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स्वच्छता का मसीहा बना पूर्व IPS, खुद चलाते हैं ठेला और उठाते हैं कचरा

1964 बैच के इस पूर्व पुलिस अधिकारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे सुबह 6 बजे अपनी कॉलोनी सेक्टर 49 की गलियों में खुद ठेला खींचकर कचरा उठाते दिखाई देते हैं.

स्वच्छता का मसीहा बना पूर्व IPS, खुद चलाते हैं ठेला और उठाते हैं कचरा
सेवा की उम्र नहीं होती...चंडीगढ़ की गलियों में 6 बजे सुबह सफाई करते दिखे 88 वर्षीय रिटायर्ड अफसर

88-year-old cleans streets Chandigarh: जहां आज की दुनिया में लोग रिटायरमेंट के बाद आराम चाहते हैं, वहीं चंडीगढ़ में रहने वाले 88 वर्षीय रिटायर्ड IPS अफसर इंदरजीत सिंह सिद्धू ने अपनी जिंदगी को सेवा का मिशन बना लिया है. 1964 बैच के इस पूर्व पुलिस अधिकारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वे सुबह 6 बजे अपनी कॉलोनी सेक्टर 49 की गलियों में खुद ठेला खींचकर कचरा उठाते दिखाई देते हैं.88 साल की उम्र में खुद उठाते हैं.

सड़कों का कचरा (Retired IPS officer Chandigarh)

यह वीडियो इंटरनेट पर इस कदर वायरल हुआ कि खुद आनंद महिंद्रा, जो महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन हैं, भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सके. उन्होंने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, हर सुबह 6 बजे जब बाकी शहर नींद में होता है, इंदरजीत सिंह सिद्धू अपने सेवा धर्म में जुट जाते हैं. वह चुपचाप गली-गली घूमते हैं, कचरा उठाते हैं और समाज को स्वच्छता का सच्चा पाठ पढ़ाते हैं.

यहां देखें वीडियो

स्वच्छता अभियान चंडीगढ़ (Inderjit Singh Sidhu IPS)

सिद्धू इस बात से नाखुश थे कि चंडीगढ़ स्वच्छ सर्वेक्षण में कम रैंक पर आया, लेकिन शिकायत करने की बजाय उन्होंने खुद ही एक्शन लेने का फैसला किया. आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra praises IPS officer) ने इस जज़्बे को सलाम करते हुए कहा, यह सिर्फ कचरा नहीं, बल्कि बदलाव का प्रतीक है. यह उस सोच का परिचायक है कि उम्र चाहे जो भी हो, उद्देश्य और सेवा रिटायर नहीं होते. सोशल मीडिया पर भी लोग सिद्धू की इस पहल को दिल से सलाम कर रहे हैं. 

सेवानिवृत्त IPS अफसर की सेवा भावना (inspiring retired IPS officer)

वीडियो देख चुके एक यूज़र ने लिखा, बदलाव के लिए पद या पॉवर नहीं, सिर्फ इरादा और लगन चाहिए. दूसरे ने कहा, सिद्धू साहब हमें सिखाते हैं कि असली हीरो वो हैं जो बिना शो-ऑफ किए समाज की सेवा करते हैं. सिद्धू न कोई कैमरा चाहते हैं, न सराहना. उनकी सेवा चुपचाप है, लेकिन उसका प्रभाव गूंजदार है. वे याद दिलाते हैं कि बदलाव का बीज हर इंसान के भीतर होता है...बस जरूरत है उसे सींचने की.

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