सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से कहा है कि माफीनामे की भाषा बेहद स्पष्ट होना चाहिए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के माफीनामे को नामंजूर कर दिया है. हालांकि शीर्ष अदालत ठाकुर के खिलाफ अदालत की अवमानना और परजरी के मामले को बंद करने को तैयार है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें बिना शर्त माफीनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 14 जुलाई को पेश होने के आदेश दिया है. साथ ही सख्त ताकीद की है कि माफीनामे की भाषा एकदम स्पष्ट होना चाहिए और इसमें किसी तरह का गोलमोल नहीं होना चाहिए.
अदालत की अवमानना और परजरी के मामले में ठाकुर के माफीनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाया है. अनुराग ठाकुर ने इस मामले में अदालत से माफी मांगी थी. दरअसल शीर्ष अदालत ने अनुराग से कहा था कि अगर उनके खिलाफ यह साबित हो जाता है कि उन्होंने बीसीसीआई में सुधार पर अड़ंगा नहीं लगाने की झूठी शपथ ली है तो उन्हें जेल भेजा जा सकता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में अनुराग ठाकुर ने कहा था, 'उनका कतई भी ऐसा इरादा नहीं था. अगर इस तरह का नजरिया बन रहा है तो वह इसके लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं. परजरी (अदालत के समक्ष गलतबयानी करना) मामले में नोटिस जारी करने के बाद अनुराग द्वारा दाखिल इस हलफनामे में कहा गया था कि वह तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और बहुत कम उम्र से सार्वजनिक जीवन जी रहे हैं. वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब तक ऐसा कोई काम नहीं किया जिसमें अदालत की अनदेखी की गई हो.
पिछले साल 15 दिसंबर को अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया अनुराग ठाकुर पर न्यायालय की अवमानना और परजरी का मामला बनता है क्योंकि उन्होंने आईसीसी को पत्र लिखकर यह कहने के लिए कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी के प्रतिनिधि को शामिल करने की लोढ़ा कमेटी की सिफारिश वास्तव में बोर्ड में सरकारी दखलअंदाजी है. अनुराग ने इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन को ऐसा कोई पत्र लिखा था. हालांकि शशांक मनोहर ने कहा था कि अनुराग ने उनसे इस तरह का पत्र लिखने के लिए कहा था लेकिन मैंने इनकार कर दिया था.
अदालत की अवमानना और परजरी के मामले में ठाकुर के माफीनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाया है. अनुराग ठाकुर ने इस मामले में अदालत से माफी मांगी थी. दरअसल शीर्ष अदालत ने अनुराग से कहा था कि अगर उनके खिलाफ यह साबित हो जाता है कि उन्होंने बीसीसीआई में सुधार पर अड़ंगा नहीं लगाने की झूठी शपथ ली है तो उन्हें जेल भेजा जा सकता है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में अनुराग ठाकुर ने कहा था, 'उनका कतई भी ऐसा इरादा नहीं था. अगर इस तरह का नजरिया बन रहा है तो वह इसके लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं. परजरी (अदालत के समक्ष गलतबयानी करना) मामले में नोटिस जारी करने के बाद अनुराग द्वारा दाखिल इस हलफनामे में कहा गया था कि वह तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और बहुत कम उम्र से सार्वजनिक जीवन जी रहे हैं. वह अदालत का बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब तक ऐसा कोई काम नहीं किया जिसमें अदालत की अनदेखी की गई हो.
पिछले साल 15 दिसंबर को अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया अनुराग ठाकुर पर न्यायालय की अवमानना और परजरी का मामला बनता है क्योंकि उन्होंने आईसीसी को पत्र लिखकर यह कहने के लिए कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी के प्रतिनिधि को शामिल करने की लोढ़ा कमेटी की सिफारिश वास्तव में बोर्ड में सरकारी दखलअंदाजी है. अनुराग ने इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने आईसीसी चेयरमैन को ऐसा कोई पत्र लिखा था. हालांकि शशांक मनोहर ने कहा था कि अनुराग ने उनसे इस तरह का पत्र लिखने के लिए कहा था लेकिन मैंने इनकार कर दिया था.
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