37 साल के नेहरा शॉर्टर फॉर्मेट में अपनी गेंदबाजी से हर किसी को प्रभावित कर रहे हैं (फाइल फोटो)
खास बातें
- साथियों और पूर्व कोचों ने कहा-कमाल के हैं आशीष नेहरा
- हरभजन बोले, वह जानता हैं कि बल्लेबाज कैसा शॉट लगाएगा
- कोच भरत अरुण बोले, नेहरा के पास है दो तरह के बाउंसर
37 वर्ष की उम्र के बावजूद आशीष नेहरा शॉर्टर फॉर्मेट में टीम इंडिया की जरूरत बने हुए हैं. मुश्किल परिस्थितियों में अपनी गेंदबाजी से वे न केवल रनों का प्रवाह रोकने का काम करते हैं बल्कि लगातार विकेट लेकर टीम की सफलता में योगदान भी देते हैं. स्विंग गेंदबाजी से विपक्षी बल्लेबाजों के लिए मुसीबत बनने वाला दिल्ली का यह बॉलर इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि किसी भी मैच के विशेष हालात में क्या किया जाना चाहिए. घुटने की सर्जरी के बाद इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में नेहरा ने कमाल का प्रदर्शन किया. नागपुर टी20 मैच मे उन्होंने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाते हुए चार ओवर में 28 रन देकर तीन विकेट लिए थे. इससे पता चलता है कि उनकी गेंदबाजी में वही धार मौजूद है. जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार जैसे गेंदबाजों को उनके जैसे ही मेंटर की जरूरत है. आशीष नेहरा के गेंदबाजी कौशल के उनके पूर्व सहयोगी भी कायल हैं. हरभजन सिंह से लेकर पूर्व भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण, मदन लाल और विजय दहिया, सब नेहरा को गेंदबाजी में काफी ऊंचा रेट करते हैं. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने 1999 में मो. अजहरुद्दीन की कप्तानी में अपने करियर की शुरुआत की थी. अपना पहला टेस्ट उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में खेला था.
टीम इंडिया की कई सफलताओं में हरभजन सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. भज्जी 20 वर्षों से नेहरा को जानते हैं, उन्होंने कहा, ‘उसके (नेहरा के) कौशल का स्तर बिलकुल अलग है. जैसे विराट कोहली अंदाजा लगा सकता है कि एक गेंदबाज कैसी गेंदबाजी करेगा और वह किस तरह का शॉट लगाएगा. ठीक उसी तरह आशीष जानता है कि एक बल्लेबाज उस विशेष गेंद पर कैसे हिट करेगा और वह उसी तरह से मैदान सजाता है. मैं जानता हूं कि उसने कितनी मेहनत की है, लेकिन उसके लिए अपने शरीर को जानना मददगार हुआ है.’ पूर्व भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने बताया कि नेहरा के पास दो तरह के बाउंसर हैं, ये एक दूसरे से पूरी तरह से भिन्न हैं. अरुण ने कहा कि वह बेहतरीन यार्कर फेंकता है और उसकी गुडलेंथ गेंद शानदार है. टी20 प्रारूप उसके लिए पूरी तरह से मुफीद है. सबसे अच्छी बात है कि वह कभी भी 125 किमी प्रति घंटे की रफ्तार का गेंदबाज नहीं रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘वह हमेशा ही 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाला गेंदबाज रहा है, इसलिये टी20 में आपको 24 गेंद फेंकनी होती हैं और इससे उसे मौका मिल जाता है.
दिल्ली की टीम में एक समय नेहरा के साथी और उनके कोच विजय दहिया ने कहा, ‘आशीष ने काफी चोटों का सामना किया है और मेरा मानना है कि यह तेज गेंदबाजी की अहम चीज है. अन्य गेंदबाजों के विपरीत उसे कम क्रिकेट खेलने के लिये बाध्य होना पड़ा और इससे वह तरोताजा रहा. ’ दहिया ने कहा, ‘आशीष जानता है कि वह अपने शरीर की वजह से टेस्ट मैच नहीं खेल पाएगा. उसने सीमित ओवरों के मैचों पर ध्यान लगाया और इससे उसका सर्वश्रेष्ठ निकला. ’ वर्ल्डकप-1983 की चैंपियन रही भारतीय टीम के सदस्य मदन लाल ने कहा, ‘आपको बताऊं, आशीष को खराब फार्म से कभी भी बाहर नहीं किया गया. वह हमेशा चोटिल रहता है जो खेल का हिस्सा है. दिल्ली के कोच या राष्ट्रीय चयनकर्ता के तौर पर हमने कभी उसके गेंदबाजी स्तर के बारे में चर्चा नहीं की क्योंकि हर कोई जानता था कि वह क्या कर सकता है. (एजेंसी से भी इनपुट)