
15 जुलाई को निर्माता, निर्देशक और अभिनेता धीरज कुमार ने मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में आखिरी सांस ली. वे भारतीय फिल्म और टेलीविजन जगत में एक बेहद सम्मानित नाम थे, जिन्होंने अपने लंबे करियर में कई यादगार काम किए. 17 जुलाई की सुबह उनके पार्थिव शरीर को अंधेरी वेस्ट स्थित उनके अपार्टमेंट ‘स्काई डेक' में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया, जहां उनके परिवार के सदस्यों, करीबी दोस्तों और फिल्म इंडस्ट्री के कई साथी कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और अंतिम विदाई दी.
बतौर निर्माता-निर्देशक उन्होंने कई लोकप्रिय और लंबे चलने वाले धारावाहिक बनाए. वे एक दौर में पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टार कहे जाते थे. हालांकि हिंदी फिल्मों में भी उन्होंने काफी काम किया, लेकिन उनके शुरुआती दौर को छोड़ दें तो ज्यादातर वो सहायक और कैरेक्टर भूमिकाओं में ही नजर आए. इसके बावजूद उनके अभिनय को सराहा गया और दर्शकों ने हमेशा उनके काम को पसंद किया.

धीरज कुमार का अंतिम संस्कार 16 जुलाई को किया गया.
1965 में एक प्रतियोगिता के जरिए उन्होंने फिल्मों में कदम रखा और 1970 में अपनी पहली हिंदी फिल्म से शुरुआत की. उनका पार्थिव शरीर उनके घर से सांताक्रूज स्थित श्मशान घाट ‘पवन हंस' ले जाया गया, जहां करीब 12:15 बजे उन्हें मुखाग्नि दी गई. अंतिम संस्कार के दौरान उनके परिवार, रिश्तेदारों और कई शुभचिंतकों की आंखें नम थीं.
धीरज कुमार ने अपने करियर में अधिकतर धार्मिक और पौराणिक धारावाहिक ही बनाए, जिनमें उनकी गहरी आस्था और अनुभव झलकता था. वे अब भी दो और धारावाहिकों पर काम कर रहे थे और अपनी टीम के साथ स्क्रिप्ट और निर्माण की योजनाओं में जुटे थे. कुछ वक्त से वे निमोनिया से पीड़ित थे, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती थी. इसी कारण उन्हें बीते शनिवार को कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था और मंगलवार (15 जुलाई) दोपहर करीब 12 बजे डॉक्टरों ने उनके निधन की पुष्टि कीय उनके जाने से इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई और कई कलाकारों ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
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