khan) ने बल्ले से आग सी लगा दी है. रनों के ढेर पर ढेर लगाने के बावजूद टीम इंडिया में चयन नहीं हुआ, तो बीसीसीआई पर भी उंगली उठी, तो चयन समिति को भी आलोचना झेलनी पड़ी. और जब इंग्लैंड के खिलाफ कुछ खिलाड़ी चोटिल हुए, तो सरफराज टीम में चुन ही लिए गए. सरफराज को तो इलेलवन में जगह का इंतजार है, लेकिन उधर दक्षिण अफ्रीका में अंडर-19 विश्व कप (Under-19 World Cup) में उनके छोटे भाई मुशीर खान (Musheer Khan) ने ऑलराउंडर प्रदर्शन से बता दिया कि वह आने वाले दिनों उनके प्रदर्शन के बारे में बहुत कुछ लिखने-पढ़ने को मिलेगा. और इसी के साथ ही करोड़ों फैंस के बीच उम्मीद भी बढ़ गई है, तो संभावित रिकॉर्ड को लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है.
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दरअसल अब करोड़ों भारतीय फैंस यह चर्चा करने लगे हैं कि ये दोनों भाई एक साथ टीम इंडिया के लिए खेलते दिखाई पड़ सकते हैं. हालांकि, बड़ा भाई दीर्घकालिक फॉर्मेट में बेहतर कर रहा है, तो छोटे मियां व्हाइट-बॉल के उस्ताद दिखाई पड़ते हैं, लेकिन फिर भी दोनों का प्रदर्शन देखते हुए उम्मीद बंधी है कि दोनों कभी न कभी एक साथ टीम इंडिया की जर्सी में दिखाई पड़ सकते हैं. और अगर ऐसा होता है, खान बंधु वह कारनामा कर देंगे, जो अभी तक भारतीय क्रिकेट इतिहास में चुनिंदा खिलाड़ी ही कर सके हैं. वैसे यहां बड़ा अंतर भाइयों के एक साथ इलेवन में खेलने और दो भाइयों के अलग-अलग कालखंड में टीम के लिए खेलने का भी है.

बड़े भाई मोहिंदर का ज्यादा जलवा
जब बात भारतीय क्रिकेट में सगे भाइयों की आती है, तो यहां कुछ नाम हैं, इन्होंने ऐसा बखूबी किया है. और इनमें सबसे पहले मोहिंदर अमरनाथ और राजेंद्र अमरनाथ का नाम आता है. वैसे इनके पिता लाला अमरनाथ भी भारत की कप्तानी कर चुके हैं. सुरेंद्र अमरनाथ ने राजेंद्र की तुलना में कहीं ज्यादा नाम कमाया
पांड्या बंधु अभी भी सक्रिय
वहीं, पांड्या बंधु हार्दिक और क्रुणाल फिलहाल मैदान पर सक्रिय हैं. ये दोनों एक साथ मुंबई इंडियंस के लिए खेले, तो भारत के लिए भी ये एक साथ मैदान पर खेल चुके हैं. इनमें हार्दिक ने कद अपना खासा ऊंचा कर लिया है, लेकिन क्रुणाल हार मानने को राजी नहीं हैं. और लगातार कोशिश कर रहे हैं वह भारत के लिए और मैच खेल लें.

Photo Credit: BCCI
पठान बंधु को मिली सबसे ज्यादा लोकप्रियता
पिछले कुल मिलाकर सभी जोड़ियों में सबसे ज्यादा मिलने वाली लोकप्रियता की बात करें, तो इसमें पठान बंधु अव्वल हैं. ये दोनों अलग-अलग नहीं, बल्कि एक कालखंड में साथ-साथ खेले. दोनों ने मिलकर भारत को मैच जिताया. छोटे भाई इरफान को शुरुआत से ही जल्द सफलता मिली, तो यूसुफ ने बाद में अपने लिए नाम कमाया.

गुप्ते बंधुओं में सुभाष का रहा जलवा
पुराने क्रिकेटरों की बात करें, तो साल 1951 से 1961 तक भारत के अच्छे लेग स्पिनरों में माने गए सुभाष गुप्ते देश के लिए खेले. उन्होंने 36 टेस्ट मैचों में 149 विकेट चटकाए. विंडीज के खिलाफ कानपुर में सुभाष ने 1958 में 102 रन पर 9 विकेट लिए थे. वहीं, उनके भाई बालू गुप्ते भी लेग स्पिनर थे. वह केवल तीन ही टेस्ट मैच खेल सके, लेकिन उन्होंने 99 फर्स्ट क्लास मैचों में 417 विकेट लिए, जो बताता है कि उन्हें उनका जरूरी हक नहीं मिल सका

माधव आप्टे को लेकर आज भी है यह सवाल?
पूर्व क्रिकेटरों दो और भाई रहे, जो भारत के लिए खेले ये थे माधव आप्टे और अरविंद आप्टे. माधवन आप्टे ने साल 1952-53 के विंडीज दौरे में पांच टेस्ट में 51.11 के औसत से 460 रन बनाए. तीसरे टेस्ट में पोर्ट-ऑफ-स्पेन में उन्होंने नाबाद 163 रन बनाए. लेकिन यह आज भी रहमस्यी ही है कि इस बहुत ही सफल दौरे के बाद माधव ने भारत के लिए कोई टेस्ट नहीं खेला. सात टेस्ट खेलने के बाद उनका करियर खत्म हो गया, जिसमें उन्होंने 49.27 की औसत से 542 रन बनाए. माधव के छोटे भाई अरविंद आक्रामक बल्लेबाज थे. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1959 में करियर का आगाज किया. उन्होंने दोनों पारियों में क्रमश: 8 और 7 रन बनाए. और इसके बाद वह कभी भारत के लिए नहीं खेले.
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