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This Article is From Jul 25, 2015

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत, अजित चंडिला, अंकित चव्हाण को कोर्ट ने बरी किया

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत, अजित चंडिला, अंकित चव्हाण को कोर्ट ने बरी किया
कोर्ट के फैसले के बाद रोते हुए एस श्रीसंत
नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग मामले में फैसला सुनाते हुए तीनों प्रमुख आरोपी निलंबित क्रिकेटर अजित चंदीला, एस. श्रीसंत और अंकित चव्हाण को बरी कर दिया। आरोपियों में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसका सहयोगी छोटा शकील भी शामिल हैं। कोर्ट ने तीनों क्रिकेटरों और अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोप हटा दिए। पूरे मामले में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने सभी 39 आरोपियों को बरी कर दिया। बता दें कि इस मामले में कुल आरोपी 43 हैं जिसमें दाउद इब्राहिम, उसका सहयोगी छोटा शकील और उसका दुबई का साथी जावेद चुटानी भी है जिन्हें कोर्ट ने पहले ही भगोड़ा घोषित कर रखा है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘सबको (मामले से) बरी किया जाता है।’’ 36 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में फैसले के लिए मामले को आज रखा गया था।

गौर करने की बात यह है कि इसमें दिल्ली पुलिस कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाई कि आखिर दाउद इब्राहिम इन तमाम आरोपियों से कैसे जुड़ा था। आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग कैसे हुई, पैसे का लेन-देन कैसे हुआ और यह मकोका के तहत कैसे आया। यानी की दिल्ली पुलिस कोर्ट में ऐसा एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई जिससे कि इन तमाम आरोपियों के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में शामिल होने की बात साबित हो। इसलिए कोर्ट ने मकोका के साथ साथ बाकी आरोपों जैसे जालसाजी और आपराधिक षड़यंत्र को भी खारिज कर दिया।

फैसला सुनने के बाद 32 वर्षीय श्रीसंत की आंखें छलक आईं। अदालत कक्ष में मौजूद खिलाड़ियों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी।

फैसले के बाद क्या कहा श्रीसंत ने
फ़ैसला आने के बाद श्रीसंत कोर्ट में रो पड़े। श्रीसंत ने कहा कि वो फ़ैसले से ख़ुश हैं और उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं है। श्रीसंत ने भरोसा जताया कि कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्हें बीसीसीआई से भी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ईश्वर ने चाहा तो मैं क्रिकेट में वापसी करूंगा। मुझे कोई शिकायत, कोई मलाल नहीं है।’’

फैसले पर अजित चंडीला का बयान
वहीं केस में क़रीब 3 महीने से ज़्यादा समय जेस में बितावने वाले अजित चंडीला ने फ़ैसले पर कहा कि ये उनकी ज़िंदगी का सबसे ख़राब पल था जो अब गुजर गया है।

दिल्ली पुलिस की मांग और बयान
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने पटियाला कोर्ट में कहा कि हमारी जांच जारी है और हमें जांच करने के लिए और वक्त चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को केस से मुक्त कर दिया।  फैसले के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया है कि उन्हें निचली अदालत के इस फैसले से धक्का लगा है। पुलिस का कहना है कि सबूतों और रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस मुद्गल समिति और लोढ़ा समिति ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट के विस्तृत फैसले का दिल्ली पुलिस अभी अध्ययन करेगी और फिर अगली कार्रवाई तय करेगी।

मई 2013 में इन खिलाड़ियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था, लेकिन जुलाई 2013 में सबूत के अभाव के चलते इन्हें ज़मानत मिल गई। बीसीसीआई ने इनपर अपनी जांच करके आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है।

राजस्थान की टीम को मिला एक और मौका
पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले ने कई नए सवालों को खड़ा कर दिया है। स्पॉट फिक्सिंग मामले में तीनों खिलाड़ियों के आरोपमुक्त होने से आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स को फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने का आधार मिल गया है। इसका कारण यह है कि सुप्रीम कोर्ट की मुद्गल समिति का हालिया फैसला भी इसी दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पर आधारित था। इस समिति की रिपोर्ट को आधार बनाकर लोढ़ा समिति ने कार्रवाई के आदेश दिए थे।

लोढ़ा समिति ने आरआर पर दो साल का बैन लगाया है। इस दौरान समिति ने कहा कि आरआर के तीन खिलाड़ियों को फिक्सिंग के लिए गिरफ्तार भी किया गया था। अब जब कोर्ट ने बरी कर दिया है कि तो राजस्थान की टीम अब मुद्गल समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठा सकती है।

                                 पढ़ें- आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग : क्या था पूरा मामला, आइये जानें
 
पुलिस ने अदालत को बताया था कि दाऊद की मुंबई के डोंगरी में और शकील की वहां नागपाड़ा में संपत्तियां हैं। अदालत ने पहले दाऊद, शकील, पाकिस्तान स्थित जावेद चुटानी, सलमान उर्फ मास्टर और एहतेश्याम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। चुटानी, सलमान और एहतेश्याम दाउद के करीबी समझे जाते हैं।

(ऊपर तस्वीर में श्रीसंत के माता-पिता फैसले पर खुशी जताते हुए)

पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ 6000 पेजों का एक आरोपपत्र दायर किया था। उसने बाद में पूरक आरोपपत्र भी दायर किया था। अदालत ने पहले श्रीसंत, चव्हाण और कई अन्य आरोपियों के विरुद्ध मकोका के प्रावधानों के तहत सबूत नहीं होने पर उन्हें जमानत दे दी थी। चंदीला समेत अन्य आरोपियों को भी बाद में अदालत से जमानत मिल गई थी।

पुलिस ने अपने आरोपपत्र में दावा किया था कि दाऊद और शकील भारत में क्रिक्रेट में फिक्सिंग और सट्टेबाजी को नियंत्रित करते रहे और वे ही आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के पीछे थे।

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