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This Article is From Oct 09, 2015

वनडे सीरीज जीतने के लिए टीम इंडिया को दूर करनी होंगी ये कमजोरियां

वनडे सीरीज जीतने के लिए टीम इंडिया को दूर करनी होंगी ये कमजोरियां
विराट कोहली, एमएस धोनी और रवि शास्त्री (फाइल फोटो)
फ्रीडम सीरीज के तहत कोलकाता में टी-20 सीरीज का अंतिम मैच धुलने के साथ ही टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 0-2 से शर्मनाक हार झेलनी पड़ी। अब सबकी नजरें 5 मैचों की वनडे सीरीज पर टिकी हैं, जो 11 अक्टूबर से कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम से शुरू होगी। टीम इंडिया को यदि टी-20 वर्ल्ड कप और इस वनडे सीरीज में कामयाबी हासिल करनी है, तो उसे अपनी इन गलतियों से सबक सीखना होगा।

फॉर्म में चल रहे अजिंक्य रहाणे को दें मौका
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और टीम मैनेजमेंट कुछ फैसले हैरान करने वाले रहे, जिनसे उन्हें बचना होगा। धोनी ने टी-20 सीरीज के पहले दो मैचों में अजिंक्य रहाणे को बाहर रखा, जबकि रहाणे ने श्रीलंका दौरे पर शानदार प्रदर्शन किया था और फॉर्म में थे। रहाणे का आईपीएल में भी अच्छा रिकॉर्ड है। अनुभव के मामले में भी वे अंबाती रायडु से आगे हैं। पहले मैच में जीरो पर आउट होने वाले रायुडू दूसरे मैच में तो फुलटॉस पर बोल्ड हो गए, जो किसी भी बल्लेबाज के लिए शर्मनाक है। (पढ़ें, कोलकाता टी-20 : मैच हुआ रद्द, दक्षिण अफ़्रीका ने सीरीज़ 2-0 से जीती)

रनिंग सुधारने की जरूरत
टी-20 सीरीज में टीम इंडिया के बल्लेबाजों की जो सबसे बड़ी कमी सामने आई, वह है विकेट के बीच रनिंग की। दोनों ही मैच में दो-दो स्टार बैट्समैन रन आउट हुए। पहले मैच में शिखर धवन और अंबाती रायडू, जबकि दूसरे में रोहित शर्मा और विराट कोहली। इनके रन आउट होने से टीम इंडिया की बैटिंग की कमर टूट गई।

बड़ी साझेदारी पर देना होगा ध्यान
कप्तान धोनी को रोहित शर्मा और शिखर धवन की ओपनिंग जोड़ी को यह समझाना होगा कि टिकने के बाद लंबी साझेदारी करने पर ध्यान दें। वहीं कप्तान धोनी ने टी-20 सीरीज में काफी नीचे बैटिंग की। उनको वनडे में ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करने आना चाहिए। वह पारी संवारने में माहिर हैं और टिकने के बाद अंतिम ओवरों में काफी तेजी से रन बना सकते हैं। इसके अलावा कप्तान धोनी को कुछ किस्मत का साथ भी चाहिए होगा, क्योंकि वनडे मैचों में भी ओस से गेंदबाजी प्रभावित होगी। वह टी-20 के दो मैचों में टॉस हार गए और उन्हें पहले बल्लेबाजी के लिए उतरना पड़ा, जबकि वह पहले बल्लेबाजी नहीं करना चाहते थे। (पढ़ें, राजकोट वन डे मैच पर पाटीदार आंदोलन का साया, आंदोलनकारी स्टेडियम में जुटने की तैयारी में)

मिश्रा हो सकते हैं अच्छा विकल्प, भुवनेश्वर स्विंग पर दें ध्यान
श्रीलंका सीरीज में शानदार प्रदर्शन करने वाले अमित मिश्रा को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखना भी कुछ हजम नहीं हुआ। मिश्रा ने श्रीलंका दौरे पर 15 विकेट लेकर फॉर्म का संकेत दिया था, लेकिन धोनी ने उन पर भरोसा नहीं किया। भारतीय टीम के तेज गेंदबाज भी कुछ खास नहीं कर पाए। भुवनेश्वर कुमार और मोहित शर्मा ने निराश किया। कुमार की पहचान स्विंग गेंदबाजी है, जो टी-20 सीरीज में नहीं दिखी। उन्हें गति के स्थान पर स्विंग पर ध्यान देना चाहिए। (पढ़ें, टी-20 सीरीज में हार के बाद बोले धोनी, वनडे के लिये बहुत अधिक घसियाली पिच नहीं चाहता)

मैच फंसा होने पर कम अनुभवी बॉलर को गेंद न दें
धर्मशाला टी-20 में टीम इंडिया अच्छी स्थिति में थी। बल्लेबाजों ने शानदार खेल दिखाते हुए 200 रन का लक्ष्य दिया था, लेकिन गेंदबाजी में हम पिछड़ गए। पहला मैच खेल रहे तेज गेंदबाज एस अरविंद शुरुआती ओवरों में ही काफी मार का चुके थे, बावजूद इसके धोनी ने उन्हें अंतिम ओवर में गेंद थमा दी, जबकि उस समय मैच किधर भी जा सकता था। अफ्रीका को जीत के लिए अंतिम ओवर में 10 रन की जरूरत थी, लेकिन कम अनुभवी अरविंद के सामने दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों ने दो गेंद शेष रहते ही मैच जीत लिया।

टी-20 वर्ल्ड कप के लिए करनी होगी खास तैयारी
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 सीरीज में हार का सबसे बड़ा कारण टीम इंडिया का साल 2015 में मात्र चार टी-20 मैच खेलना भी रहा। अब जबकि टी-20 वर्ल्ड कप-2016 भारत में ही होना है, तो टीम इंडिया को अधिक मैच प्रैक्टिस की जरूरत होगी। (पढ़ें, रणजी में युवराज सिंह फ्लॉप, टी-20 वर्ल्ड कप में सलेक्शन की उम्मीदों पर पानी फिरा)

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