ब्रिस्बेन टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की जीत की जमीन तैयार करने में सबसे अहम भूमिका रही खतरनाक तेज़ गेंदबाज़ मिशेल जॉनसन की, जिसका मानना है कि क्रिकेट में मनोवैज्ञानिक युद्ध बेहद महत्वपूर्ण है। जॉनसन कहते हैं, "कई बार हम बल्लेबाज़ को ऐसी बातें कहते हैं, जिससे उसकी एकाग्रता गड़बड़ा जाए... कभी हम उनको उनके पैरों के बारे में सोचने के लिए विवश करते हैं तो कभी हम उनसे कहते हैं कि एक और शॉर्ट बॉल के लिए तैयार रहो... यह माइंड गेम है..."
उनके अनुसार ऐशेज़ सीरीज़ जीत में स्लेजिंग बहुत काम आई, खासकर पुछल्ले बल्लेबाज़ों को आउट करने में। मिशेल जॉनसन ने अपनी एक डीवीडी 'मिशेल जॉनसन: बाउंस बैक' में यह खुलासा किया है, "अगर आप बल्लेबाज़ पर ताना कसें कि उसका पैर नहीं चल पा रहा है तो वह इस बारे में सोचना शुरू कर देगा... अगर आपने अगली गेंद शॉर्ट फेंक दी तो आप उस पर हावी हो सकते हैं... मुझे तब बड़ा मज़ा आता है... मुझे नहीं लगता कि आप इसे रोक सकते हैं..."
जॉनसन नहीं मानते कि ऐसा करते समय गेंदबाज़ किसी नियम को तोड़ रहा होता है। उन्होंने कहा, "कई बार यह टीवी पर ज़्यादा नज़र आ सकता है... लेकिन हम नियमों के अंदर ही यह सब करते हैं..."
मौज़ूदा सीरीज़ में भारतीय खिलाड़ी भी स्लेजिंग का जवाब स्लेजिंग से देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज ओपनर सुनील गावस्कर इसके खिलाफ हैं, "हम शुरू से ही स्लेजिंग नहीं कर रहे हैं, जबकि ऑस्ट्रेलियाई बचपन से यह करते हैं... इसलिए अगर आप उन्हें मैदान पर कुछ कहते हो तो उन्हें फर्क नहीं पड़ता... अगर आप मैदान पर दूसरे खिलाड़ी को कुछ बोलते हैं और फिर आपका प्रदर्शन ठीक नहीं रहता तो आप पर ही दबाव बन जाता है... फिलहाल तो टीम का यह अंदाज़ ऑस्ट्रेलिया को फायदा पहुंचा रहा है..."
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