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This Article is From Oct 05, 2015

सुप्रीम कोर्ट की BCCI को फटकार, श्रीनिवासन पर फैसला खुद करें, बार-बार आने की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट की BCCI को फटकार, श्रीनिवासन पर फैसला खुद करें, बार-बार आने की जरूरत नहीं
एन श्रीनिवासन की फाइल फोटो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को निर्देश दिया है कि वह एन श्रीनिवासन से जुड़े हितों के टकराव का मामला खुद सुलझाए। बीसीसीआई अपनी याचिका के जरिए सर्वोच्‍च अदालत से ये जानने की कोशिश कर रही थी कि श्रीनिवासन बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा ले सकते हैं या नहीं। बीसीसीआई के बार-बार अदालत पहुंचने से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी। कोर्ट ने कहा कि जनवरी में वह फ़ैसला सुना चुकी है। उस आधार पर बीसीसीआई को खुद पता लगाना चाहिए कि श्रीनिवासवन पर अब भी हितों के टकराव का मामला बनता है या नहीं।

सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश ने टिप्पणी की, 'आप बार-बार हमारे पास क्यों आते हैं। क्या हमारे निर्णय पर ठप्पा लगवाना चाहते हैं? अगर आपने उन्हें अयोग्य करार दिया है तो आप अपने निर्णय पर कायम रहें। अगर श्रीनिवासन को आपत्ति होगी तो वे अदालत आ सकते हैं।'

इसके बाद बीसीसीआई ने याचिका वापस ले ली। इस बीच एन श्रीनिवासन ने बीसीसीआई के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर के अनुरोध पर सचिव अनुराग ठाकुर के ख़िलाफ़ दायर याचिका वापस ले ली है। श्रीनिवासन ने याचिका में अनुराग ठाकुर पर उनके ख़िलाफ़ गलतबयानी का आरोप लगाया था। ठाकुर ने कहा था कि श्रीनिवासन ज़बरदस्ती वर्किंग कमिटी की बैठक में भाग लेने पर अमादा थे। शशांक मनोहर ने अध्यक्ष बनते ही साफ़ किया कि आदालत जाने की बजाए बोर्ड अपने मसले खुद सुलझाने की कोशिश करेगा।

बीसीसीआई के वकील दलील देते रहे हैं कि श्रीनिवासन ने भले ही चेन्नई सुपरकिंग्स के शेयर ट्रांसफर कर दिए हैं लेकिन वे हितों के टकराव का मामला अब भी बनता है लिहाजा उन्हें बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं देनी चाहिए। 28 अगस्त को कोलकाता में वर्किंग कमिटी की बैठक में हिस्सा लेने श्रीनिवासन भी पहुंच गए। वे तमिलनाडु क्रिकेट संघ की नुमांइदगी कर रहे थे। उनके पहुंचने के कारण बैठक रद्द कर दी गयी।

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चेन्नई सुपरकिंग्स के सह मालिक होने के कारण श्रीनिवासन बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकते जब तक कि हितों के टकराव का मामला खत्म नहीं हो जाता। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीष आरएम लोधा की अध्यक्षता में एक समिति भी बनायी थी जो बीसीसीआई के संविधान में सुधार और हितों के टकराव पर अपनी राय देगी। समिति की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।

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