लोकेश राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में पदार्पण किया था (फाइल फोटो)
टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे दौरे में जहां वनडे में क्लीन स्वीप किया, वहीं टी-20 में 2-1 से कब्जा जमाया। जिम्बाब्वे की कमजोर टीम को देखते हुए माना जा रहा था कि टीम इंडिया आसानी से जीत दर्ज कर लेगी, लेकिन जिम्बाब्वे ने टी-20 में भारत के पसीने छुड़वा दिए और टीम इंडिया को एक मैच में हार का सामना करना पड़ा, वहीं अंतिम मैच में काफी संघर्ष के बाद जीत हाथ लगी। हालांकि चयनकर्ताओं का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, तो वह जिम्बाब्वे दौरे के प्रदर्शन को कोई खास तवज्जो नहीं देते, फिर भी इस दौरे में कई नए खिलाड़ियों को इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण करने का मौका मिला और उनमें से कुछ नहीं प्रभावित भी किया। हम आपको टीम इंडिया की ओर से इस दौरे में खास प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं-
केएल राहुल : टेस्ट की छाप से निकले बाहर
कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल ने जनवरी, 2015 में टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में सेंचुरी बनाकर इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में पैर जमा लिए थे, लेकिन सीमित ओवर के क्रिकेट में उन्हें मौका नहीं मिल पाया था, क्योंकि उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए अधिक फिट माना जाता था। राहुल ने आईपीएल 2016 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की ओर से टी-20 में अपनी हिटिंग क्षमता से प्रभावित करके जिम्बाब्वे दौरे की टीम इंडिया में अपनी जगह बना ली। उन्होंने इस दौरे में कप्तान एमएस धोनी को निराश नहीं किया और भरोसे पर खरा उतरते हुए पहले वनडे और फिर टी-20 में शानदार खेल दिखाकर सीमित ओवर के क्रिकेट में छाप छोड़ी। राहुल ने जिम्बाब्वे दौरे में 3 वनडे खेले, जिनमें 196 रन बनाए। उनका बेस्ट 100 रन नाबाद रहा और औसत 196 का रहा। दौरे में उन्होंने वनडे में एक सेंचुरी के अलावा एक फिफ्टी भी ठोकी। अपने पदार्पण वनडे में शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय बन गए हैं। टी-20 सीरीज में भी उनका बल्ला बोलता रहा और उससे 3 मैचों में 69 रन निकले, जिनमें 47 रन नाबाद बेस्ट प्रदर्शन रहा।
केदार जाधव : जिम्बाब्वे की धरती पर फिर छाए
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 सीरीज के अंतिम मैच में शानदार फिफ्टी बनाकर टीम इंडिया की नाक बचाने वाले केदार जाधव को यहां की धरती खूब रास आती है। इससे पहले भी वह जिम्बाब्वे दौरे (साल 2015) में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं और उनके नाम यहां वनडे में एक सेंचुरी भी है। जाधव को टी-20 के दो मैचों में कप्तान एमएस धोनी ने मौका दिया, जिनमें उनके बल्ले ने 78 रन उगले। उनका बेस्ट स्कोर 58 रन रहा। सीरीज में उनका औसत 38.50 रहा, जो टी-20 के लिहाज से बेहतर है। अब देखना होगा कि वह जिम्बाब्वे दौरे तक ही सीमित रहते हैं या चयनकर्ता उन्हें आगे भी मौका देते हैं।
मनदीप सिंह : छोटे फॉर्मेट के अनुकूल है शैली
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 में इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजे गए पंजाब की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले मनदीप ने इंडिया-ए की ओर से खेलते हुए कई बार चयनकर्ताओं को प्रभावित किया था। इतना ही नहीं आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन खास रहा। लंबे इंतजार के बाद जिम्बाब्वे दौरे में उन्हें टीम इंडिया की ओर से उतरने का मौका मिला। मनदीप ने टी-20 सीरीज की तीन पारियों में 87 रन जोड़े, जिसमें 52 रन नाबाद उनका बेस्ट रहा। हालांकि वह तकनीकी रूप से ज्यादा मजबूत नहीं दिखे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी शैली छोटे फॉर्मेट के अधिक अनुकूल दिखी।
बरिंदर सरां : बाएं हाथ का उम्मीद जगाता गेंदबाज
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 सीरीज में प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे बरिंदर सरां इससे पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में पदार्पण कर चुके थे। उन्हें टीम इंडिया की ओर से 3 मैच खेलने को मिले थे, जिनमें उन्होंने 3 विकेट लिए थे, लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे। फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। आईपीएल 2016 में उन्होंने एक बार फिर प्रभावित किया और उनकी टीम में वापसी हुई। इस दौरे में सरां ने 3 मैच खेले और प्रभावी गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट चटकाए। इसके बाद टी-20 सीरीज में उन्होंने 2 मैच में 6 विकेट लेकर टीम की जीत में अहम रोल निभाया। उनका बेस्ट 10 रन देकर 4 विकेट रहा।
धवल कुलकर्णी : लाइन-लेंथ में दिखा सुधार
मुंबई रणजी टीम के सदस्य धवल कुलकर्णी टीम इंडिया की ओर से 11 वनडे खेलने का मौका मिला है, जिनमें से 3 मैच उन्होंने इसी जिम्बाब्वे दौरे में खेले हैं। इन मैचों में उन्होंने 6 विकेट चटकाए। वास्तव में कुलकर्णी में अपनी लाइन लेंथ पर काफी काम किया है और यह उनकी गेंदबाजी में नजर भी आया, जो पहले मिले मौकों के दौरान नदारद था और इसी वजह से वह टीम इंडिया से बाहर हो गए थे। छोटे फॉर्मेट टी-20 में कुलकर्णी ने जिम्बाब्वे के खिलाफ पदार्पण किया और 2 मैचों में 3 विकेट हासिल किए। उनका बेस्ट 23 रन देकर 2 विकेट रहा।
केएल राहुल : टेस्ट की छाप से निकले बाहर
कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल ने जनवरी, 2015 में टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में सेंचुरी बनाकर इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में पैर जमा लिए थे, लेकिन सीमित ओवर के क्रिकेट में उन्हें मौका नहीं मिल पाया था, क्योंकि उन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए अधिक फिट माना जाता था। राहुल ने आईपीएल 2016 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की ओर से टी-20 में अपनी हिटिंग क्षमता से प्रभावित करके जिम्बाब्वे दौरे की टीम इंडिया में अपनी जगह बना ली। उन्होंने इस दौरे में कप्तान एमएस धोनी को निराश नहीं किया और भरोसे पर खरा उतरते हुए पहले वनडे और फिर टी-20 में शानदार खेल दिखाकर सीमित ओवर के क्रिकेट में छाप छोड़ी। राहुल ने जिम्बाब्वे दौरे में 3 वनडे खेले, जिनमें 196 रन बनाए। उनका बेस्ट 100 रन नाबाद रहा और औसत 196 का रहा। दौरे में उन्होंने वनडे में एक सेंचुरी के अलावा एक फिफ्टी भी ठोकी। अपने पदार्पण वनडे में शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय बन गए हैं। टी-20 सीरीज में भी उनका बल्ला बोलता रहा और उससे 3 मैचों में 69 रन निकले, जिनमें 47 रन नाबाद बेस्ट प्रदर्शन रहा।
लोकेश राहुल ने आईपीएल 2016 में टी-20 में अपनी छाप छोड़ी थी (फाइल फोटो)
केदार जाधव : जिम्बाब्वे की धरती पर फिर छाए
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 सीरीज के अंतिम मैच में शानदार फिफ्टी बनाकर टीम इंडिया की नाक बचाने वाले केदार जाधव को यहां की धरती खूब रास आती है। इससे पहले भी वह जिम्बाब्वे दौरे (साल 2015) में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं और उनके नाम यहां वनडे में एक सेंचुरी भी है। जाधव को टी-20 के दो मैचों में कप्तान एमएस धोनी ने मौका दिया, जिनमें उनके बल्ले ने 78 रन उगले। उनका बेस्ट स्कोर 58 रन रहा। सीरीज में उनका औसत 38.50 रहा, जो टी-20 के लिहाज से बेहतर है। अब देखना होगा कि वह जिम्बाब्वे दौरे तक ही सीमित रहते हैं या चयनकर्ता उन्हें आगे भी मौका देते हैं।
केदार जाधव जिम्बाब्वे की धरती पर एक बार फिर चमके (फाइल फोटो)
मनदीप सिंह : छोटे फॉर्मेट के अनुकूल है शैली
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 में इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजे गए पंजाब की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले मनदीप ने इंडिया-ए की ओर से खेलते हुए कई बार चयनकर्ताओं को प्रभावित किया था। इतना ही नहीं आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन खास रहा। लंबे इंतजार के बाद जिम्बाब्वे दौरे में उन्हें टीम इंडिया की ओर से उतरने का मौका मिला। मनदीप ने टी-20 सीरीज की तीन पारियों में 87 रन जोड़े, जिसमें 52 रन नाबाद उनका बेस्ट रहा। हालांकि वह तकनीकी रूप से ज्यादा मजबूत नहीं दिखे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी शैली छोटे फॉर्मेट के अधिक अनुकूल दिखी।
मनदीप की बल्लेबाजी का अंदाज काफी आक्रामक है (फाइल फोटो)
बरिंदर सरां : बाएं हाथ का उम्मीद जगाता गेंदबाज
जिम्बाब्वे दौरे में टी-20 सीरीज में प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे बरिंदर सरां इससे पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में पदार्पण कर चुके थे। उन्हें टीम इंडिया की ओर से 3 मैच खेलने को मिले थे, जिनमें उन्होंने 3 विकेट लिए थे, लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे। फिर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। आईपीएल 2016 में उन्होंने एक बार फिर प्रभावित किया और उनकी टीम में वापसी हुई। इस दौरे में सरां ने 3 मैच खेले और प्रभावी गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट चटकाए। इसके बाद टी-20 सीरीज में उन्होंने 2 मैच में 6 विकेट लेकर टीम की जीत में अहम रोल निभाया। उनका बेस्ट 10 रन देकर 4 विकेट रहा।
आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बाद बरिंदर की वापसी हुई (फाइल फोटो)
धवल कुलकर्णी : लाइन-लेंथ में दिखा सुधार
मुंबई रणजी टीम के सदस्य धवल कुलकर्णी टीम इंडिया की ओर से 11 वनडे खेलने का मौका मिला है, जिनमें से 3 मैच उन्होंने इसी जिम्बाब्वे दौरे में खेले हैं। इन मैचों में उन्होंने 6 विकेट चटकाए। वास्तव में कुलकर्णी में अपनी लाइन लेंथ पर काफी काम किया है और यह उनकी गेंदबाजी में नजर भी आया, जो पहले मिले मौकों के दौरान नदारद था और इसी वजह से वह टीम इंडिया से बाहर हो गए थे। छोटे फॉर्मेट टी-20 में कुलकर्णी ने जिम्बाब्वे के खिलाफ पदार्पण किया और 2 मैचों में 3 विकेट हासिल किए। उनका बेस्ट 23 रन देकर 2 विकेट रहा।
मुंबई को 41वीं बार रणजी चैंपियन बनाने में धवल कुलकर्णी का अहम योगदान रहा है (फाइल फोटो)
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