नई दिल्ली:
सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय ने कहा है कि वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की पुणे वारियर्स फ्रेंचाइजी को समर्थन जारी रखेंगे लेकिन भारतीय टीम के स्पांसरशिप को लेकर उनकी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से कोई बातचीत नहीं होगी।
रॉय ने कहा कि वह पुणे वारियर्स को समर्थन इसलिए जारी रखेंगे क्योंकि वह नहीं चाहते कि उनके खिलाड़ी परेशान हों और आईपीएल के पांचवें संस्करण में नहीं खेल पाएं।
सहारा प्रमुख ने कहा कि भारत में क्रिकेट काफी लोकप्रिय है और भारतीय टीम के स्पांसरशिप से उनके हटने से बीसीसीआई को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि कई कारपोरेट क्रिकेट में पैसा लगाने के लिए तैयार हैं।
रॉय ने कहा, "दस साल पहले क्रिकेट में स्पांसरशिप आसानी से नहीं मिलता था लेकिन अब क्रिकेट बहुत अमीर हो गया है। आज कई लोग क्रिकेट में पैसा लगाने को तैयार हैं। ऐसे में यह नहीं समझा जाना चाहिए कि किसी प्रकार की दिक्कत है।"
रॉय ने कहा कि वह सबसे अधिक चिंतित पुणे के खिलाड़ियों को लेकर हैं। सहारा ने पुणे वारियर्स टीम का मालिकाना हक 1700 करोड़ रुपये में हासिल किया था। यह आईपीएल की सबसे महंगी फ्रेंचाइजी टीम है। रॉय के मुताबिक जरूरत पड़ी तो वह सहारा पुणे फ्रेंचाइजी से खुद को अलग करने के फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।
रॉय ने कहा कि वह पुणे वारियर्स को समर्थन इसलिए जारी रखेंगे क्योंकि वह नहीं चाहते कि उनके खिलाड़ी परेशान हों और आईपीएल के पांचवें संस्करण में नहीं खेल पाएं।
सहारा प्रमुख ने कहा कि भारत में क्रिकेट काफी लोकप्रिय है और भारतीय टीम के स्पांसरशिप से उनके हटने से बीसीसीआई को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि कई कारपोरेट क्रिकेट में पैसा लगाने के लिए तैयार हैं।
रॉय ने कहा, "दस साल पहले क्रिकेट में स्पांसरशिप आसानी से नहीं मिलता था लेकिन अब क्रिकेट बहुत अमीर हो गया है। आज कई लोग क्रिकेट में पैसा लगाने को तैयार हैं। ऐसे में यह नहीं समझा जाना चाहिए कि किसी प्रकार की दिक्कत है।"
रॉय ने कहा कि वह सबसे अधिक चिंतित पुणे के खिलाड़ियों को लेकर हैं। सहारा ने पुणे वारियर्स टीम का मालिकाना हक 1700 करोड़ रुपये में हासिल किया था। यह आईपीएल की सबसे महंगी फ्रेंचाइजी टीम है। रॉय के मुताबिक जरूरत पड़ी तो वह सहारा पुणे फ्रेंचाइजी से खुद को अलग करने के फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।